बाल संरक्षण आयोग लखनऊ के बीएसए और अक्षयपात्र को जारी करेगा सम्मन, बीएसए की शिक्षकों पर की गई कार्यवाही पर भेदभाव का आरोप, अक्षयपात्र पर कार्यवाही पर प्रशासन की चुप्पी
- बीएसए और अक्षयपात्र को समन
- बीएसए ने बाल आयोग के सदस्यों का फोन नहीं उठाया
- अक्षयपात्र ने भी नहीं दिया जवाब
बाल संरक्षण आयोग अब बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी को समन जारी करेगा। मिड-डे-मील खाकर बच्चों के बीमार होने के मामले में बाल आयोग के कार्यालय से बेसिक शिक्षा अधिकारी को दो दिन में कई फोन किए गए, लेकिन बीएसए ने फोन नहीं उठाया। इसी कारण उन्हें समन भेजा जाएगा। वहीं, अक्षय पात्र संस्था से उन स्कूलों की सूची मांगी थी, जहां वह मिड-डे-मील का वितरण कर रहे हैं, लेकिन संस्था की ओर से आयोग को कोई भी जवाब नहीं भेजा गया। इसलिए अब आयोग अक्षय पात्र को भी समन जारी करने जा रहा है। आयोग के पदाधिकारियों के मुताबिक दोनों को जल्द समन भेजा जाएगा।
- जुगाड़ नहीं था तो कर दिया सस्पेंड, शिक्षकों ने की अक्षयपात्र की शिकायत
- एक बीएसए की रिश्तेदार तो दूसरी की भी पहुंच, उन्हें सिर्फ प्रतिकूल प्रविष्टि
- तीनों स्कूल के बच्चे बीमार तो सस्पेंड एक की हेड क्यों
जुग्गौर के तीनों स्कूलों के बच्चों ने मिड-डे-मील खाया। तीनों ही स्कूलों में बच्चे बीमार हुए लेकिन एक स्कूल की हेड को ही सस्पेंड किया गया। बाकी दो को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई। एक ही अपराध की अलग-अलग सजा दिए जाने से प्रशासन की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं। शिक्षक नेताओं ने आरोप लगाया है कि इतनी बड़ी घटना में शिक्षिकाओं की सजा भी 'जुगाड़' के आधार पर तय की गई है। दरअसल, एक स्कूल की इंचार्ज पश्चिमी यूपी में तैनात एक बीएसए की रिश्तेदार हैं। वहीं दूसरी का भी शासन के बड़े अफसरों से जुगाड़ निकल आया। जिसका कोई जुगाड़ नहीं था, उसे सस्पेंड कर दिया गया।
लखनऊ के चिनहट ब्लॉक में प्राथमिक विद्यालय जुग्गौर-1, जुग्गौर-2 और अपर प्राइमरी स्कूल जुग्गौर में 2 सितंबर को मिड-डे-मील खाने से 82 बच्चे बीमार पड़ गए थे। इन्हें अक्षयपात्र ने भोजन बांटा था। हर स्कूल के हेड मास्टर का जिम्मा होता है कि वह सुनिश्चित करें कि भोजन पूरी तरह सही है। रसोइया और शिक्षक-शिक्षिकाओं को पहले भोजन चखना होता है, उसके बाद बच्चों को दिया जाता है। तीनों ही स्कूल में खाना चखकर नहीं दिया गया और बच्चे बीमार पड़े। मामले की जांच चल रही है लेकिन तात्कालिक कार्रवाई के तौर पर प्राथमिक विद्यालय जुग्गौर-1 की प्रधानाध्यापक मंजू श्रीवास्तव को सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं प्राथमिक विद्यालय जुग्गौर-2 की प्रधानाध्यापक रेनू श्रीवास्तव और पूर्व माध्यमिक विद्यालय जुग्गौर की इंचार्ज विमला सक्सेना को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है।
तीनों पर पहले दो आरोप एक जैसे हैं कि उन्होंने बच्चों को खाना चखकर नहीं दिया। घटना की सूचना अधिकारियों को समय पर नहीं दी। वहीं मंजू श्रीवास्तव पर कुछ और आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने बच्चों को जबरन खाना खाने को मजबूर किया। अभिभावकों से गलत शब्दों का प्रयोग किया और अस्पताल में बच्चों को देखने देर से पहुंचीं। इसी वजह से उन्हें सस्पेंड किया गया है। सूत्रों का कहना है कि पूर्व माध्यमिक विद्यालय की इंचार्ज विमला सक्सेना पश्चिमी यूपी में तैनात एक बीएसए की रिश्तेदार हैं। वहीं दूसरी शिक्षका की भी विभाग के एक उच्चाधिकारी तक पहुंच है। यही वजह है कि दोनों को सस्पेंड नहीं किया गया। सिर्फ मंजू श्रीवास्तव को ही सस्पेंड किया गया।
भोजन बनाने वाली संस्था जो सीधे तौर पर जिम्मेदार है, उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। शिक्षकाओं पर जांच से पहले ही कार्रवाई कर दी गई, जो गलत है। यदि शिक्षिकाओं का दोष है तो एक ही अपराध के लिए दो अलग-अलग सजा नहीं हो सकतीं। यह कार्रवाई संदेह पैदा करती है। - विनय कुमार सिंह, अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन
किसी बीएसए की रिश्तेदार होने की वजह से कार्रवाई में भेदभाव नहीं किया गया है। तात्कालिक परिस्थितियों और स्थानीय लोगों के बयानों के आधार पर कार्रवाई की गई है। सभी ने बताया था कि मंजू श्रीवास्तव ने स्थिति को ठीक से नहीं संभाला। इसी वजह से उन्हें सस्पेंड किया गया। -प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए लखनऊ
खबर साभार : नवभारत टाइम्स
बाल संरक्षण आयोग लखनऊ के बीएसए और अक्षयपात्र को जारी करेगा सम्मन, बीएसए की शिक्षकों पर की गई कार्यवाही पर भेदभाव का आरोप, अक्षयपात्र पर कार्यवाही पर प्रशासन की चुप्पी
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
9:34 AM
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