मिड-डे-मील से गायब हो गया दूध : शासन ने नहीं दिया अतिरिक्त बजट, एनजीओ ने बंद किया वितरण




लखनऊ (डीएनएन)। भले ही राज्य सरकार ने मिड-डे-मील योजना के तहत बच्चों को प्रत्येक बुधवार को 200 ग्राम उबला हुआ दूध देने का आदेश दिया हो। लेकिन परिषदीय विद्यालयों में इसका वितरण नहीं किया जा रहा। आलम यह है कि राजधानी में पिछले कई सप्ताह से मिड-डे-मील में बच्चों को दूध दिया ही नहीं गया। बाजवूद इसके जिम्मेदार अफसरों ने कोई संज्ञान नहीं लिया।वर्तमान में मध्यान्ह भोजन योजना से 1,15,451 प्राथमिक विद्यालय एवं 54,019 उच्च प्राथमिक विद्यालय लाभान्वित हो रहे हैं। इन विद्यालयों में प्राथमिक स्तर पर अध्ययनरत 1.38 करोड़ विद्यार्थी एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर 60.14 लाख विद्यार्थी इस योजना का लाभ दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने बीते 15 जुलाई से मध्यान्ह भोजन के अंतर्गत मेन्यू में परिवर्तन कर दिया था। जिसके तहत बुधवार को कोफ्ता चावल तथा 200 मिली उबला हुआ दूध दिए जाने का प्रावधान किया गया। राजधानी की बात करें तो जुलाई में एक-दो सप्ताह तक परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को दूध दिया गया। लेकिन बाद में अक्षय पात्र फाउंडेशन और स्वयं सेवी संस्थाओं ने यह कहकर दूध वितरण से इंकार कर दिया कि शासन ने दूध के लिए बजट नहीं दिया। इसको लेकर पिछले महीने बीएसए ने एनजीओ से दूध न वितरण किए जाने पर स्पष्टीकरण मांगा था। लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। आलम यह है कि विद्यालयों में बच्चों को मिड-डे-मील में दूध का वितरण नहीं किया जा रहा है। जबकि बुधवार को प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा डिम्पल वर्मा की ओर से प्रेस नोट जारी दावा किया गया है कि दूध का वितरण किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री एवं क्वींस एएस इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ.आरपी मिश्रा ने बताया कि मिड-डे-मील में दूध काफी समय से नहीं आ रहा है। इस पर अधिकारियों को गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए।

खबर साभार : डेली न्यूज एक्टिविस्ट

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