RTE में आवंटित सीटों के मुकाबले केवल 50 प्रतिशत गरीब बच्चों का ही हो सका दाखिला, सभी बीएसए को नोटिस जारी कर मांगा सीटों का ब्योरा

RTE में आवंटित सीटों के मुकाबले केवल 50 प्रतिशत गरीब बच्चों का ही हो सका दाखिला,  सभी बीएसए को नोटिस जारी कर मांगा सीटों का ब्योरा

1.34 लाख चयनितों में से 67 हजार बच्चों को निजी स्कूलों में मिल सका प्रवेश

इस बार भी सूबे में आधे बच्चों को ही मिल सका आरटीई अंतर्गत एडमिशन, हर साल की तरह निजी स्कूलों पर शिकंजा कसने का एलान


लखनऊ : शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत गरीब बच्चों को मुफ्त दाखिला देने से कतरा रहे हैं। लाटरी के माध्यम से 1.34 लाख गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए सीटें आवंटित की गईं, लेकिन इसमें से 67,040 विद्यार्थियों को ही दाखिला मिल सका है। ऐसे में अब सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को नोटिस भेजकर जवाब-तलब किया गया है। एक-एक सीट का ब्योरा मांगा गया है। अब दाखिला न देने वाले निजी स्कूलों पर शिकंजा कसा जाएगा।


प्रदेश भर में इस वर्ष आरटीई के तहत निश्शुल्क दाखिले के लिए कुल 2.85 लाख आवेदन किए गए और 2.08 लाख आवेदन सत्यापित किए गए चार चरणों की लाटरी की प्रक्रिया के माध्यम से 1.34 लाख सीटें आवंटित की गईं, लेकिन 50 प्रतिशत सीटों पर ही प्रवेश हो पाए हैं। 


यह हाल तब है जबकि कुल 43,700 निजी स्कूलों में आरटीई के तहत प्रवेश के लिए 4.10 लाख सीटें हैं। वहीं बीते वर्ष 82 हजार गरीब बच्चों के प्रवेश हुए थे। ऐसे में इस वर्ष अभी तक पिछले साल के मुकाबले कम प्रवेश हुए हैं। 


आरटीई के तहत गरीब परिवार के बच्चों को निजी स्कूलों में कक्षा एक से कक्षा आठ तक 25 प्रतिशत सीटों पर निश्शुल्क प्रवेश दिया जाता है। बेसिक शिक्षा विभाग प्रति छात्र प्रति महीना 450 रुपये फीस प्रतिपूर्ति के रूप में देता है। वहीं पांच हजार रुपये स्टेशनरी इत्यादि खरीदने को अलग से दिए जाते हैं। करीब पांच साल बाद इस वर्ष आरटीई के तहत 176 करोड़ रुपये का बजट भी जिलों को जारी किया गया है, फिर भी निजी स्कूल दाखिला नहीं ले रहे ।
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