आरटीई के तहत गरीब बच्चों का निजी स्कूलों में दाखिले का मामला, हाईकोर्ट ने अगले सत्र के लिए कार्ययोजना बनाने के दिए निर्देश
- आरटीई के तहत गरीब बच्चों का निजी स्कूलों में दाखिले का मामला
- हाईकोर्ट ने अगले सत्र के लिए कार्ययोजना बनाने के दिए निर्देश
- राज्य सरकार से ब्यौरा तलब, अगली सुनवाई 20 अगस्त को
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शिक्षा का अधिकार कानून के तहत गरीब व वंचित बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने के मामले में मौजूदा सत्र का ब्यौरा राज्य सरकार से तलब किया है। अदालत ने साथ ही सरकार को अगले सत्र 2016-17 के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को नियत की है।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति डीक अरोड़ा की खंडपीठ ने शुक्रवार को यह आदेश स्थानीय वकील मनेंद्र नाथ राय की लंबित याचिका पर दिया। याची के मुताबिक सूबे में आरटीई लागू होने के बाद से अब तक करीब 8 लाख गरीब व वंचित बच्चों के दाखिले सूबे के निजी व पब्लिक स्कूलोें में कराए जाने चाहिए थे लेकिन सरकार के जवाब के मुताबिक सिर्फ 60 बच्चों के ही एडमिशन इन स्कूलों में हुए हैं।
याची का यह भी आरोप था कि राजधानी समेत सूबे के बड़े पब्लिक स्कूल खुलेआम ऐसे बच्चों के 25 फीसदी सीटों पर दाखिले करने से इन्कार कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वे प्राइवेट संस्थान हैं। यह कानून का खुला उल्लंघन है। उधर, राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि सरकार आरर्टीई को लागू करवाने की कार्रवाई कर रही है।
खबर साभार : अमर उजाला
बेसिक शिक्षा के अन्तर्गत बच्चों के मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा देने
सम्बंधी कानून का पालन न करने के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ
पीठ ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को पूरे प्रदेश का वर्ष 2015-16 सत्र के
बच्चों के इस कानून के तहत दाखिले का ब्योरा मांगा है। पीठ ने यह भी कहा है
कि इस कानून को लागू करने के लिए उनके पास यदि कोई नई योजना हो तो उसे भी
अदालत के सामने प्रस्तुत किया जाए।मुख्य न्यायाधीश डॉ. धनंजय यशवंत
चन्द्रचूड तथा न्यायमूर्ति डीके आरोड़ा की खण्ड पीठ ने उक्त आदेश मनेन्द्र
कुमार राय एडवोकेट की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवायी करते हुए दिया
है। वकील का आरोप था कि प्रदेश में बेसिक शिक्षा स्तर के बच्चों को मुफ्त
एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के कानून का पालन नहीं किया जा रहा है।
नियमानुसार एक वर्ष के सत्र में 25 प्रतिशत छात्रों को किसी कालेज में
मुफ्त शिक्षा देने का प्रावधान है। किन्तु वर्ष 2013-14 में लगभग 60 बच्चों
वर्ष 2014-15 में भी इसी के आसपास बच्चों को दाखिले दिए गए। इस याचिका पर
अगली सुनवायी के लिए 20 अगस्त की तारीख नियत की है।
साभार : हिंदुस्तान |
शहर
के ज्यादातर बड़े प्राइवेट स्कूल गरीब बच्चों को निशुल्क सीटों पर दाखिला
नहीं देना चाहते। हालत ये हैं कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने इस
सत्र में गरीब परिवारों के करीब 465 बच्चों को निजी स्कूलों में 25}
निशुल्क सीट पर दाखिले के लिए चुना। 300 बच्चों के आसपास के दाखिले हो
गए हैं। सभी दाखिले छोटे स्कूलों में हुए हैं। एलपीएस (सीपी सिंह प्रबंधन)
और रानी लक्ष्मीबाई सीनियर सेंकडरी स्कूल को छोड़ दिया जाए तो इन बच्चों को
कोई भी दूसरा बड़ा स्कूल दाखिला देने के लिए तैयार नहीं है।
साभार : हिंदुस्तान |
आरटीई के तहत गरीब बच्चों का निजी स्कूलों में दाखिले का मामला, हाईकोर्ट ने अगले सत्र के लिए कार्ययोजना बनाने के दिए निर्देश
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
6:56 AM
Rating:
No comments:
Post a Comment