याद आ गया छठी का दूध : जहां अफसर गए सिर्फ वहीं बच्चों को मिला दूध, पहले ही दिन बच्चों के दूध में मिला यूरिया और सोडा, दूध पर मीडिया ट्रायल भी शुरू
- मिड-डे मील के तहत दिया जाना था दूध और कोफ्ता-चावल,
- बुधवार को था पहला दिन, जहां अफसर गए सिर्फ वहीं बच्चों को मिला दूध
प्रदेश के सभी प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूलों में बच्चों के मिड-डे-मील के मेन्यु में दूध और कोफ्ता-चावल दिए जाने का बुधवार को पहला दिन था। सीएम की प्राथमिकता के एजेंडे में शामिल इस योजना को शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही ने पहले ही दिन पलीता लगाने में कसर नहीं छोड़ी। जिन स्कूलों में अफसरों का दौरा था, वहां तो मेन्यु के मुताबिक एमडीएम बंटा। लेकिन जहां अफसर नहीं पहुंचे वहां एनजीओ और स्कूल वालों की मनमानी रही। कई स्कूलों में तो बच्चों को दूध पिलाने का आदेश भी नहीं पहुंचा। कहीं प्रिंसिपल ने अपनी जेब से दूध मंगवाया। अफसर केवल दौरा करते रहे और फोटो खिंचवाकर चलते बने।
दूध की उपलब्धता और स्कूलों तक पहुंचाने की व्यवस्था न होने से जिले के 90 फीसदी से अधिक स्कूलों में बच्चों को दूध पीने को नहीं मिला। पराग डेयरी के महाप्रबंधक एचएल चौधरी का कहना है अमेठी में पराग केंद्र नहीं है। बीएसए आनन्द कुमार पाण्डेय ने बताया कि प्रिंसिपल को दूध की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं।
सीतापुर: कोफ्ता-चावल मिला, दूध नहीं
जिले के 4, 361 प्राइमरी और जूनियर विद्यालयों में बच्चों को दूध नहीं मिल सका। यहां पांच लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स पढ़ते हैं। एमडीएम प्रभारी ब्रज मोहन सिंह ने बताया कि सभी स्कूलों तक इस योजना का आदेश पहुंचाया गया था। यहां के कुछ स्कूलों में कोफ्ता-चावल तो बना मगर इसके साथ दूध नहीं बंटा।
गोरखपुर: मेन्यू में नहीं दिखा बदलाव
80 फीसदी स्कूलों में बच्चों को दूध नहीं मिला। अलहदादपुर के स्कूल में बच्चों को दूध दिया गया। हेड मास्टरों का कहना था कि बजट की कमी के कारण बच्चों को दूध नहीं मिल सका। कुछ टीचरों ने बताया इस योजना का पहला हफ्ता होने की वजह से दिक्कत आई। अगले हफ्ते से यह दिक्कत दूर हो जाएगी।
अम्बेडकरनगर: दूध के लिए पैसा ही नहीं
90 फीसदी स्कूलों में बच्चों को दूध नहीं मिला। गदायें प्राइमरी स्कूल की प्रिंसिपल मीना वर्मा ने बताया मिड-डे मील के लिए बजट नहीं है। पिछले पांच महीने से खुद एमडीएम संचालित कर रही हैं। दूध के लिए पैसा कहां से आएगा। बीएसए डॉ. राज मौर्य ने बताया कि व्यवस्था न होने वजह से कई बच्चों को दूध नहीं मिल सका है।
बस्ती: दूध में मिला दिया पानी
लगभग 2500 स्कूलों में दूध उपलब्ध नहीं हो सका। प्राइमरी स्कूल पिनेसर में 30 लीटर की जगह सिर्फ 18 लीटर दूध ही मिला। प्रिंसिपल विजयलक्ष्मी ने बताया दूध कम होने की वजह से पानी मिलाया गया। बीएसए संतोष सिंह ने कहा कि अगर कहीं से शिकायतें आएंगी तो उसे दूर किया जाएगा।
वाराणसी: पीना तो दूर देखने को नहीं मिला दूध
