68.4 फीसदी दूध मिलावटी बिक रहा, आरारोट, यूरिया, डिटर्जेंट, हाइड्रोजन परॉक्साइड का मिलावटी दूध तो नहीं पी रहे!, खुद जांचें आपका दूध मिलावटी तो नहीं

  • 68.4 फीसदी दूध मिलावटी बिक रहा
  • आरारोट, यूरिया, डिटर्जेंट, हाइड्रोजन परॉक्साइड का मिलावटी दूध तो नहीं पी रहे!
  • खुद जांचें आपका दूध मिलावटी तो नहीं


लखनऊ (डीएनएन)। अगर आप बाजार से खुला दूध लेते हैं, तो खतरा यह है कि दूध मिलावटी हो सकता है। क्या पता गंदा पानी मिलाया गया हो। क्या पता दूध नकली हो जो अरारोट, यूरिया, डिटर्जेंट आदि खतरनाक चीजों से बना हो। एफएसडीए के मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी एसपी सिंह ने बताया कि पिछले महीने फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट ने लोगों को सोचने को मजबूर कर दिया है। जब देश भर में लिए गए 1791 सैंपलों की जांच में 68.4 फीसदी दूध मिलावटी पकड़ा गया है, तो हमारे घरों में आने वाला दूध आखिर कितना शुद्ध होगा। 

नामी दूध डेरियां भी मानती हैं कि दूध में खतरनाक केमिकल की मिलावट का खेल चल रहा है, लेकिन वे यह दावा भी करती हैं कि उनका दूध शुद्ध है। वे बताते हैं कि आमतौर पर दूध में 85 फीसदी पानी होता है और बाकी हिस्से में ठोस तत्व यानी मिनरल्स और फैट होता है। बाजार में गाय-भैंस के अलावा विभिन्न कंपनियों का पैकेट वाला दूध मिलता है। दूध प्रोटीन, कैल्शियम और राइबोफ्लेविन, विटामिन बी युक्त तो होता ही है, इसमें विटामिन डी, के और ई समेत फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयोडीन समेत कई मिनरल और फैट तथा एनर्जी भी होती है। इसके अलावा इसमें कई एंजाइम और लिविंग ब्लड सेल्स भी मिलते हैं। इस समय दूध में यूरिया, हाइड्रोजन परॉक्साइड, डिटर्जेंट वगैरह की मिलावट की जाती है। 

हाल ही में दूधियों के खिलाफ अभियान चलाकर नाका, डालीबाग, सिटी स्टेशन आदि में कार्रवाई भी हुई थी। उसकी हाल ही में आई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि अधिकतर दूधिए दूध में 14 फीसदी डिटर्जेंट और यूरिया की मिलावट करते हैं। तो पराग के दूध भी सब स्टैंडर्ड मिले हैं। फूड इंस्पेक्टर राजेश वर्मा के मुताबिक एफएसडीए की टीम ने हाल ही में जो नमूने भरे थे, उसमें से 26 सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतर पाए। इसमें से ज्यादातर मिलावटी ही थे। क्यों की जाती है मिलावटएफएसडीए के फूड इंस्पेक्टर बसंतलाल बताते हैं कि यूरिया, अमोनिया, नाइट्रेट, फर्टिलाइजर, स्टार्च, शुगर, ग्लूकोज और नमक की मिलावट करने से दूध की मात्रा तो बढ़ती ही है, साथ ही उसमें एसएनएफ और फैट भी बढ़ जाता है। न्यूट्रलाइजर इसलिए मिलाया जाता है कि दूध में खटास पैदा न हो। हाइड्रोजन परॉक्साइड और फॉर्मेलिन मिलाने के पीछे वजह यह है कि दूध जल्दी खराब न हो। आटा या स्टार्च मिलाने से यूरिया और आमेनिया की वजह से खराब हुआ टेस्ट ठीक कर देता है और शुगर से मिठास आती है।

दूध में हाइड्रोजन परॉक्साइड, यूरिया, अमोनिया, नाइट्रेट फर्टिलाइजर, न्यूट्रलाइजर, फॉर्मेलिन आदि की मिलावट से शरीर के अंदरूनी हिस्से मसलन आंतें, किडनी, लिवर आदि प्रभावित हो सकते हैं। लंबे समय तक ऐसे खतरनाक केमिकल वाले दूध को पीने से शरीर के तमाम अंगों में गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। जहां तक मिलावटी दूध पकड़ने का सवाल है तो सबसे बढि़या किट तो आपकी जबान ही है। मिलावटी दूध होगा तो आपको उबकाई सी महसूस होगी। मिलावटी दूध की चाय बनाएंगे, तो वह फट जाएगी। ऐसे दूध से मक्खन और घी नहीं निकलेगा।एफएसडीए अभियान चलाकर राजधानी में दूध केनमूने भर रहा है। पराग, अमूल, नमस्ते इंडिया समेत सभी ब्रांडेड कंपनियों और डेरियों से नमूने भरे गए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद अगर गड़बड़ी मिली तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। ~ जेपी सिंह,डीओ, एफएसडीए

साभार : डीएनए 



  • सेहत बनाने की बजाय बिगाड़ देगा ये दूध
  • हरियाणा, पंजाब और यूपी से आए 95 प्रतिशत सैंपल फेल
  • ऐसा दूध सेहत बनाने की बजाय बिगाड़ सकता है
  • एक साल के आंकड़े खोल रहे पोल
  • कई तरह के खतरनाक बैक्टीरिया 
करनाल (ब्यूरो)। ‘दूध, दही का खाणा, यह मेरा हरियाणा’, इस कहावत पर दूध के लगातार फेल हो रहे सैंपल ने प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। करनाल स्थित लाला लाजपत राय विश्वविद्यालय की क्षेत्रीय लैब में हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से आए दूध के 2199 सैंपल में से 2093 जांच में फेल हो गए। 95 प्रतिशत दूध के सैंपल फेल होने से अब दूध के पौष्टिक होने पर ही सवाल उठने लगे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि पशुओं को केमिकल युक्त चारा खिलाने के कारण उनके दूध में भी ये तत्व आ जाते हैं। 
लैब के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रणबीर बिसला ने बताया कि लैब में प्रदेश सहित आसपास के राज्यों से दूध के सैंपल पशुपालक आते हैं। इस बार एक जुलाई 2014 से जून 2015 तक की गई टेस्टिंग से यह आंकड़ा सामने आया है। आंकड़ों से जहरीला दूध होने का सच सामने आया है। ये सैंपल तीन प्रदेश पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हैं।

वैज्ञानिकों का दावा है कि आमतौर पर जो दूध आम लोगों तक पहुंचता है उसमें कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं। किसान पशुओं को जो चारा और दवाइयां देते हैं उससे पशुओं में कई बीमारियां आ जाती हैं। इनमें टीबी जैसी बीमारी भी शामिल है। दूध के जरिये ये बीमारियां इंसानों में भी आ जाती हैं। बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह ज्यादा खतरनाक होती है। 
खबर साभार : अमर उजाला

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68.4 फीसदी दूध मिलावटी बिक रहा, आरारोट, यूरिया, डिटर्जेंट, हाइड्रोजन परॉक्साइड का मिलावटी दूध तो नहीं पी रहे!, खुद जांचें आपका दूध मिलावटी तो नहीं Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 7:47 AM Rating: 5

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