निजी स्कूलों का हाल : दाखिला तो मिला, लेकिन किताबें और यूनीफार्म नहीं, बेसिक शिक्षा विभाग ने शासन से जतायी बेबसी
लखनऊ। शिक्षा के अधिकार के तहत गरीब बच्चों का निजी स्कूलों में
दाखिला कराकर बेसिक शिक्षा विभाग भले ही अपनी पीठ ठोंक रहा हो, लेकिन ऐसे
नौनिहाल और उनके अभिभावक अब खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। विभाग ने महंगी
फीस वाले निजी स्कूलों में गरीब बच्चों का दाखिला तो करा दिया, लेकिन
किताबें व यूनीफार्म मुहैया कराने से हाथ खड़े कर दिए हैं।
वजह यह है कि गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने पर विभाग अधिकतम 450 रुपये प्रति माह प्रति बच्चा की दर से स्कूलों को सिर्फ फीस की प्रतिपूर्ति करता है। किताबों और यूनीफार्म मुहैया कराने के लिए उसके पास बजट नहीं है। चालू शैक्षिक सत्र में प्रदेश में असेवित वार्डो के निजी स्कूलों की कक्षा एक में 924 बच्चों के दाखिले कराए गए हैं। वर्ष 2013-14 व 2014-15 के दौरान निजी स्कूलों में 155 बच्चों को प्रवेश दिलाया गया था। निजी स्कूलों में दाखिला पाने वाले कुल 1079 बच्चों की फीस की प्रतिपूर्ति के लिए 450 रुपये प्रति बच्चे की दर से साल भर में 58.27 लाख रुपये की दरकार होगी। चालू वित्तीय वर्ष के बजट में इस मद में कुल 50 लाख रुपये की व्यवस्था की गई है। निजी स्कूलों में दाखिला पाने वाले गरीब बच्चों के अभिभावक अपने नौनिहालों को अपेक्षाकृत महंगी किताबें और यूनीफार्म मुहैया कराने के संकट से जूझ रहे हैं। ऐसे में निदेशक बेसिक शिक्षा डीबी शर्मा ने शासन को पत्र लिखकर बजट का रोना रोते हुए इस बारे में विभाग की मजबूरी बतायी है। पत्र में उन्होंने साफ कह दिया है कि इन बच्चों के लिए पाठ्य पुस्तकें और यूनीफार्म मुहैया कराने का वित्तीय प्रस्ताव भेज पाना संभव नहीं है। परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले सभी बच्चों को सरकार निश्शुल्क पाठ्य पुस्तकें और साल में दो सेट यूनीफार्म मुहैया कराती है।
यह है नियम : निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 12(1)(सी) में व्यवस्था है कि निजी स्कूल पड़ोस में रहने वाले गरीब बच्चों को कक्षा एक की 25 फीसद सीटों पर प्रवेश देंगे और उन्हें कक्षा आठ तक शिक्षा देंगे। इसमें बदलाव करते हुए राज्य सरकार ने यह व्यवस्था की है कि जिन इलाकों में कोई भी सरकारी या अनुदानित विद्यालय नहीं होगा, वहां गरीब बच्चों को पड़ोस के निजी स्कूल की कक्षा एक में दाखिला दिलाया जाएगा। सरकार ने तय किया है कि इसके लिए निजी स्कूलों को प्रति बच्चा 450 रुपये प्रति माह की दर से या स्कूल की फीस, जो भी कम हो, शुल्क प्रतिपूर्ति की जाएगी।
वजह यह है कि गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने पर विभाग अधिकतम 450 रुपये प्रति माह प्रति बच्चा की दर से स्कूलों को सिर्फ फीस की प्रतिपूर्ति करता है। किताबों और यूनीफार्म मुहैया कराने के लिए उसके पास बजट नहीं है। चालू शैक्षिक सत्र में प्रदेश में असेवित वार्डो के निजी स्कूलों की कक्षा एक में 924 बच्चों के दाखिले कराए गए हैं। वर्ष 2013-14 व 2014-15 के दौरान निजी स्कूलों में 155 बच्चों को प्रवेश दिलाया गया था। निजी स्कूलों में दाखिला पाने वाले कुल 1079 बच्चों की फीस की प्रतिपूर्ति के लिए 450 रुपये प्रति बच्चे की दर से साल भर में 58.27 लाख रुपये की दरकार होगी। चालू वित्तीय वर्ष के बजट में इस मद में कुल 50 लाख रुपये की व्यवस्था की गई है। निजी स्कूलों में दाखिला पाने वाले गरीब बच्चों के अभिभावक अपने नौनिहालों को अपेक्षाकृत महंगी किताबें और यूनीफार्म मुहैया कराने के संकट से जूझ रहे हैं। ऐसे में निदेशक बेसिक शिक्षा डीबी शर्मा ने शासन को पत्र लिखकर बजट का रोना रोते हुए इस बारे में विभाग की मजबूरी बतायी है। पत्र में उन्होंने साफ कह दिया है कि इन बच्चों के लिए पाठ्य पुस्तकें और यूनीफार्म मुहैया कराने का वित्तीय प्रस्ताव भेज पाना संभव नहीं है। परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले सभी बच्चों को सरकार निश्शुल्क पाठ्य पुस्तकें और साल में दो सेट यूनीफार्म मुहैया कराती है।
यह है नियम : निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 12(1)(सी) में व्यवस्था है कि निजी स्कूल पड़ोस में रहने वाले गरीब बच्चों को कक्षा एक की 25 फीसद सीटों पर प्रवेश देंगे और उन्हें कक्षा आठ तक शिक्षा देंगे। इसमें बदलाव करते हुए राज्य सरकार ने यह व्यवस्था की है कि जिन इलाकों में कोई भी सरकारी या अनुदानित विद्यालय नहीं होगा, वहां गरीब बच्चों को पड़ोस के निजी स्कूल की कक्षा एक में दाखिला दिलाया जाएगा। सरकार ने तय किया है कि इसके लिए निजी स्कूलों को प्रति बच्चा 450 रुपये प्रति माह की दर से या स्कूल की फीस, जो भी कम हो, शुल्क प्रतिपूर्ति की जाएगी।
बेसिक शिक्षा विभाग ने शासन से जतायी बेबसीनिजी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को किताबें और यूनीफार्म उपलब्ध कराने के लिए शासन स्तर पर विचार मंथन हो रहा है। इसके लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार से धनराशि मांगी जाएगी।-डीबी शर्मा, निदेशक, बेसिक शिक्षा
निजी स्कूलों का हाल : दाखिला तो मिला, लेकिन किताबें और यूनीफार्म नहीं, बेसिक शिक्षा विभाग ने शासन से जतायी बेबसी
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
7:27 AM
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