अब खेल की वजह से, पढ़ाई का नुकसान नहीं, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत खेल की वजह से पढ़ाई का नुकसान होने की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव लाने की दिशा होगा काम


नई दिल्ली। देश में खेल और पढ़ाई में तालमेल बैठाने को लेकर कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से खेलों में नाम कमाने वाले छात्रों को नुकसान उठाना पड़ा रहा है। साथ ही भारत इस वजह से दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले खेलों में बुरी तरह पिछड़ रहा है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय अब नई राष्ट्रीय नीति के तहत खेल की वजह से पढ़ाई का नुकसान होने की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव लाने की दिशा में आगे बढ़ गया है। सरकार की ओर से इसके लिए जस्टिस मुद्गल की अध्यक्षता में समिति बनी है। इस समिति में खेल खिलाड़ी और पत्रकार शामिल हैं।

समिति उन संभावनाओं को खंगाल रही है, जिसके जरिए छात्र की खेल की कोचिंग और शैक्षिक कक्षाओं में हाजिरी को लेकर कोई दिक्कत न हो। जस्टिस मुद्गल समिति उच्च शिक्षा में भी खेल नीति को लेकर विचार कर रही है। कमेटी कई बैठकें कर चुकी है और नवंबर के पहले हफ्ते तक मंत्रालय को रिपोर्ट दे देगी। कमेटी में मुद्गल के अलावा पूर्व खिलाड़ी अश्विनी नचियप्पा, खेल पत्रकार बोरिया मजूमदार, मानव संसाधन और खेल मंत्रालय के अधिकारी शामिल हैं। नचियप्पा ने अमर उजाला को बताया कि समिति उच्च शिक्षा में खेल नीति को बनाने के लिए अपनी सिफारिश देगी। सरकार इन सिफारिशों का इस्तेमाल स्कूलों में खेल को बढ़ावा देने लिए भी कर सकती है।

भारत में खेल ग्रास रूट लेवल पर नही
यूरोप और अमेरिका में खेल स्कूल-कॉलेजों के करीकुलम में शामिल है। मगर देश में सबसे बड़ा संकट है कि खेलों को करकिुलम का हिस्सा नहीं बनाया गया। सूत्रों ने बताया कि यह कमेटी इन सभी मुद्दों पर विचार कर रही है। अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ के अध्यक्ष और डबल ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट सेबस्टीयन कहते हैं कि केन्या और जमैका जैसे देश में एथलेटिक्स स्कूल स्तर से शुरू किया जाता है। भारत के पिछडे़पन का यही कारण समझ आता है कि खेल को ग्रास रूट लेवल पर शुरू नहीं किया जाता। विशेषज्ञ बताते है कि कई खिलाड़ियों को खेल के लिए नेशनल टीम में होने के बावजूद बीच में पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

अब खेल की वजह से, पढ़ाई का नुकसान नहीं, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत खेल की वजह से पढ़ाई का नुकसान होने की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव लाने की दिशा होगा काम Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 8:37 AM Rating: 5

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