72% से ज्यादा किशोर डिजिटल काम करने में सक्षम, यूपी के 87% ग्रामीण किशोर करते हैं स्मार्टफोन का इस्तेमाल, ASER रिपोर्ट में सामने आई जानकारी

 72% से ज्यादा किशोर डिजिटल काम करने में सक्षम, यूपी के 87% ग्रामीण किशोर करते हैं स्मार्टफोन का इस्तेमाल, ASER रिपोर्ट में सामने आई जानकारी


लखनऊ। प्रदेश में डिजिटल साक्षरता तेजी से बढ़ी है। इसका खुलासा एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2024 से हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र के करीब 87 फीसदी किशोर (14-16 साल) स्मार्टफोन का प्रयोग करते हैं। इसमें 72 फीसदी से ज्यादा डिजिटल काम करने में भी सक्षम हैं। यही नहीं डिलटलीकरण से सरकारी स्कूलों में बुनियादी पढ़ाई व गणितीय क्षमता में भी सुधार हुआ है।

राष्ट्रीय स्तर पर जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि 50.5 फीसदी लड़कों और 42.7 फीसदी लड़कियों के पास अपना स्मार्टफोन है। 14-16 साल के 52 फीसदी शैक्षिक गतिविधियों के लिए स्मार्टफोन का प्रयोग करते हैं। 74 फीसदी सोशल मीडिया के लिए इसका प्रयोग करते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार सरकारी स्कूलों में कक्षा तीन के बच्चे जो कक्षा दो स्तर का पाठ पढ़ने में सक्षम थे, 2018 में यह आंकड़ा 12.3 फीसदी, 2022 में 16.4 फीसदी और 2024 में बढ़कर 27.9 फीसदी हो गया है। इनके पढ़ाई का जो स्तर 2018 में 36.2 फीसदी, 2022 में 38.3 फीसदी था वह 2024 में बढ़कर 50.5 फीसदी हो गया है।

कक्षा तीन के सभी बच्चे जो कम से कम घटाने का सवाल हल कर सकते थे, उनका आंकड़ा 2018 में 26.9 फीसदी, 2022 में 29 फीसदी था। वह 2024 में बढ़कर 40.7 फीसदी हो गया है।


नामांकन में आई कमी

रिपोर्ट के अनुसार प्राथमिक विद्यालय में 6 से 14 साल के बच्चों की नामांकन दर राष्ट्रीय स्तर पर स्थिर है। 2024 में इस आयु वर्ग के बच्चों के स्कूलों में नामांकन 96.1 फीसदी है जो 2022 में 97.1 था। कोविड के दौरान सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ी थी, लेकिन इसके बाद यह संख्या कम हुई है। प्रदेश में 2022 में नामांकन 59.6 फीसदी था जो 2024 में घटकर 49.1 फीसदी रह गया।


उपस्थिति में आया सुधार

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्कूलों में सुविधाएं बढ़ी हैं। राष्ट्रीय स्तर पर छात्र उपस्थिति 75 फीसदी रही है जो यूपी में पहले की अपेक्षा बढ़ी है। 2018 में यह 56.2 फीसदी थी जो 2024 में 70.6 फीसदी हो गई। शिक्षक उपस्थिति भी 5 फीसदी से अधिक बढ़ी है। 95 फीसदी से अधिक स्कूलों में सभी कक्षाओं में पाठ्यपुस्तकें वितरित की गई। 95 फीसदी से अधिक विद्यालयों में कक्षा में प्रवेश से पहले विद्यालय रेडीनेस कार्यक्रम लागू किया गया।


महानिदेशक व बेसिक निदेशक को दी रिपोर्ट

असर एक स्वयंसेवी संस्था है। जो कई साल से राष्ट्रीय स्तर पर शैक्षिक सर्वे कर रही है। संस्था स्कूलों और घरों में जाकर बच्चों के पढ़ाई के स्तर की जानकारी लेती है। असर के जोनल हेड सुनील कुमार ने बताया कि प्रदेश में 2030 सरकारी विद्यालयों का और हर जिले से घरेलू सर्वे कर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। उन्होंने बताया कि आज ही यह रिपोर्ट महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा, बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल व एससीईआरटी निदेशक गणेश कुमार को भी दी है।



उत्तर प्रदेश की बुनियादी शिक्षा में छलांग शीर्ष राज्यों की श्रेणी में शामिल, एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट में सामने आई बात

