अध्यापक पुरस्कार के लिए नहीं लगानी होगी अर्जी
- जिला स्तर पर बीएसए की अध्यक्षता में गठित कमेटी करेगी फैसला
- 15 जनवरी तक चलेगा शिक्षकों को चिन्हित करने का काम
- जिले के श्रेष्ठ शिक्षकों के चयन के बाद कमेटी निदेशालय भेजेगी रिपोर्ट
लखनऊ।
राष्ट्रीय व राज्य अध्यापक पुरस्कार के लिए शिक्षकों को अब न तो आवेदन
करना होगा और न ही अधिकारियों से संस्तुति कराने के लिए उनकी परिक्रमा करनी
होगी। इन दोनों पुरस्कारों के लिए जिला स्तर पर बेसिक शिक्षा अधिकारियों
की अध्यक्षता में कमेटी होगी। यह कमेटी खंड शिक्षा अधिकारियों से सहयोग से
श्रेष्ठ शिक्षकों के नामों की संस्तुति करेगी। इसके बाद इसे बेसिक शिक्षा
निदेशालय इलाहाबाद भेजा जाएगा। बेसिक शिक्षा निदेशक बासुदेव यादव ने जिलों
को आदेश भेज दिया है। राष्ट्रीय व राज्य अध्यापक पुरस्कार प्राथमिक और उच्च
प्राथमिक स्कूलों के श्रेष्ठ शिक्षकों को हर साल शिक्षक दिवस पर दिया जाता
है।
राष्ट्रीय पुरस्कार 19 (17 सामान्य व
2 विकलांग) तथा राज्य पुरस्कार 17 शिक्षकों को दिया जाता है। अभी तक जिले
स्तर पर इसके लिए आवेदन मांगने के बाद निदेशालय स्तर पर साक्षात्कार लिया
जाता था। इसके लिए शिक्षकों को अपना प्रोफाइल स्वयं तैयार करना होता था।
इससे शिक्षकों को काफी परेशानियां होती थीं। इसलिए निदेशालय स्तर पर इसमें
बदलाव कर दिया गया है।
नई व्यवस्था में जिला स्तर पर बेसिक शिक्षा अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की जाएगी। इसमें उप बेसिक शिक्षा अधिकारी तथा दो वरिष्ठतम खंड शिक्षा अधिकारी होंगे जो बेहतर आचरण व श्रेष्ठ शिक्षण कार्य करने वाले शिक्षकों को चिह्नित करेंगे। साथ ही पुरस्कार के लिए चयनित करने के संबंध में उनका गुण-दोष तथा उत्कृष्ट कार्यों की समीक्षा भी यही कमेटी करेगी।
नई व्यवस्था में जिला स्तर पर बेसिक शिक्षा अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की जाएगी। इसमें उप बेसिक शिक्षा अधिकारी तथा दो वरिष्ठतम खंड शिक्षा अधिकारी होंगे जो बेहतर आचरण व श्रेष्ठ शिक्षण कार्य करने वाले शिक्षकों को चिह्नित करेंगे। साथ ही पुरस्कार के लिए चयनित करने के संबंध में उनका गुण-दोष तथा उत्कृष्ट कार्यों की समीक्षा भी यही कमेटी करेगी।
बीएसए से ही शिक्षकों का पूरा
विवरण निर्धारित प्रारूप पर भरेगा। बीएसए की जिम्मेदारी होगी कि वह शिक्षक
से जरूरी प्रमाण पत्र व फोटो आदि लेकर प्रारूप के साथ नत्थी करते हुए
निदेशालय भेजेगा।
यह होंगे पात्र :-
- सहायक अध्यापक के रूप में 15 वर्ष नियमित शिक्षण तथा प्रधान अध्यापक के रूप में 20 वर्ष का नियमित शिक्षणका अनुभव। विशिष्ट श्रेणी (विकलांग) के लिए सहायक अध्यापक में 10 साल और प्रधानाध्यापक में 15 साल शिक्षण का अनुभव जरूरी होगा।
- समिति शिक्षकों को चिह्नित कर संबंधित शिक्षक ने कौन-कौन से विशेष कार्य किए हैं और कौन सा पुरस्कार दिया जा सकता है।
- शिक्षकों को चिह्नित करने का काम 15 जनवरी तक चलेगा। चयनित शिक्षकों की तीन-तीन प्रतियां राज्य स्तरीय चयन समिति के लिए संयुक्त शिक्षा निदेशक (महिला) शिक्षा निदेशालय को भेजा जाएगा। निर्धारित समय सीमा के बाद कोई भी प्रस्ताव स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
खबर साभार : अमर उजाला
अध्यापक पुरस्कार के लिए नहीं लगानी होगी अर्जी
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
6:09 PM
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