बंद हों निजी स्कूल, सबको मिले एक जैसी शिक्षा : बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री वसीम अहमद ने दिया बयान शिक्षकों के कारण गिरा शिक्षा का स्तर, शिक्षक नेताओं को लिया निशाने पर

  • बंद हों निजी स्कूल, सबको मिले एक जैसी शिक्षा
  • बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री वसीम अहमद ने की पैरवी
  • शिक्षकों के कारण गिरा शिक्षा का स्तर
  • शिक्षा की गुणवत्ता पर कभी राय तक नहीं देते शिक्षक नेता
  • गरीबों के बच्चे भी सरकारी स्कूल से कतराते
  • मंत्री जी सरकारी स्कूलों को हताश मत कीजिए
  • बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री के बयान पर शिक्षकों की प्रतिक्रिया

बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री वसीम अहमद ने गुरुवार को शिक्षकों के बीच खरी खरी कही। बोले, एक समय था जब अध्यापक स्कूल पहुंचते तो लोग घड़ी मिला लेते थे, लेकिन अब समय की पाबंदी तो दूर स्कूल पहुंचना भी शिक्षकों को बोझ लगता है। यह हाल तब है जबकि सरकार ने अध्यापकों की तैनाती उनके घर के बगल में कर रखी है। अध्यापकों की वजह से ही अब रिक्शे वाला भी अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में पढ़ाने से कतराता है।

गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में पैक्स संस्था द्वारा आयोजित स्कूल प्रबंध समिति सदस्यों के सम्मेलन में राज्यमंत्री ने अध्यापकों पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि सरकार अध्यापकों की हर मांग पूरी कर रही है। बावजूद इसके अध्यापक अपना काम सही तरह से नहीं कर रहे। लोग कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाने को मजबूर हो रहे हैं। सरकारी स्कूल में जो कमजोर और शोषित वर्ग के बच्चे पढ़ने पहुंच भी रहे हैं, उन्हें गुणवत्तापरक शिक्षा नहीं मिल पा रही। राज्यमंत्री ने कहा कि जिस गांव में अध्यापक समय से स्कूल न आते हों, लोग उन्हें चिट्ठी लिखकर सूचना दें।

  • अधिकारियों की भी हो परीक्षा 
राज्यमंत्री ने कहा कि जनता नेता की तो हर पांच साल में परीक्षा ले लेती है। वहीं अधिकारी व कर्मचारी एक बार परीक्षा दे देते हैं, फिर पूरी नौकरी चलती रहती है। इन सभी की भी समय-समय पर परीक्षा होनी चाहिए।

  • उसी स्कूल में पढ़ें अध्यापक के बच्चे : 
पूर्व एमएलसी राकेश सिंह राणा ने कहा कि शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार तभी हो सकता है, जब अध्यापकों के बच्चे भी उनकी तैनाती वाले स्कूल में ही पढ़ें। उन्होंने अध्यापकों का दूसरे जिले में स्थानांतरण पर जोर दिया।

  • दस फीसद स्कूलों में शिक्षा का कानून : 
आरटीई फोरम के संयोजक अंबरीश राय ने कहा कि देश में 14 लाख सरकारी स्कूल हैं जिनमें 10 फीसद में ही सही से शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हो पाया है। अभी स्कूलों में 12 लाख अध्यापकों की कमी है।

बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री के गुरुवार को सरकारी स्कूलों को लेकर दिए गए बयान से शिक्षकों में जबर्दस्त नाराजगी है। शिक्षक नेताओं का कहना है कि पहले वह अपने गिरेबां में झांके फिर दूसरों को नसीहत दें। आलोचना करना आसान है लेकिन मंत्री जी बताए कि उन्होंने तीन साल में क्या किया। 

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष लल्लन मिश्र का कहना है कि अगर मंत्री ने इस तरह का वक्तव्य दिया है तो ठीक नही है। शिक्षक पूरी ईमानदारी के साथ अपनी ड्यूटी करता है। सरकारी स्कूलों में सीमित साधनों में भी बेहतर माहौल देने की कोशिश होती है। मंत्री महोदय को तो सरकारी स्कूलों को बढ़ावा देना चाहिए। इस तरह शिक्षकों पर सवाल खड़े करना ठीक नही है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ चंदेल गुट के प्रदेशीय मंत्री और प्रवक्ता डा.महेंद्र नाथ राय का कहना है कि सरकार के मंत्री को इस तरह की बातें शोभा नहीं देती हैं। सरकार का काम स्कूलों को प्रोत्साहित करना है। शिक्षकों को बेहतर कार्य करने के लिए पुरस्कृत करना है। इस तरह सार्वजनिक कार्यक्रमों में पूरे शिक्षक समुदाय का कठघरे में खड़ा करना ठीक नही है। उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ शर्मा गुट के प्रदेशीय मंत्री और प्रवक्ता डा.आरपी मिश्र का कहना है कि पूरे शिक्षक समुदाय पर सवाल खड़े करना गलत है। इस तरह के आरोपों से शिक्षक ही नहीं वहां पढ़ाई करने वाले बच्चों के मनोबल पर भी असर पड़ता है। उत्तर प्रदेश शिक्षक संघ संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सोहन लाल वर्मा का कहना है कि शिक्षकों पर अंगुली उठाने से पहले मंत्री जी को देखना चाहिए कि व्यवस्था को ध्वस्त करने में सबसे बड़ा योगदान को सरकारों का ही है। आज सरकार शिक्षकों से पढ़ाई छोड़कर हजारों काम कराती है।






