याची अपार, अयोग्य हों दरकिनार, शिक्षक बनने को 60 हजार से अधिक याची अपनी बारी के इंतजार में
⚫ बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षक पद पर नियुक्ति का मामला
⚫ शिक्षक बनने को 60 हजार से अधिक याची अपनी बारी के इंतजार में
इलाहाबाद : प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में योग्य अभ्यर्थियों को शिक्षक बनाने का मुद्दा फिर चर्चा में है। इस बार साथी ही प्रशिक्षु शिक्षकों के में हैं। उनका कहना है कि योग्य अभ्यर्थियों की भरमार है, तब अयोग्य को महकमा क्यों गले लगा रहा है। स्क्रूटनी करके ऐसे प्रशिक्षु बाहर किए जाएं, जो शिक्षक बनने की अर्हता नहीं पूरी करते हैं। साथ ही सभी याचियों को शिक्षक के रूप में जल्द नियुक्त किया जाए।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में शीर्ष कोर्ट के निर्देश पर 1100 याचियों को तदर्थ शिक्षक के रूप में तैनाती का निर्देश देने के बाद से तस्वीर ही बदल गई है। हालांकि विभाग ने महज 862 लोगों को ही अब तक नियुक्ति दी है और उनमें से 839 ने ही प्रशिक्षु शिक्षक परीक्षा उत्तीर्ण करके मौलिक नियुक्ति पाने का हक जताया है। इसी बीच हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि जिन्हें नियुक्ति मिली हैं उनमें से करीब 40 फीसद योग्य ही नहीं है। यह अभ्यर्थी आवेदन व अंकों के पैमाने पर फेल हो रहे हैं। इसके बाद से याची ही मौलिक नियुक्ति के दावेदार के खिलाफ खड़े हो गए हैं। उनका कहना है कि बड़ी संख्या में युवा शिक्षक बनने की कतार में है उनमें से योग्य अभ्यर्थियों को ही तैनाती दी जाए।
असल में सात दिसंबर 2015 का शीर्ष कोर्ट का निर्देश आने के बाद अधिकांश युवा शिक्षक बनने के लिए याची बन गए हैं। युवाओं की मानें तो उनकी तादाद 68 हजार 15 है। वहीं कोर्ट में विभाग का दावा है कि याचियों की तादाद 34 हजार 905 है। तमाम युवाओं ने दो-दो बार दावेदारी की है और कईयों के आइए तक नहीं हैं। यदि विभागीय आंकड़े को ही सही माने तो भी दावेदारों की संख्या काफी अधिक है। यह सभी कई बार नियुक्ति के लिए परिषद मुख्यालय पर प्रदर्शन कर चुके हैं। अब उनकी मांग है कि शिक्षक के रूप में योग्य अभ्यर्थी ही नियुक्त होने चाहिए, जो नियमानुसार नहीं है उन्हें बाहर किया जाए।
परिषदीय विद्यालयों के लिए ऐसा ही नजारा पहले शिक्षामित्रों को समायोजित शिक्षक बनाने के दौरान दिखा था। हालांकि उस समय अयोग्य को बाहर करने की मांग साथी शिक्षामित्रों की जगह वह युवा उठा रहे थे, जो चयनित नहीं हो सके हैं।
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