MDM के दूध से बच्चों के बीमार पड़ने पर अफसर भी चिंतित,विभाग को भेजे गए कई सुझाव, योजना में बदलाव के लिए सरकार पर भी लगातार दबाव बढ़ रहा




लखनऊ : कैंट स्थित तोपखाना बाजार में कैंटोनमेंट बोर्ड की ओर से संचालित माध्यमिक एवं प्राइमरी पाठशाला में बुधवार को मिड-डे-मील में दूध पीने के बाद 77 से अधिक बच्चे बीमार हो गए थे। घटना के बाद से दोनों स्कूलों के बच्चों में दहशत है। एमडीएम भेजने वाली संस्था अक्षय पात्र ने गुरुवार को सब्जी रोटी भेजी थी, लेकिन बच्चों ने खाने से इनकार कर दिया। शिक्षकों के समझाने में कुछ ही बच्चे मिड-डे-मील लेने को तैयार हुए।
 
मिड-डे-मील में दूध दिए जाने के बाद बच्चों के बीमार पड़ने से सभी सहमे हुए हैं। इस योजना में बदलाव के लिए सरकार पर भी लगातार दबाव बढ़ रहा है। मिड-डे-मील बांटने वाले एनजीओ, ग्राम प्रधान और शिक्षकों से लेकर कई डीएम तक ने सरकार को इस बारे में लिखा है। उन्होंने दूध के विकल्प के तौर पर फल अथवा कुछ अन्य पौष्टिक आहार देने के सुझाव भी दिए हैं।

एमडीएम योजना में दूध बांटने की शुरुआत इसी साल 15 जुलाई से हुई है। इस योजना पर पहले ही शिक्षकों की ओर से कई आशंकाएं जताई गई थीं। पहले दिन दूध बांटा गया तो लखीमपुर में दो दर्जन बच्चे बीमार पड़ गए। इसे ओवर ईटिंग बताते हुए बदलाव किया गया कि बुधवार के मेन्यू में कोफ्ता और दूध एक साथ न दिया जाए। बच्चों को स्कूल आते ही पहले दूध दे दिया जाए। उसके बाद दोपहर के खाने में कोफ्ता दिया जाए। इसके बावजूद हर हफ्ते जिलों से मिलावटी दूध मिलने और कई तरह की शिकायतें आ रही हैं।

कुछ आए हुये सुझाव:
• मिड डे मील की कन्वर्जन कॉस्ट बढ़ाई जाए। एक दिन 200 मिली दूध देने के लिए नौ रुपये अतिरिक्त चाहिए।
• पर्याप्त मात्रा में दूध उपलब्ध करवाने की व्यवस्था खुद सरकार करे
• दूध की जगह फल, बिस्किट, दलिया या कोई अन्य पौष्टिक आहार दिया जाए
• स्कूलों और एनजीओ पर ही जिम्मेदारी दी है तो उन्हें ही यह तय करने का हक दिया जाए कि क्या पौष्टिक आहार दिया जाए

  • दर्जन भर डीएम ने भेजीं चिट्ठियां
लखनऊ में 29 जुलाई को हुई घटना के बाद से तो सभी और ज्यादा सहम गए हैं। ज्यादातर जिलों में एनजीओ और ग्राम प्रधानों ने दूध देने में असमर्थता जताई है। उन्होंने इस बारे में जिलों के डीएम और बीएसए को चिट्ठी लिखी है। जिलाधिकारियों ने इन चिट्ठियों और सुझावों को मिड डे मील अथॉरिटी और बेसिक शिक्षा विभाग के पास भेजा है। करीब दर्जन भर जिलाधिकारियों ने ये चिट्ठियां महकमे को भेजी हैं। कानपुर की जिलाधिकारी रौशन जैकब ने ऐसी कई चिट्ठियां भेजी हैं। बाकी अफसर भी दूध वितरण में असमर्थता जता रहे हैं लेकिन सीएम की पहल पर शुरू होने वाली योजना का वह सीधे विरोध नहीं कर पा रहे।

कुछ जिलाधिकारियों ने दूध की उपलब्धता न होने और व्यवस्था को बेहतर बनाने के सुझाव भेजे हैं। हम व्यवस्था बेहतर करने के साथ सुझावों पर भी विचार कर रहे हैं। -श्रद्धा मिश्रा, निदेशक, एमडीएम अथॉरिटी

बच्चों के स्वास्थ्य के लिए दूध बंटवाया जा रहा है। कुछ एनजीओ दूध नहीं उपलब्ध करा पा रहे पर व्यवस्था बेहतर करने के प्रयास हो रहे हैं। -राम गोविंद चौधरी, बेसिक शिक्षा मंत्री

सरकार को इस योजना पर पुनर्विचार करना चाहिए। पौष्टिक आहार देने की बात है तो मौसमी फल और अन्य विकल्प हो सकते हैं।-विनय कुमार सिंह, अध्यक्ष प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन






खबर साभार : नवभारत टाइम्स 

Enter Your E-MAIL for Free Updates :   
MDM के दूध से बच्चों के बीमार पड़ने पर अफसर भी चिंतित,विभाग को भेजे गए कई सुझाव, योजना में बदलाव के लिए सरकार पर भी लगातार दबाव बढ़ रहा Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 8:55 AM Rating: 5

No comments:

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.