सरकारी व्यवस्था के दावों का हाल, सेहत से खिलवाड़, जिम्मेदार कौन? योजना पर सवाल ही सवाल लेकिन जवाब देने को नहीं है कोई तैयार
- सरकारी व्यवस्था के दावों का हाल
- सेहत से खिलवाड़, जिम्मेदार कौन?
मिड डे मील योजना के तहत बच्चों को पौष्टिक भोजन देने
के अक्षय पात्र संस्थाओं के दावे के बावजूद मिड डे मील में कई बार
गड़बड़ियां सामने आई हैं। पराग की ओर से गुणवत्तायुक्त दूध की आपूर्ति करने
के दावे के बावजूद दूध पीने से नौनिहालों की सेहत बिगड़ गई।
आरोप-प्रत्यारोप के बीच एक दूसरे को सही बताने में जिम्मेदार लगे हैं,
लेकिन इन बच्चों की सेहत के साथ हो रहे खिलवाड़ का जिम्मेदार कौन है?
अधिकारी मामले की जांच कर दूध का दूध और पानी का पानी करने का दावा भले ही
कर रहे हैं, लेकिन बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हुआ है। ऐसा क्यों
हुआ इसका जवाब कोई देने को तैयार नहीं है।
योजना को लेकर संशय : बच्चों को
दूध वितरण का न तो शासनादेश जारी हुआ और न ही पराग को वितरण की जिम्मेदारी
दी गई। 13 जुलाई को बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी, पराग
महाप्रबंधक दिनेश कुमार सिंह और मिड डे मील में लगी संस्थाओं के बीच हुई
बैठक में अक्षय पात्र को छोड़कर सभी ने दूध वितरण पर सहमति व्यक्त
की थी। 15 जुलाई को राजधानी में पहले दिन 1500 लीटर दूध का वितरण किया गया।
अतिरिक्त बजट पर निर्णय होने पर दूसरी बार संस्थाओं ने दूध लेने से मना कर
दिया तो पराग 70 हजार बकाए का रोना रोने लगा। दूसरी बार दूध का वितरण नहीं
हो सका। तीसरी बार दूध का वितरण बच्चों की सेहत पर भारी पड़ गया। ऐसे में
अब इस योजना पर ही सवाल उठने लगे हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
- भोजन करने के एक घंटे पहले या बाद में दूध का सेवन करना चाहिए।
- गरम खाने के बाद ठंडा दूध सेहत के लिए हानिकारक है।
- फ्लेवर्ड दूध चार डिग्री तक होने पर दो दिन इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन तापमान ऊपर होने पर कभी भी खराब हो सकता है।
- पैकेट बंद दूध को फ्रिज में स्टोर करें और पैकेट खोलने के बाद उसे गरम अवश्य करें।
- दही फ्रिज में रखकर सात दिन तक प्रयोग किया जा सकता है।
- पैकेट बंद दूध की निर्माण और वैद्यता तिथि की जांच के बगैर दूध या दुग्ध उत्पादों का इस्तेमाल न करें।
- बाजार से खुला दूध बगैर गरम किए इस्तेमाल न करें।
- गरम और ठंडा दूध मिलाकर कभी प्रयोग न करें।
सरकारी व्यवस्था के दावों का हाल, सेहत से खिलवाड़, जिम्मेदार कौन? योजना पर सवाल ही सवाल लेकिन जवाब देने को नहीं है कोई तैयार
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
8:49 AM
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