मिड-डे मील में पराग का फ्लेवर्ड दूध पीकर 70 बच्चे बीमार, सभी बच्चे खतरे से बाहर शासन ने तलब की रिपोर्ट
- मिड-डे मील का दूध पीकर 70 बच्चे बीमार
- सभी बच्चे खतरे से बाहर शासन ने तलब की रिपोर्ट
- शाहजहांपुर में दूध कम पड़ा तो मिलाया पाउडर, 9 बच्चे बीमार
कैंट बोर्ड के तोपखाना और रजमन बाजार प्राथमिक स्कूलों में दिया गया था पराग का फ्लेवर्ड मिल्क
लखनऊ (ब्यूरो)। मिड-डे मील में बांटा गया पराग का फ्लेवर्ड दूध पीते ही राजधानी में बुधवार को तोपखाना और रजमन बाजार के प्राथमिक स्कूल के 70 बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। उल्टी और पेटदर्द की शिकायत पर बच्चों को कैंटोनमेंट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। हालांकि प्राथमिक उपचार के बाद ज्यादातर बच्चों को घर भेज दिया गया। जिलाधिकारी राजशेखर ने सिटी मजिस्ट्रेट शत्रुहन वैश्य को जांच के निर्देश दिए हैं। साथ ही एफएसडीए ने दूध के नमूने लैब टेस्टिंग के लिए भेजे हैं। सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने भी लखनऊ के बीएसए से रिपोर्ट तलब की है।
शाहजहांपुर (ब्यूरो)। जिलें के कुंभिया माफी गांव के प्राथमिक स्कूल में बुधवार को दूध पीने के बाद नौ बच्चों की हालत बिगड़ गई। दो बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उल्टी-दस्त होने पर शिक्षक आधे घंटे पहले ही स्कूल की छुट्टी करके भाग गए। स्कूल में बुधवार को आए 94 बच्चों को बांटने के लिए गांव से सात लीटर दूध लिया गया था। ग्रामीणों का आरोप है कि कम पड़ने पर उसमें दूध पाउडर मिला दिया गया।
तोपखाना स्कूल के बच्चों के मुताबिक दूध खट्टा और बदबूदार था। इसकी शिकायत उन्होंने शिक्षिकाओं से की तो उन्होंने दूध ठीक बताया। साथ ही हिदायत दी कि पूरा दूध खत्म करके ही क्लास में आएं। लिहाजा वे दूध पी गए। बच्चों के मुताबिक उन्होंने दर्द और उल्टी की शिकायत की तो उन्हें पानी पीने को कहा गया। शिक्षिकाओं ने यह भी कहा कि थोड़ी देर पेड़ के नीचे बैठने से दर्द और तकलीफ दूर हो जाएगी।
बच्चों के बीमार होने की सूचना पाकर परिवारीजन अस्पताल पहुंच गए। माएं बच्चों को देखकर रो पड़ीं। परिवारीजनों ने स्कूलों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया।
खबर साभार : अमर उजाला
जिस तोपखाना स्थित माध्यमिक विद्यालय आरए बाजार में सुबह रोजाना शांत माहौल में पढ़ाई होती थी, बुधवार को वहां अफरा-तफरी का माहौल था। बच्चों की तबियत अचानक खराब होने की जानकारी पर अभिभावकों के पैरों तले जमीन निकल गई। स्कूल परिसर में ही रोना-पिटना मच गया। अभिभावकों की आंखें अपने लाडले को इधर-उधर ढूंढती रहीं। बच्चों की दादी हो या मां, सभी स्कूल के शिक्षकों से एक ही सवाल पूछ रहे थे, आखिर मेरे बच्चों की तबियत कैसी है। प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अभिभावकों ने स्कूल में हंगामा शुरू कर दिया। अभिभावक सिर्फ एक ही बात कहते रहे..आखिर इस तरह का दूध क्यों दिया गया। जिससे बच्चों की जान पर बन आई।
- स्कूल में मची अफरातफरी, रोते हुए पहुंचे अभिभावक
- लापरवाही का आरोप लगाकर किया हंगामा
- अक्षय पात्र के मिड-डे-मील पर उठे सवाल कर्मचारी भाग निकले, फेंका गया खाना
- मौके पर पहुंचे सीईओ, बीएसए
