पुरानी पेंशन नीति मामला : केंद्र का निर्णय देख किया जाएगा विचार


दैनिक वेतन भोगी और वर्कचार्ज कर्मचारियों का ब्योरा मांगा जाएगा
लखनऊ : राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह पुरानी पेंशन व्यवस्था पर तब विचार करेगी, जब केंद्र सरकार इसे लागू करेगी। कर्मचारी-शिक्षक संयुक्त मोर्चा ने नवीन पेंशन योजना समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग रखी थी। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि केंद्र सरकार की तरफ से लागू की गई पुनरीक्षित पेंशन योजना को ही स्वीकार किया गया है। ऐसे में केंद्र सरकार के निर्णय पर ही राज्य सरकार कोई निर्णय लेगी। 

एक जून को कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों की प्रमुख सचिव वित्त की अध्यक्षता में हुई बैठक का कार्यवृत्त मंगलवार को जारी किया गया। सचिव वित्त अजय अग्रवाल की तरफ से जारी कार्यवृत्त में 18 मांगों पर सरकार की मंशा से अवगत करा दिया गया है। राज्य सरकार ने कर्मचारियों की अधिकांश मांगों को अस्वीकार करते हुए कुछ पर विचार करने का आश्वासन दिया है। 29 जून 1991 के पश्चात नियुक्त दैनिक वेतन भोगी और वर्कचार्ज कर्मचारियों को विनियमितीकरण करने की मांग पर सरकार की तरफ से कहा गया है कि सभी विभागों से एक माह में रिपोर्ट मंगाकर किसी निर्णय पर विचार किया जाएगा। तदर्थ शिक्षकों का विनियमितीकरण करने की मांग पर कहा गया कि प्रशासनिक विभाग से विनियमित करने का प्रस्ताव मिलने पर वित्त विभाग से विचार किया जाए और पदोन्नति में स्नातकोत्तर योग्यता की अनिवार्यता समाप्त करने व सभी कर्मचारियों के लिए एपीसी की अनुमन्यता में अवर अभियंताओं की भांति 4800 ग्रेड पे को इग्नोर करने और धारित पद की बाध्यता समाप्त करने की मांग को औचित्यहीन बताया गया। सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों की तरह महंगाई को छोड़कर अन्य भत्ताें में समानता की मांग को भी नहीं माना है। सरकार ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती आवश्यकतानुसार केस टू केस होगी और उनके वर्दी धुलाई भत्ता 40 रुपये से बढ़ाकर पांच सौ रुपये किए जाने पर विचार किया जाएगा। सरकार के निर्णय पर मोर्चा अध्यक्ष वीपी मिश्र, सतीश कुमार पांडेय, शशि कुमार मिश्र, सुशील कुमार बच्चा ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही मांगों पर निर्णय जारी होंगे।

खबर साभार : दैनिक जागरण

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