95 फीसदी स्कूलों में बच्चों को दूध देखने तक को नहीं मिला। पुराने मेन्यू के अनुसार ही मिड-डे मील बच्चों को दिया गया। कुछ स्कूलों में प्रिंसिपल ने किसी तरह दूध का इंतजाम कर योजना शुरू की। बीएसए रामचंद्र यादव का कहना है कि पहला दिन की वजह से देर हो गई होगी पर दूध की व्यवस्था की गई थी।
रायबरेली: इंतजार करते रहे बच्चे
दूध के चक्कर में कई जगह बच्चों को मिड-डे मील भी देर से मिला। बछरावां के पूर्व माध्यमिक विद्यालय की प्रिंसिपल डॉ. नीलिमा श्रीवास्तव ने बताया कि दूध न मिलने पर मोहनलालगंज से मंगाकर बांटा गया। बीएसए रमापति ने बताया अगले बुधवार को स्कूलों में दूध पहुंचाया जाएगा।
फैजाबाद : ज्यादातर स्कूलों में मिड-डे मील का पुराना मेन्यू ही लागू रहा। बीएसए प्रदीप कुमार द्विवेदी के मुताबिक प्रचार किया जाएगा कि जो प्रधान बच्चों को एमडीएम मे दूध न दे उसे वोट मत दो। उन्होंने बताया स्कूलों में दूध कम पड़ेगा तो उसमें पानी मिलाकर बांटा जाएगा।
सुलतानपुर : अधिकतर प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को दूध नहीं मिला। मलाख दोसी पट्टी प्राइमरी स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया मेन्यू में बदलाव का कोई आदेश नहीं मिला है। दूसरे जूनियर हाईस्कूल के प्रिंसिपल ने 3-4 पैकेट दूध मंगवाकर बंटवाया।
इलाहाबाद: 80 फीसदी स्कूलों में बच्चों को दूध नसीब नहीं हो सका। खुर्द जूनियर स्कूल के प्रिंसिपल मनोज मिश्र ने बताया कि दूध न मिलने से चावल-कोफ्ता बांटा गया। मुरलीकोट प्राइमरी स्कूल की अमिता ने बताया कि एक दिन के लिए कोई दूध देने को तैयार नहीं है।
बाराबंकी : स्कूलों में तहरी बांटी गई। पूर्व माध्यमिक विद्यालय धौरहरा के प्रिंसिपल अमरनाथ वर्मा ने बताया कि उन्हें आदेश की नहीं थी। बाराबंकी दुग्ध संघ के महाप्रबंधक एसएन शर्मा ने बताया इतना दूध उपलब्ध कराना बहुत मुश्किल है।
लखनऊ : योजना के पहले दिन बीकेटी के 37 स्कूलों में मिड-डे-मील के मेन्यु में दूध और कोफ्ता-चावल बांटा गया। बीकेटी के कमलाबाद बढ़ौली गांव के प्राइमरी स्कूल में एमडीएम की निदेशक श्रद्धा मिश्रा ने बच्चों को दूध बांटा। बताया कि प्रत्येक बुधवार को बच्चों के मेन्यु में दूध और कोफ्ता-चावल शामिल रहेगा। बीकेटी के सभी 37 स्कूलों के 3200 बच्चों को अवध ग्राम सेवा संस्था ने दूध वितरित किया।
बीकेटी में 37 स्कूलों में बंटा दूध
बच्चों की सेहत सुधारने और कुपोषण से बचाने के लिए हर बुधवार मिड-डे मील में उन्हें 200 मिलीलीटर दूध बांटने की योजना सरकार ने शुरू की। मगर पहले दिन ही प्रदेश के ज्यादातर जिलों के स्कूलों में बच्चों को दूध नहीं नसीब हुआ। स्कूलों में इतना दूध ही नहीं उपलब्ध हो सका कि 10 फीसदी बच्चों में भी बांटा जा सके। कई जिलों में तो स्कूलों तक नए मेन्यू का आदेश ही नहीं पहुंचा। पहले दिन बच्चों को उनके हिस्से का गिलासभर दूध नहीं नसीब हो सका। प्रदेश के अलग-अलग जिलों में मिड-डे मील में दूध को लेकर हालात पर एनबीटी की रिपोर्ट:
याद आ गया छठी का दूध : जहां अफसर गए सिर्फ वहीं बच्चों को मिला दूध, पहले ही दिन बच्चों के दूध में मिला यूरिया और सोडा, दूध पर मीडिया ट्रायल भी शुरू
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:52 AM
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