- मिल्क फूड सैंपल टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद होगी कार्रवाई : डीएम
- कढ़ी में पकौड़ी की जगह दे दिए चने
- मिड-डे-मील मिल्क से बच्चों के बीमार होने की जांच सिटी मजिस्ट्रेट को
जिस तोपखाना स्थित माध्यमिक विद्यालय आरए बाजार में सुबह रोजाना शांत माहौल में पढ़ाई होती थी, बुधवार को वहां अफरा-तफरी का माहौल था। बच्चों की तबियत अचानक खराब होने की जानकारी पर अभिभावकों के पैरों तले जमीन निकल गई। स्कूल परिसर में ही रोना-पिटना मच गया। अभिभावकों की आंखें अपने लाडले को इधर-उधर ढूंढती रहीं। बच्चों की दादी हो या मां, सभी स्कूल के शिक्षकों से एक ही सवाल पूछ रहे थे, आखिर मेरे बच्चों की तबियत कैसी है। प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अभिभावकों ने स्कूल में हंगामा शुरू कर दिया। अभिभावक सिर्फ एक ही बात कहते रहे..आखिर इस तरह का दूध क्यों दिया गया। जिससे बच्चों की जान पर बन आई।
बुधवार को अक्षय पात्र फाउंडेशन की ओर से दिया गया दूध पीने से माध्यमिक विद्यालय आरए बाजार में पढ़ने वाले 55 बच्चों की तबियत बिगड़ गई। जिससे स्कूल में हड़कंप मच गया। जानकारी पर वार्ड नंबर दो के सभासद प्रमोद शर्मा मौके पर पहुंचे और तत्काल बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराने की व्यवस्था शुरू कराई। इस दौरान बच्चों के अभिभावकों को भी सूचना मिलते ही स्कूल में अफरा-तफरी मच गई। बच्चों के अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन पर आरोप लगाया कि उन्हें काफी देर बाद इसकी जानकारी दी गई। उधर, इतनी बड़ी संख्या में दूध पीने से बीमार बच्चों के अस्पताल में पहुंचे पर वहां भी अफरा-तफरी मच गई। अस्पताल में इंचार्ज डॉ.एससी जोशी ने तुरंत बच्चों का इलाज शुरू कराया। डॉ.जोशी के मुताबिक 75 बच्चे दूध पीने से बीमार होकर अस्पताल में लाए गए थे। उनका इलाज किया जा रहा है। जो अब ठीक हो गए हैं, उन्हें घर भेज दिया गया है। उनका कहना है कि दूध पीने से आखिर कैसे बच्चे बीमार हुए, यह जांच के बाद ही पता चल सकेगा।
कहां है मेरा पोता... कोई तो बताएनातिन की तबियत बिगड़ने पर एक बच्चे की बूढ़ी नानी राबिया लड़खड़ाते हुए स्कूल पहुंचीं। उनकी आंखों में आंसू झलक रहे थे..सभी से वह यही पूछ रही थीं कि आखिर उनकी नातिन साफरीन कहां है, उसकी तबियत कैसी है। कक्षा दो की छात्रा निशा के परिजनों ने आरोप लगाया कि स्टाफ ने उन्हें समय से सूचना नहीं दी। कक्षा छह के छात्र जतिन की तबियत खराब होने पर स्कूल पहुंचीं उनकी दादी लता व मां रीता का रो-रो कर बुरा हाल था। कैंटोमेंट बोर्ड के कर्मचारी उमेश कुमार ने भी स्कूल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। कहा कि लापरवाही की वजह से उनके बेटे अभिषेक की तबियत बिगड़ी। वहीं छात्र आदित्य का रो-रो कर बुरा हाल था। भागते हुए स्कूल पहुंचीं बीमार हुए छात्र अंकित की मां अर्चना ने सीने से लगा लिया। बोलीं, काफी देर से घर पर जानकारी मिली। मैं तुरंत भागकर आई हूं।दूध पीने से ये बच्चे हुए बीमारवाहिद, प्रीती कुमारी, निशा, अंकित, खुशबू, नेहा, बेबी, कोमल, गायत्री, यास्मीन, साफरीन, धु्रव अग्रवाल, जतिन, हनि सिंह, शादाब, निखिल, विशाल, जुनैद, खुशी, तनू, कोमल, सोनी, गायत्री, राजीव, अभिषेक, रजनी सहित 75 बच्चे शामिल हैं।
