बीटीसी 2013 के तीसरे और चौथे सेमेस्टर की परीक्षाएं बार बार स्थगित करने की बेतुके और बेवजह निर्णय पर जागरण संपादकीय ने उठाये सवाल
⚫ उदासीनता अनुचित
बीटीसी 2013 के तीसरे और चौथे सेमेस्टर की परीक्षाएं शुरू ही नहीं हो पा रही हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय तय ही नहीं कर पा रहे हैं कि परीक्षाएं कब से प्रारंभ की जाएं। पिछले दिनों किसी तरह इम्तिहान की तारीखें घोषित हुईं लेकिन, चंद दिनों में ही उस पर रोक लगा दी गई। अभ्यर्थी समझ ही नहीं पा रहे कि आखिर विलंब से चल रहा सत्र पूरा होने का नाम क्यों नहीं ले रहा है। वहीं, जो अभ्यर्थी अभी तक चौथे सेमेस्टर में पहुंचे ही नहीं, उनका प्रशिक्षण शुरू करा दिया गया है।
प्रदेश में बीटीसी 2013 प्रथम व द्वितीय काउंसिलिंग के युवाओं का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है। यह अभ्यर्थी शिक्षक बनने की दौड़ में शामिल हो गए हैं लेकिन तृतीय काउंसिलिंग के अभ्यर्थियों का हाल बुरा है। उनकी दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा अगस्त-सितंबर 2016 में हुई। दिसंबर 2016 में ही तीसरे सेमेस्टर का इम्तिहान होना था लेकिन, काफी विलंब के बाद उसका कार्यक्रम पिछले दिनों जारी किया गया। दो दिन बाद ही उस पर रोक लगा दी गई है।
परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने परीक्षाएं रोकने की स्पष्ट वजह बताने की जगह अपरिहार्य कारण गिनाया है। सरकारी विद्यालयों में मौजूद छात्र-छात्रओं की तुलना में अध्यापकों की संख्या बेहद कम है। शासन लगातार अध्यापकों की भर्तियां कर रहा है बावजूद इसके समस्या दूर नहीं हो रही है। ऐसी परिस्थितियों में अध्यापकों का प्रशिक्षिण तक तय अवधि में नहीं पूरा हो पा रहा है, यह एक गंभीर समस्या है। जब अध्यापकों को प्रशिक्षित किए जाने के स्तर पर इतनी लापरवाही बरती जाएगी तो विद्यार्थियों के भविष्य की चिंता कौन करेगा?
सरकारी विद्यालयों में मौजूद. छात्र-छात्रओं की तुलना में. अध्यापकों की संख्या बेहद. कम है। शासन लगातार अध्यापकों की भर्तियां कर रहा है इसके बावजूद समस्या दूर नहीं हो रही है।
अन्य प्रदेशों की तुलना में उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालय बेहद पिछड़े हुए हैं। आधारभूत समस्याओं से लेकर पठन-पाठन के गिरते स्तर से निपटने की चुनौतियां बनी हुई हैं। ऐसा नहीं है कि इन दिक्कतों को दूर करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया। प्रयास पहले भी बहुत सारे किए गए हैं और अब भी जारी हैं पर समस्या पूरी तरह दूर नहीं की जा सकी है। बीटीसी की परीक्षाएं आयोजित करने में लगातार हो रही देरी की वजह समझ में नहीं आ रही है।
अभ्यर्थी परेशान हैं, उन्हें कोई स्पष्ट जानकारी भी नहीं मिल रही है। प्रशिक्षण में यूं ही विलंब होता रहा तो उनका कॅरियर तो प्रभावित होगा ही, राज्य की शिक्षा प्रणाली पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा। नौनिहालों का भविष्य संवारना है तो भावी शिक्षकों के प्रशिक्षण पर पूरा ध्यान देना पड़ेगा।
No comments:
Post a Comment