कक्षा तीन के बच्चों के पढ़ने का स्तर 8.3% और गणितीय दक्षता 7% सुधरी

लखनऊ। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई और गणितीय क्षमता में जबरदस्त उछाल आया है। निपुण भारत मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन और सतत प्रयासों से सरकारी स्कूलों में बुनियादी शिक्षा में बड़ा बदलाव आया है।

एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) के अनुसार कक्षा तीन के बच्चों के पढ़ने के स्तर में 8.3 फीसदी और गणितीय दक्षता में 7 फीसदी का सुधार हुआ है। इससे यूपी, शिक्षा में गुजरात और तमिलनाडु जैसे शीर्ष राज्यों की श्रेणी में शामिल हो गया है।

प्रदेश में वर्ष 2018 में कक्षा 3 के बच्चों की पढ़ने की क्षमता का स्तर 12.3 फीसदी था। वर्ष 2024 में यह बढ़कर 27.9 फीसदी हो गया है। यानी कुल 15.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं गणितीय दक्षता 2018 में 11.2 फीसदी थी जो 2024 में बढ़कर 31.6 फीसदी पहुंच गई है। इस प्रकार कुल 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 

बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने कहा कि पिछले छह वर्षों में हुए इन सुधारों ने प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों की कतार में खड़ा किया है। सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 2025 तक हर बच्चे को बुनियादी साक्षरता और गणना में दक्ष करने का लक्ष्य है। इसके लिए प्रदेश में निपुण भारत मिशन को प्रभावी तरीके से लागू किया जा रहा है। प्राथमिक स्तर के बच्चों को पढ़ने, लिखने और गणना करने में बच्चों को सक्षम बनाया गया है। 



सरकारी स्कूलों में कक्षा तीन के बच्चों के पढ़ने का स्तर बढ़ा

14-16 आयुवर्ग के 80 फीसदी से अधिक बच्चे जानते हैं स्मार्टफोन का उपयोग करना, ASER की रिपोर्ट में हुआ खुलासा 

28 जनवरी 2025
नई दिल्ली। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई और बुनियादी अंकगणित सीखने के स्तर में जबरदस्त सुधार हुआ है। सरकारी स्कूलों ने निजी स्कूलों को भी पछाड़ दिया है। यह बदलाव काफी हद तक सरकारी विद्यालयों में बच्चों के सीखने की क्षमता में वृद्धि के कारण हुआ है। तीसरी कक्षा के बच्चों के पढ़ने का स्तर सुधार के साथ 27.1 फीसदी तक पहुंच गया है।


मंगलवार को जारी वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (असर) 2024 के अनुसार वर्ष 2022 के मुकाबले हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केरल, हरियाणा, ओडिशा व महाराष्ट्र में तीसरी कक्षा के बच्चों के पढ़ने के स्तर में सुधार 10 फीसदी से अधिक है। यह सुधार सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों से अधिक है।


साढ़े छह लाख बच्चों पर सर्वे : रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले चौथी कक्षा के बच्चों की पढ़ाई का स्तर भी सुधरा है। सरकारी स्कूलों में चौथी कक्षा के उन बच्चों का प्रतिशत, जो दूसरी कक्षा के स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं, 2018 में 50.5 प्रतिशत से घटकर 2022 में 42.8 प्रतिशत हो गया था। लेकिन 2024 में यह बढ़कर 48.8 फीसदी हो गया है। असर एक राष्ट्रव्यापी ग्रामीण घरेलू सर्वेक्षण है जिसमें भारत के 605 ग्रामीण जिलों के 17,997 गांवों के 6,49,491 बच्चों को शामिल किया गया।


90 फीसदी के घर में स्मार्टफोन पर यहां बेटी और बेटे में भी भेदभाव

14-16 आयु वर्ग के 90 फीसदी बच्चों ने कहा कि उनके घर में स्मार्टफोन है। 80 फीसदी प्रयोग करना जानते हैं, जिसमें 79.4 फीसदी बेटियां तो 85.5 फीसदी लड़के हैं। इसमें भी 36.2 फीसदी लड़कों और अपना स्मार्टफोन है। इसका महज 26.9 फीसदी बेटियों के पास अर्थ है कि स्मार्टफोन दिलवाने में अभिभावक बेटे और बेटी में भेदभाव करते हैं। करीब 82.2 फीसदी बच्चे स्मार्टफोन का इस्तेमाल शैक्षिक गतिविधियों के लिए करते हैं।
72% से ज्यादा किशोर डिजिटल काम करने में सक्षम, यूपी के 87% ग्रामीण किशोर करते हैं स्मार्टफोन का इस्तेमाल, ASER रिपोर्ट में सामने आई जानकारी Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 6:31 AM Rating: 5

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