बच्चों को गुणवत्तायुक्त मिड-डे-मील देने का दावा करने वाले अक्षय पात्र फाउंडेशन पर एक बार फिर सवाल उठे गए हैं। यह पहली बार नहीं हुआ जब अक्षय पात्र के मिड-डे-मील पर विवाद हुआ। इससे पहले कई बार खाने में कीड़े, चूने की डिब्बी, धागा व चूहे की पॉटी निकलने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इस संबंध में संस्था को बीएसए की ओर से नोटिस भी भेजी गई थी। लेकिन व्यवस्था में अब तक सुधार नहीं किया गया। नतीजा, बुधवार को दूध पीने से बच्चे बीमार पड़ गए।
हमारे लिए दस हजार लीटर दूध उबाल कर देना पॉलिबिल नहीं है। इसलिए हमने उबला हुआ दूध की जगह फ्लेवर्ड दिया। इस बारे में बीएसए से बात हुई थी। दूध पीने से बच्चे कैसे बीमार हुए, मुझे नहीं पता। इस बारे में आप हमारे मीडिया प्रभारी से बात करिए। ~ सुनील मेहता, उप महाप्रबंधक, अक्षय पात्र फाउंडेशन
जीएम पराग दिनेश कुमार सिंह का कहना है कि दूध को 90 डिग्री सेल्सियस तक उबाल कर 04 डिग्री सेल्सियस पर ठंडा किया जाता है और तब 200 मिली लीटर के पाउच में पैक किया जाता है। इस तरह का दूध 10 घंटे तक कमरे के तापमान पर रखा रहने के बाद भी पीने योग्य रहता है। अगर दूध खराब हुआ है तो इसके लिए वितरण करने वाली एजेंसी जिम्मेदार है।पराग डेरी में छापाएफएसडीए की टीम ने पराग डेरी में भी छापा मारकर फ्लेवर्ड मिल्क के दो नमूने भरे हैं। एफएसडीए के सीएफएसओ के नेतृत्व में पहुंची टीम ने पराग डेरी के कारखाने में जांच कर नमूने लैब भेजे हैं। इसकी अलग से जांच कराई जाएगी।
दूध पीने से बच्चों की तबियत खराब होने से अभिभावकों में काफी गुस्सा था। स्कूल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अभिभावकों ने अक्षय पात्र की ओर से मिड-डे-मील लाने वाली गाड़ी को घेर लिया और उसमें रखा दूध व खाना बाहर फेंक दिया। लोगों ने गाड़ी तोड़ने का भी प्रयास किया। इस दौरान मिड-डे-लाने वाले कर्मचारी गाड़ी छोड़कर भाग निकले। गाड़ी के अंदर रखे दूध व दाल में काफी बदबू आ रही थी।दूध पीने से 75 बच्चों के बीमार होने की घटना पूरे कैंटोमेंट क्षेत्र से लेकर शासन प्रशासन तक आग की तरह फैल गई। आनन-फानन में छावनी परिषद के मुख्य अधिशासी अधिकारी एनवी सत्यनारायण, एसएचओ अर्चना सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी नीलम सिंह, मिड-डे-मील समन्वयक आनंद स्कूल पहुंचे और प्रधानाचार्य से घटना की जानकारी ली। उसके बाद बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी तथा कैंट थाने के प्रभारी निरीक्षक कैंटोमेंट जनरल हॉस्पिटल बच्चों का हाल लेने पहुंचे। यहां पर पुलिस ने बच्चों से बातचीत कर उनके बयान दर्ज किए।
डेली न्यूज़ नेटवर्कलखनऊ। जिलाधिकारी राज शेखर ने माध्यमिक विद्यालय आरए बाजार में मध्यान्ह भोजन में वितरित दूध पीने से बच्चों के बीमार होने के मामले की जांच का आदेश सिटी मजिस्ट्रेट शत्रोहन वैश्य को सौंपा है। उन्हंे तीन दिन में जांच पूरी करने रिपोर्ट देने को कहा है। जिलाधिकारी ने बताया कि सीएमओ और बीएसए को प्रभावित बच्चों की समुचित चिकित्सा व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं। अब तक सभी बच्चे दूध पीने के बाद अस्पताल लाए गए, जो इलाज के बाद घर लौट गए। उन्होंने बताया कि छात्रों को वितरित किए जाने वाले मिड-डे-मील भोजन के सैम्पुल भरने के आदेश चीफ फूड इंस्पेक्टर को दिए