खाली रह सकतीं हैं बीएड की एक लाख सीटें, इस वर्ष 63 हजार अभ्यर्थी हुए कम जबकि सीटें बढ़ गईं 50 हजार, दो वर्ष का हो जाने की वजह से भी एडमिशन लेने वालों की संख्या में होगी कमी
- खाली रह सकतीं हैं बीएड की एक लाख सीटें
- इस वर्ष 63 हजार अभ्यर्थी हुए कम तो वहीं बढ़ गईं 50 हजार सीटें
लखनऊ।
प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में इस साल भी बीएड की काफी सीटें खाली रहने की
आशंका जताई जा रही है। इस साल बीएड में तकरीबन 50 हजार सीटें बढ़ गई हैं
जबकि सफल अभ्यर्थियों की संख्या बीते साल के मुकाबले करीब 63 हजार कम हो गई
है। ये आंकड़े एक लाख सीटों का अंतर पैदा करने की ओर इशारा कर रहे हैं।
बीएड पाठ्यक्रम इस साल से दो साल का हो रहा है। अब बीएड दो वर्ष का हो जाने
की वजह से भी एडमिशन लेने वालों की संख्या में कमी आ सकती है। ये सारी
स्थितियां बीएड दाखिलों के अनुकूल नहीं दिखाई दे रही हैं। ऐसे में कोई
आश्चर्य नहीं जो एक लाख से ज्यादा सीटें खाली रह जाएं।
बीते
साल की बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा में करीब दो लाख 25 हजार अभ्यर्थी सफल
हुए थे। उस समय सीटों की संख्या 1,38,000 के आसपास थी। इस बार बीएड में
कुल सीटें करीब एक लाख 71 हजार हैं। अभी कई कॉलेजों की फीडिंग नहीं हो पाई
है। ऐसे में यह संख्या एक लाख 80 हजार के आसपास होने की संभावना है। अब बात
करते हैं परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों की। इस बार की संयुक्त प्रवेश
परीक्षा में महज एक लाख 62 हजार अभ्यर्थी ही सफल हुए हैं। ऐसे में इस साल
सफल अभ्यर्थियों की संख्या निर्धारित सीटों से करीब 18 हजार कम है। सभी सफल
अभ्यर्थी बीएड पाठ्यक्रम में दाखिला लेंगे, इसमें संदेह है। गत वर्ष
1,38,000 सीटों के मुकाबले 2,25,000 सफल अभ्यर्थी होने के बावजूद करीब 54
हजार सीटें खाली रह गई थीं। इस लिहाज से देखें तो इस साल खाली सीटों का
आंकड़ा करीब एक लाख रहने का अनुमान है।
बीएड
पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद रोजगार की संभावना पहले के मुकाबले काफी कम हो
गई है। ऐसे में बीएड के प्रति युवाओं का क्रेज घट गया है। बीएड में दाखिला
लेने वालों में ज्यादा संख्या घरेलू महिलाओं की है। इस साल से बीएड दो साल
का हो गया है, इसका भी सीटों पर काफी असर पड़ेगा। इस साल बीएड की कम से कम
एक लाख सीटें खाली रहने का अनुमान है।~ विनय त्रिवेदी, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन
खबर साभार : अमर उजाला
खाली रह सकतीं हैं बीएड की एक लाख सीटें, इस वर्ष 63 हजार अभ्यर्थी हुए कम जबकि सीटें बढ़ गईं 50 हजार, दो वर्ष का हो जाने की वजह से भी एडमिशन लेने वालों की संख्या में होगी कमी
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:00 AM
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