प्राइमरी शिक्षकों के हुए अन्तर्जनपदीय तबादले पर हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ की रोक, राज्य सरकार द्वारा सीधे जारी आदेशों की वैधता को दी गयी थी चुनौती
लखनऊ : हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्राथमिक व बेसिक विद्यालयों के शिक्षकों के तबादले पर रोक लगा दी है। अदालत ने राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे अंतरजनपदीय तबादलों पर कहा है कि तीन जनवरी, 2017 के पहले शिक्षक जहां काम कर रहे थे उन्हें वहां फिर भेजा जाए।
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आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने याची मुहम्मद आरिफ सहित कई अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर दिए हैं। याचिका में राज्य सरकार द्वारा तीन जनवरी, 2017 को जारी स्थानांतरण आदेश की वैधता को चुनौती दी गई थी।
⚫ प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों के अंतर जनपदीय तबादलों पर रोक
⚫ तीन जनवरी 2017 के पहले शिक्षक जहां काम कर रहे थे वहां उनको पुन: भेजा जाए
लखनऊ । हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों के अंतर जनपदीय तबादलों पर रोक लगा दी है। अदालत ने राज्य सरकार द्वारा किए गये अंतरजनपदीय तबादलों पर रोक लगाते हुए कहा है कि तीन जनवरी 2017 के पहले शिक्षक जहां काम कर रहे थे वहां उनको पुन: भेजा जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने याची मोहम्मद आरिफ सहित कई अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर दिए हैं। गौरतलब है कि याचिकाएं दायर कर राज्य सरकार द्वारा 3 जनवरी 2017 को जारी अध्यापकों के स्थान्तरण आदेश की वैधता को चुनौती दी थी ।
इस मामले में अदालत ने विशेष सचिव बेसिक शिक्षा को तलब किया था । अदालत ने सुनवाई के बाद सरकार द्वारा किये गए सभी तबादलों पर रोक लगा दी है । इस आदेश से प्रदेश के सैकड़ों अध्यापको को राहत मिली है। अदालत ने 3 जनवरी के बाद किये गए तबादलों को नियम विरुद्ध माना है ।याचिका दायर कर प्रदेश के लगभग 200 शिक्षकों ने अदालत से कहा हैं कि स्थानान्तण के नियम-कायदों को धता बताकर गैरकानूनी तरीके से सबके तबादले कर दिए गए।
आरोप लगाया गया कि पिछले 23 जून 2016 के साशनादेश तथा स्थानान्तरण नियम 21 के तहत प्राइमरी विद्यालयों के शिक्षकों का तबादला सचिव बेसिक शिक्षा के अनुमोदन पर ही होगा। कहा गया कि इन सभी नियमों की अनदेखी करके 3 जनवरी को अंतरजनपदीय स्थानान्तरण कर दिए गए। अदालत ने अपने आदेश में राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगते हुए नियम विरुद्ध किये गए सभी गैरजनपदीय तबादलों पर रोक लगा दी है। अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद नियत की है ।

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