हैं। फूड सैंपुल को लेबोरेटरी टेस्ट के लिए भेजा जाएगा। मिल्क टेस्ट व फूड टेस्ट रिपोर्ट मिलने के बाद कार्रवाई की जाएगी। दूधियों ने फूड इंस्पेक्टरों को बनाया बंधकमिड डे मील के तहत वितरित किए गए दूध में गड़बड़ी मिलने के बाद चिनहट दूध मंडी पहुंची एफएसडीए टीम को दूधियों ने बंधक बना लिया। उनका कहना था कि दूध के नमूने न भरे जाएं। इसके बाद भी जब एफएसडीए के फूड इस्पेक्टर नहीं माने, तो आसपास के तमाम लोग और एक पूर्व विधायक भी मौके पर आ पहुंचे। इस्पेक्टरों से आईकार्ड मांगे, न देने पर हंगामा करने लगे। इसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट को जानकारी हुई और उन्होंने थाने से पुलिस भेजकर दूधियों के दूध के नमूने भरवाए।पराग से खरीदे थे अक्षय पात्र ने 12 हजार पाउचमुख्य विकास अधिकारी योगेश कुमार ने बताया कि जीएम पराग डेरी से दूध के संबंध में जानकारी ली गई है। जीएम पराग डेरी ने बताया कि बारह हजार पाउच अक्षय पात्र को दिया गया था। इसके लिए पूरा दूध बुधवार को ही उपलब्ध कराया गया और उसको पाश्चुराइज्ड कराया गया है। उनका कहना है कि बारह हजार पाउच जो दिए गए हंै। उसमें यह दिक्कत नहीं है। जिस स्कूल का मामला है, उसकी अभी जांच चल रही है कि वहां दूध कहां से आया और कैसा था। अक्षय पात्र में छापा, तहरी व दूध का नमूना सीजएफएसडीए के डीओ जेपी सिंह ने बताया कि अक्षय पात्र के केंद्रीय किचन सरोजिनीनगर में एफएसडीए की टीम ने छापेमारी कर तहरी और बचे हुए पराग के फ्लेवर्ड मिल्क के नमूने भरकर सीज कर दिए हैं। इसकी जांच अलग से कराई जाएगी। सात दिनों के अंदर लैब से रिपोर्ट मांगी गई है।
दूध पीने से 75 बच्चे बीमार होने की जानकारी मिली है। घटना गंभीर है, इसलिए मामले की जांच के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखेंगे। साथ ही खाने व दूध के नमूने की भी जांच कराई जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।एनवी सत्यनारायण, सीईओ छावनी परिषद
भले ही राज्य सरकार ने हर दिन के हिसाब से मिड-डे-मील का मेन्यू तय कर दिया हो, लेकिन उसके अनुपालन में जमकर मनमानी की जा रही है। बुधवार को इसका नजारा नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय पलटन खदरी में देखने को मिला। नियमानुसार यहां बच्चों को मिड-डे-मील में कोफ्ता चावल दिया जाना चाहिए था, लेकिन उसकी जगह कढ़ी चावल दिया गया। कढ़ी में भी पकौड़ी की जगह चने डाले गए थे। वहीं माध्यमिक विद्यालय आरए बाजार में न कोफ्ता-चावल और न ही कढ़ी चावल दिया
कहां है मेरा पोता... कोई तो बताएनातिन की तबियत बिगड़ने पर एक बच्चे की बूढ़ी नानी राबिया लड़खड़ाते हुए स्कूल पहुंचीं। उनकी आंखों में आंसू झलक रहे थे..सभी से वह यही पूछ रही थीं कि आखिर उनकी नातिन साफरीन कहां है, उसकी तबियत कैसी है। कक्षा दो की छात्रा निशा के परिजनों ने आरोप लगाया कि स्टाफ ने उन्हें समय से सूचना नहीं दी। कक्षा छह के छात्र जतिन की तबियत खराब होने पर स्कूल पहुंचीं उनकी दादी लता व मां रीता का रो-रो कर बुरा हाल था। कैंटोमेंट बोर्ड के कर्मचारी उमेश कुमार ने भी स्कूल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। कहा कि लापरवाही की वजह से उनके बेटे अभिषेक की तबियत बिगड़ी। वहीं छात्र आदित्य का रो-रो कर बुरा हाल था। भागते हुए स्कूल पहुंचीं बीमार हुए छात्र अंकित की मां अर्चना ने सीने से लगा लिया। बोलीं, काफी देर से घर पर जानकारी मिली। मैं तुरंत भागकर आई हूं।दूध पीने से ये बच्चे हुए बीमारवाहिद, प्रीती कुमारी, निशा, अंकित, खुशबू, नेहा, बेबी, कोमल, गायत्री, यास्मीन, साफरीन, धु्रव अग्रवाल, जतिन, हनि सिंह, शादाब, निखिल, विशाल, जुनैद, खुशी, तनू, कोमल, सोनी, गायत्री, राजीव, अभिषेक, रजनी सहित 75 बच्चे शामिल हैं।
