अब परिषदीय स्कूलों में बालवाटिका–3 अर्थात 'UKG' की पढ़ाई, बेसिक शिक्षा विभाग ने शासन को प्रस्ताव भेजा

अब परिषदीय स्कूलों में बालवाटिका–3 अर्थात 'UKG' की पढ़ाई, बेसिक शिक्षा विभाग ने शासन को प्रस्ताव भेजा


लखनऊ : अब सभी सरकारी परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को निजी स्कूलों जैसी 'यूकेजी' यानी बालवाटिका-3 की पढ़ाई की सुविधा मिलेगी। प्राथमिक स्कूलों में पांच से छह वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए यह व्यवस्था लागू करने की तैयारी की जा रही है। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप की जा रही है, जिसमें कहा गया है कि पहली कक्षा में प्रवेश के लिए बच्चे की आयु कम से कम छह वर्ष होनी चाहिए। ऐसे में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को जरूरी माना गया है।


प्रदेश में कुल 1,11,621 परिषदीय प्राथमिक व कम्पोजिट विद्यालय संचालित हैं। इनमें से 70,494 विद्यालयों के परिसर में पहले से ही आंगनबाड़ी केंद्र मौजूद हैं, जहां बालवाटिका-1 से लेकर बालवाटिका-3 तक की शिक्षा दी जा रही है। इन केंद्रों में तीन से छह वर्ष के बच्चों का नामांकन होता है। अब बेसिक शिक्षा विभाग ने शेष बचे 41,127 विद्यालयों में भी 'यूकेजी' की कक्षाएं शुरू करने का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया है। 


प्रस्ताव के अनुसार, जिन विद्यालयों में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं हैं, वहां पांच से छह वर्ष के बच्चों का नामांकन अभियान चलाकर किया जाएगा। यदि विद्यालय में अतिरिक्त कक्ष उपलब्ध है तो 'यूकेजी' वहीं संचालित की जाएगी, अन्यथा कक्षा-1 के साथ बैठाकर पढ़ाया जाएगा। शिक्षा विभाग ने यूकेजी के संचालन के लिए शिक्षामित्रों और सहायक अध्यापकों को आवश्यक प्रशिक्षण देने की भी योजना बनाई है। भविष्य में यहां विशेष प्रशिक्षित 'ईसीसीई एजुकेटर्स' भी तैनात किए जाएंगे। 


इन बच्चों को मिड-डे, मील की सुविधा भी दी जाएगी। इन कक्षाओं में खेल व गतिविधि आधारित शिक्षण की व्यवस्था होगी। साथ ही, स्टेशनरी, लर्निंग कार्नर, वंडर बाक्स जैसी सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी, जैसा कि को-लोकेटेड आंगनबाड़ियों में किया जा रहा है। इससे सरकारी विद्यालयों में प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता में बड़ा सुधार आने की उम्मीद है, जिससे अभिभावकों का विश्वास भी विद्यालयों की ओर बढ़ेगा।
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