सरकार को झटका : पुरानी भर्ती न होने तक नए शिक्षक नहीं
- सर्वशिक्षा अभियान की कार्ययोजना को रखी शर्त
- तीन साल से अटकी है 72825 शिक्षकों की भर्ती
लखनऊ | बीते तीन वर्षो से परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72825 शिक्षकों शिक्षकों की नियुक्ति करने में नाकाम रही राज्य सरकार को केंद्र ने करारा झटका दिया है। केंद्र ने स्पष्ट कर दिया है कि सर्व शिक्षा अभियान और राज्य सेक्टर के तहत पहले से सृजित शिक्षकों के पदों पर जब तक भर्तियां नहीं कर ली जाएंगी, वह शिक्षकों के नये पदों को सृजित करने की अनुमति नहीं देगा। यह शर्त केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय की ओर से राज्य सरकार को 2014-15 के लिए सर्व शिक्षा अभियान की वार्षिक कार्ययोजना की तैयारी के संबंध में भेजे गए पत्र रखी गयी है।
वार्षिक कार्ययोजना को मंजूरी देने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक 27 मार्च को होगी। 72825 शिक्षकों की भर्ती का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मौजूदा परिस्थितियों में 27 मार्च से पहले शिक्षकों की यह भर्तियां होना मुमकिन नहीं लगता। ऐसे में यह तय है कि 2014-15 में सर्व शिक्षा अभियान की वार्षिक कार्ययोजना में सूबे में शिक्षकों के नये पदों को मंजूरी नहीं मिलने वाली। केंद्र सरकार की इस शर्त से राज्य को दोहरा नुकसान होगा। एक तो शिक्षकों की कमी से जूझ रहे परिषदीय स्कूलों में अध्यापकों के नये पद नहीं स्वीकृत होंगे। दूसरा यदि पूर्व में स्वीकृत पदों पर भर्तियां हो गई होतीं तो राज्य सरकार को उन शिक्षकों की तनख्वाह पर खर्च होने वाली 65 फीसदी धनराशि केंद्र से मिलती। गौरतलब है कि शिक्षा के अधिकार को लागू करने पर होने वाले खर्च में केंद्र और सरकार की हिस्सेदारी 65:35 के अनुपात में होती है।
परिषदीय स्कूल शिक्षकों की जबर्दस्त कमी से जूझ रहे हैं। शिक्षा के अधिकार कानून के मानक के अनुसार प्राथमिक स्कूलों में 456484 शिक्षकों की जरूरत है। प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत 166822 शिक्षामित्रों को शामिल करने पर भी प्राइमरी विद्यालयों में 119625 शिक्षकों की कमी है। वहीं उच्च प्राथमिक स्कूलों में मानक के अनुसार 171335 शिक्षक होने चाहिए लेकिन इन विद्यालयों में भी 66643 शिक्षकों की कमी है।
वार्षिक कार्ययोजना को मंजूरी देने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक 27 मार्च को होगी। 72825 शिक्षकों की भर्ती का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मौजूदा परिस्थितियों में 27 मार्च से पहले शिक्षकों की यह भर्तियां होना मुमकिन नहीं लगता। ऐसे में यह तय है कि 2014-15 में सर्व शिक्षा अभियान की वार्षिक कार्ययोजना में सूबे में शिक्षकों के नये पदों को मंजूरी नहीं मिलने वाली। केंद्र सरकार की इस शर्त से राज्य को दोहरा नुकसान होगा। एक तो शिक्षकों की कमी से जूझ रहे परिषदीय स्कूलों में अध्यापकों के नये पद नहीं स्वीकृत होंगे। दूसरा यदि पूर्व में स्वीकृत पदों पर भर्तियां हो गई होतीं तो राज्य सरकार को उन शिक्षकों की तनख्वाह पर खर्च होने वाली 65 फीसदी धनराशि केंद्र से मिलती। गौरतलब है कि शिक्षा के अधिकार को लागू करने पर होने वाले खर्च में केंद्र और सरकार की हिस्सेदारी 65:35 के अनुपात में होती है।
परिषदीय स्कूल शिक्षकों की जबर्दस्त कमी से जूझ रहे हैं। शिक्षा के अधिकार कानून के मानक के अनुसार प्राथमिक स्कूलों में 456484 शिक्षकों की जरूरत है। प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत 166822 शिक्षामित्रों को शामिल करने पर भी प्राइमरी विद्यालयों में 119625 शिक्षकों की कमी है। वहीं उच्च प्राथमिक स्कूलों में मानक के अनुसार 171335 शिक्षक होने चाहिए लेकिन इन विद्यालयों में भी 66643 शिक्षकों की कमी है।
(खबर साभार : दैनिक जागरण)
सरकार को झटका : पुरानी भर्ती न होने तक नए शिक्षक नहीं
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
8:47 AM
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