बच्चों को गुणवत्तायुक्त मिड-डे-मील देने का दावा करने वाले अक्षय पात्र फाउंडेशन पर एक बार फिर सवाल उठे गए हैं। यह पहली बार नहीं हुआ जब अक्षय पात्र के मिड-डे-मील पर विवाद हुआ। इससे पहले कई बार खाने में कीड़े, चूने की डिब्बी, धागा व चूहे की पॉटी निकलने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इस संबंध में संस्था को बीएसए की ओर से नोटिस भी भेजी गई थी। लेकिन व्यवस्था में अब तक सुधार नहीं किया गया। नतीजा, बुधवार को दूध पीने से बच्चे बीमार पड़ गए।
हमारे लिए दस हजार लीटर दूध उबाल कर देना पॉलिबिल नहीं है। इसलिए हमने उबला हुआ दूध की जगह फ्लेवर्ड दिया। इस बारे में बीएसए से बात हुई थी। दूध पीने से बच्चे कैसे बीमार हुए, मुझे नहीं पता। इस बारे में आप हमारे मीडिया प्रभारी से बात करिए। ~ सुनील मेहता, उप महाप्रबंधक, अक्षय पात्र फाउंडेशन
जीएम पराग दिनेश कुमार सिंह का कहना है कि दूध को 90 डिग्री सेल्सियस तक उबाल कर 04 डिग्री सेल्सियस पर ठंडा किया जाता है और तब 200 मिली लीटर के पाउच में पैक किया जाता है। इस तरह का दूध 10 घंटे तक कमरे के तापमान पर रखा रहने के बाद भी पीने योग्य रहता है। अगर दूध खराब हुआ है तो इसके लिए वितरण करने वाली एजेंसी जिम्मेदार है।पराग डेरी में छापाएफएसडीए की टीम ने पराग डेरी में भी छापा मारकर फ्लेवर्ड मिल्क के दो नमूने भरे हैं। एफएसडीए के सीएफएसओ के नेतृत्व में पहुंची टीम ने पराग डेरी के कारखाने में जांच कर नमूने लैब भेजे हैं। इसकी अलग से जांच कराई जाएगी।
दूध पीने से बच्चों की तबियत खराब होने से अभिभावकों में काफी गुस्सा था। स्कूल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अभिभावकों ने अक्षय पात्र की ओर से मिड-डे-मील लाने वाली गाड़ी को घेर लिया और उसमें रखा दूध व खाना बाहर फेंक दिया। लोगों ने गाड़ी तोड़ने का भी प्रयास किया। इस दौरान मिड-डे-लाने वाले कर्मचारी गाड़ी छोड़कर भाग निकले। गाड़ी के अंदर रखे दूध व दाल में काफी बदबू आ रही थी।दूध पीने से 75 बच्चों के बीमार होने की घटना पूरे कैंटोमेंट क्षेत्र से लेकर शासन प्रशासन तक आग की तरह फैल गई। आनन-फानन में छावनी परिषद के मुख्य अधिशासी अधिकारी एनवी सत्यनारायण, एसएचओ अर्चना सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी नीलम सिंह, मिड-डे-मील समन्वयक आनंद स्कूल पहुंचे और प्रधानाचार्य से घटना की जानकारी ली। उसके बाद बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी तथा कैंट थाने के प्रभारी निरीक्षक कैंटोमेंट जनरल हॉस्पिटल बच्चों का हाल लेने पहुंचे। यहां पर पुलिस ने बच्चों से बातचीत कर उनके बयान दर्ज किए।