लखनऊ (ब्यूरो)। देश में सभी निजी स्कूलों को बंद कर एक समान शिक्षा व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। इसकी पैरवी करते हुए बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री वसीम अहमद ने सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को ज्यादा से ज्यादा सहूलियतें दिलवाने का वादा भी किया। वे राजधानी के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में बृहस्पतिवार को आयोजित स्कूल प्रबंध समिति के सदस्यों के राज्य स्तरीय सम्मेलन में बोल कर रहे थे। इसमें 16 जिलों की 1000 स्कूल प्रबंध समिति के सदस्यों ने हिस्सा लिया।
उन्होंने कहा कि शिक्षा सभी के लिए समान होनी चाहिए ताकि सभी जातियों व वर्गों के बच्चे एक साथ सरकारी विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर सकें। तो विधान परिषद सदस्य राकेश सिंह राणा ने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों की दशा पहले की अपेक्षा अच्छी नहीं हैं। आज तमाम ऊंचे पदों पर कांवेंट स्कूल के प्रोडक्ट ही आ रहे हैं। वहीं आरटीई फोरम के कन्वेनर अंबरीश राय ने कहा कि कोठारी कमीशन के अनुसार पूरे देश में समान शिक्षा लागू होनी चाहिए थी, मगर अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। केंद्र सरकार ने शिक्षा मद में कटौती करके गरीबों के साथ नाइंसाफी की है। एनसीई फोरम के कन्वेनर रमाकांत राय ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब शिक्षा पूरी तरह से निजी हाथों में चली जाएगी और दलित व पिछड़े शिक्षा से वंचित रह जाएंगे। सम्मेलन में पूअरस्ट एरियाज सिविल सोसाइटी प्रोग्राम (पैक्स) के राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रबंधक राजकुमार व कार्यक्रम अधिकारी नीतेश भी मौजूद थे। 


खबर साभार : अमर उजाला

सरकार के नियन्त्रण में नहीं कान्वेंट स्कूल : मंत्री

लखनऊ। प्रमुख संवाददाताकॉन्वेंट स्कूल राज्य सरकार के नियंत्रण में नहीं हैं। उनको केन्द्र सरकार से मान्यता मिलती है लिहाजा वह राज्य सरकार के मंत्री तक की नहीं सुनते। 

यह बात बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री वसीम अहमद ने कही। वह पैक्स (पूअरेस्ट एरिया सिविल सोसाइटी) के तत्वावधान में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत गठित स्कूल प्रबंध समिति के सदस्यों के राज्य स्तरीय सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। कार्यक्रम में 16 जिलों से एक हजार स्कूल प्रबंध समितियों के सदस्यों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर दस सूत्री मांगों का ज्ञापन भी सौंपा गया।

गोमतीनगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम में राज्य मंत्री ने कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून में बच्चों को फेल न करने की व्यवस्था ने शिक्षा को चौपट कर दिया है। इससे न तो बच्चा पढ़ता है और न ही शिक्षक को पढ़ाने की चिंता होती है। ऐसे में शिक्षक की गुणवत्ता जांचना भी मुश्किल हो गया है। 

इससे पूर्व एमएलसी व लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष राकेश सिंह राना ने कहा कि जब तक शिक्षक अपने बच्चे को उसी स्कूल में नहीं पढ़ायेगा जिसमें वह पढ़ाता है, तब तक प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता नहीं सुधर सकती। इसके अलावा शिक्षकों की गैर जिलों में तैनाती जरूरी है। गृह जनपद में तैनाती से वह अपने ही कामों में व्यस्त रहता है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता में कमी होने का फायदा निजी स्कूल उठा रहे हैं।

निजी स्कूलों पर कोई नियंत्रण न होने कारण वह हर साल 30 फीसदी तक फीस में वृद्धि कर देते हैं, जबकि नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर मान्यता दी जाती है। ऐसे में निजी स्कूलों पर सरकार का नियंत्रण बहुत जरूरी है। कार्यक्रम में पैक्स के राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रबंधक राजकुमार, आरटीआई फोरम के कन्वेनर अम्बरीश राय, एनसीई फोरम के कन्वेनर रमाकांत राय, सामाजिक सलाहकार राजनाथ, प्रतापगढ़ से मीरा देवी, लखनऊ से छोटेलाल, शाहीन, सावित्री आदि ने संबाधित किया।

खबर साभार : हिन्दुस्तान

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बंद हों निजी स्कूल, सबको मिले एक जैसी शिक्षा : बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री वसीम अहमद ने दिया बयान शिक्षकों के कारण गिरा शिक्षा का स्तर, शिक्षक नेताओं को लिया निशाने पर Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 8:48 AM Rating: 5

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