बच्चे का वजन कराएं कुपोषण दूर भगाएं : रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन की वर्ष 2013 की रिपोर्ट ने सूबाई सरकार की आंखें खोलीं
इलाहाबाद : रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन की वर्ष 2013 की रिपोर्ट ने सूबाई
सरकार की आंखें खोल दी हैं। इसलिए सरकार के निर्देश पर अब पांच साल तक के
सभी बच्चों का वजन कराकर उनमें कुपोषण की मात्र आंके जाने की तैयारी है।
इसके लिए जिले में सात और दस सितंबर को वजन दिवस मनाया जाएगा। गुरुवार को
अपने कार्यालय में इस कार्यक्रम की जानकारी सीडीओ अटल कुमार राय ने दी।
उन्होंने बताया कि पहले चरण में सात सितंबर को यमुनापार के नौ विकास खंडों
की 584 ग्रामसभाओं और नगर निगम क्षेत्र के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर वजन
किया जाएगा। इसी तरह दस सितंबर को गंगापार की 842 ग्रामसभाओं में वजन कराया
जाएगा। इस काम के लिए पूरे जिले को 181 सेक्टर में बांटा गया है। 91
सेक्टर मजिस्ट्रेट लगाए गए हैं, जिनके साथ एक सुपरवाइजर और दो वजन करने की
मशीन रहेंगी। जिस केंद्र पर भी मशीन खराब होगी, वहां इन मशीनों का इस्तेमाल
होगा। ग्राम सभा स्तर पर प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक पर्यवेक्षक
के तौर पर रहेंगे। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम चुनावी अभियान की तरह
चलाया जाएगा और सुबह आठ बजे से वजन करना शुरू हो जाएगा। उन्होंने सभी से
अपने बच्चों का वजन कराने की अपील की।
खुली बाल विकास कार्यक्रम की पोल : जिले में बाल एवं महिला विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में पांच साल तक के अति कुपोषित बच्चों की संख्या महज 1708 है। जबकि रैपिड सर्वे की रिपोर्ट में प्रदेश में 9.4 फीसदी बच्चे अति कुपोषित हैं। यानि जिले में पांच साल के कुल 7.38 लाख बच्चों में 69652 बच्चे अति कुपोषित होने का अनुमान हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुपोषण की दर अन्य प्रदेशों व पश्चिम उप्र के मुकाबले ज्यादा है। ऐसे में सही तरीके से आंकलन किया गया तो संख्या एक लाख के पार पहुंच सकती है।
ऐसे पहचानें अति कुपोषित बच्चे : एक माह से कम उम्र का बच्चा यदि 2.1 किग्रा, एक वर्ष के बच्चे का 6.9 किग्रा, दो साल का 8.6 किग्रा., तीन साल का वजन दस किलो, चार साल का 11.2 और पांच साल का बच्चा यदि 12.4 किग्रा से कम वजन का है तो अति कुपोषित की श्रेणी में आएगा। ऐसे बच्चों को सरकार स्थानीय स्तर पर पहले तो पोषाहार और विटामिन आदि के जरिए कुपोषण दूर करने का प्रयास करेगी। ऐसा नहीं होता तो उसे जिले के सेंटर में चौदह दिन तक भर्ती भी किया जाएगा।
खुली बाल विकास कार्यक्रम की पोल : जिले में बाल एवं महिला विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में पांच साल तक के अति कुपोषित बच्चों की संख्या महज 1708 है। जबकि रैपिड सर्वे की रिपोर्ट में प्रदेश में 9.4 फीसदी बच्चे अति कुपोषित हैं। यानि जिले में पांच साल के कुल 7.38 लाख बच्चों में 69652 बच्चे अति कुपोषित होने का अनुमान हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुपोषण की दर अन्य प्रदेशों व पश्चिम उप्र के मुकाबले ज्यादा है। ऐसे में सही तरीके से आंकलन किया गया तो संख्या एक लाख के पार पहुंच सकती है।
ऐसे पहचानें अति कुपोषित बच्चे : एक माह से कम उम्र का बच्चा यदि 2.1 किग्रा, एक वर्ष के बच्चे का 6.9 किग्रा, दो साल का 8.6 किग्रा., तीन साल का वजन दस किलो, चार साल का 11.2 और पांच साल का बच्चा यदि 12.4 किग्रा से कम वजन का है तो अति कुपोषित की श्रेणी में आएगा। ऐसे बच्चों को सरकार स्थानीय स्तर पर पहले तो पोषाहार और विटामिन आदि के जरिए कुपोषण दूर करने का प्रयास करेगी। ऐसा नहीं होता तो उसे जिले के सेंटर में चौदह दिन तक भर्ती भी किया जाएगा।
बच्चे का वजन कराएं कुपोषण दूर भगाएं : रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन की वर्ष 2013 की रिपोर्ट ने सूबाई सरकार की आंखें खोलीं
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
9:49 AM
Rating:
No comments:
Post a Comment