डेली न्यूज़ नेटवर्कलखनऊ। जिलाधिकारी राज शेखर ने माध्यमिक विद्यालय आरए बाजार में मध्यान्ह भोजन में वितरित दूध पीने से बच्चों के बीमार होने के मामले की जांच का आदेश सिटी मजिस्ट्रेट शत्रोहन वैश्य को सौंपा है। उन्हंे तीन दिन में जांच पूरी करने रिपोर्ट देने को कहा है। जिलाधिकारी ने बताया कि सीएमओ और बीएसए को प्रभावित बच्चों की समुचित चिकित्सा व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं। अब तक सभी बच्चे दूध पीने के बाद अस्पताल लाए गए, जो इलाज के बाद घर लौट गए। उन्होंने बताया कि छात्रों को वितरित किए जाने वाले मिड-डे-मील भोजन के सैम्पुल भरने के आदेश चीफ फूड इंस्पेक्टर को दिए हैं। फूड सैंपुल को लेबोरेटरी टेस्ट के लिए भेजा जाएगा। मिल्क टेस्ट व फूड टेस्ट रिपोर्ट मिलने के बाद कार्रवाई की जाएगी। दूधियों ने फूड इंस्पेक्टरों को बनाया बंधकमिड डे मील के तहत वितरित किए गए दूध में गड़बड़ी मिलने के बाद चिनहट दूध मंडी पहुंची एफएसडीए टीम को दूधियों ने बंधक बना लिया। उनका कहना था कि दूध के नमूने न भरे जाएं। इसके बाद भी जब एफएसडीए के फूड इस्पेक्टर नहीं माने, तो आसपास के तमाम लोग और एक पूर्व विधायक भी मौके पर आ पहुंचे। इस्पेक्टरों से आईकार्ड मांगे, न देने पर हंगामा करने लगे। इसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट को जानकारी हुई और उन्होंने थाने से पुलिस भेजकर दूधियों के दूध के नमूने भरवाए।पराग से खरीदे थे अक्षय पात्र ने 12 हजार पाउचमुख्य विकास अधिकारी योगेश कुमार ने बताया कि जीएम पराग डेरी से दूध के संबंध में जानकारी ली गई है। जीएम पराग डेरी ने बताया कि बारह हजार पाउच अक्षय पात्र को दिया गया था। इसके लिए पूरा दूध बुधवार को ही उपलब्ध कराया गया और उसको पाश्चुराइज्ड कराया गया है। उनका कहना है कि बारह हजार पाउच जो दिए गए हंै। उसमें यह दिक्कत नहीं है। जिस स्कूल का मामला है, उसकी अभी जांच चल रही है कि वहां दूध कहां से आया और कैसा था। अक्षय पात्र में छापा, तहरी व दूध का नमूना सीजएफएसडीए के डीओ जेपी सिंह ने बताया कि अक्षय पात्र के केंद्रीय किचन सरोजिनीनगर में एफएसडीए की टीम ने छापेमारी कर तहरी और बचे हुए पराग के फ्लेवर्ड मिल्क के नमूने भरकर सीज कर दिए हैं। इसकी जांच अलग से कराई जाएगी। सात दिनों के अंदर लैब से रिपोर्ट मांगी गई है।
दूध पीने से 75 बच्चे बीमार होने की जानकारी मिली है। घटना गंभीर है, इसलिए मामले की जांच के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखेंगे। साथ ही खाने व दूध के नमूने की भी जांच कराई जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।एनवी सत्यनारायण, सीईओ छावनी परिषद
भले ही राज्य सरकार ने हर दिन के हिसाब से मिड-डे-मील का मेन्यू तय कर दिया हो, लेकिन उसके अनुपालन में जमकर मनमानी की जा रही है। बुधवार को इसका नजारा नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय पलटन खदरी में देखने को मिला। नियमानुसार यहां बच्चों को मिड-डे-मील में कोफ्ता चावल दिया जाना चाहिए था, लेकिन उसकी जगह कढ़ी चावल दिया गया। कढ़ी में भी पकौड़ी की जगह चने डाले गए थे। वहीं माध्यमिक विद्यालय आरए बाजार में न कोफ्ता-चावल और न ही कढ़ी चावल दिया
साभार : डीएनए |
मिड-डे मील में पराग का फ्लेवर्ड दूध पीकर 70 बच्चे बीमार, सभी बच्चे खतरे से बाहर शासन ने तलब की रिपोर्ट
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:43 AM
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