अटके शिक्षकों की चुनाव ड्यूटी पर संशय, अन्तर्जनपदीय स्थानान्तरण के बाद जिला छोड़कर आये अध्यापकों को नहीं हो सका विद्यालयों का आवंटन
इलाहाबाद : विधानसभा चुनाव घोषणा के ठीक पहले हुए 65 शिक्षकों के तबादले रोक दिए गए हैं, लेकिन किसी का ध्यान उन ढाई हजार से अधिक शिक्षकों पर नहीं जा रहा है, जिनके तबादले चुनाव घोषणा से चंद दिन पहले हुए थे। कुछ जिलों को छोड़कर उनमें से अधिकांश शिक्षकों को अब तक विद्यालयों का आवंटन नहीं हो सका है। ऐसे में ये शिक्षक किस तरह से चुनाव में ड्यूटी कर सकेंगे का जवाब किसी के पास नहीं है। बेसिक शिक्षा अधिकारी आचार संहिता की आड़ लेकर आवंटन कार्य रोके हैं। आयोग ने भी इन तबादलों का अभी तक संज्ञान नहीं लिया है।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा के पहले अफसर व कर्मचारियों के खूब तबादले हुए हैं। इसमें जिले के अंदर से लेकर अंतर जिला तक शामिल हैं। बीते तीन जनवरी को शासन ने 65 परिषदीय शिक्षकों का एक से दूसरे जिले में तबादला किया। इसे चुनाव आयोग ने गंभीरता से लिया और परिषद के अफसरों से जवाब तलब किया।
आयोग ने परिषद से पूछा कि सूबे में बूथ लेबल अधिकारियों के रूप में कार्य कर रहे अध्यापकों के स्थानांतरण के बाद जिलेवार कितने पद रिक्त होंगे और रिक्त पदों पर अध्यापकों को कब तक नियुक्त किया जाएगा। इस पर परिषद सचिव संजय सिन्हा ने बीते 23 जनवरी को ही बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर तबादला आदेश पर रोक लगा दी। साथ ही सभी जिलों से रिक्त पदों की रिपोर्ट भी मांग ली। हालांकि शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने शिक्षकों के तबादले पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है।
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