टीईटी में करोड़ों के वारे-न्यारे, फेल छात्रों को पास किए जाने के पीछे संगठित गिरोह, फर्जीवाड़े से बोर्ड में मची खलबली, परीक्षा में पास कराने के लिए जाते रहे हैं ठेके
- टीईटी में करोड़ों के वारे-न्यारे, फेल-पास का खेल
- फेल छात्रों को पास किए जाने के पीछे संगठित गिरोह
- फर्जीवाड़े से बोर्ड में मची खलबली,
- परीक्षा में पास कराने के लिए जाते हैं ठेके
राज्य शैक्षिक पात्रता परीक्षा (टीईटी)-2011 के
अभिलेखों में हेराफेरी कर चार सौ अभ्यर्थियों को पास किए जाने के मामले ने
बोर्ड में खलबली मचा दी है। बोर्ड के अधिकारी अब इस विषय पर खुलकर कुछ
बोलने के लिए तैयार नहीं, लेकिन आशंका जताई जाने लगी है कि इसके पीछे किसी
संगठित गिरोह का हाथ हो सकता है। फेल छात्रों को पास करने के लिए उनसे
करोड़ों रुपये की वसूली हुई है।
टीईटी-2011 की वजह से यूपी बोर्ड अब तक कई
बार शर्मसार हो चुका है। ताजा मामला थोड़ा अलग इसलिए है, क्योंकि इसका
राजफाश भी खुद बोर्ड ने किया है। हालांकि इससे पहले तत्कालीन शिक्षा निदेशक
संजय मोहन की गिरफ्तारी के दौरान भी जो तथ्य सामने आए थे, उसमें स्कूल
प्रबंधकों से लेकर अधिकारियों और यूपी बोर्ड के कर्मचारियों का गठजोड़
शामिल था। तब ऐसे कई अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर भी हुई थी। जांच कर रही
पुलिस ने 80 लाख रुपये की एकमुश्त रकम के साथ कई लोगों को गिरफ्तार किया
था, जिन्होंने यह बताया था कि टीईटी में पास कराने के नाम पर यह धनराशि ली
गई है।
इस बार भी फेल से पास होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या काफी अधिक
है, इसलिए इसके पीछे शिक्षा माफिया और अधिकारियों का गठजोड़ होने की आशंका
जताई जा रही है। प्रदेश में चल रही 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती के
नजरिए से यह फर्जीवाड़ा काफी गंभीर माना जा रहा है। टीईटी-2011 में फेल
छात्रों के लिए पास होना उनकी नौकरी का सर्टिफिकेट है, क्योंकि इसी के
अंकों के आधार पर शिक्षकों की भर्ती हो रही है। इससे पहले नियुक्ति
प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी तमाम जिलों में फर्जी मार्कशीट के मामले
सामने आए थे। जांच में पाया गया था अभ्यर्थियों ने फेल छात्रों के रोल नंबर
के आधार पर फर्जी मार्कशीट बनवाकर नियुक्तियां हासल कर ली थीं। तमाम जिलों
में इस पर प्राथमिकी भी दर्ज हुई है।
यूपी बोर्ड में शिक्षा माफिया की
गहरी घुसपैठ मानी जाती रही है। छात्रों को पास कराने के ठेके माफिया लेते
रहे हैं और दूरदराज के जिलों तक उनका नेटवर्क है। 1बोर्ड ऐसे किसी नेटवर्क
से इनकार करता आया है, लेकिन हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में उनका
असर साफ नजर आता रहा है। इस बात पर भी लोगों को आश्चर्य है कि जब शिक्षक
भर्ती के दौरान ही फर्जी अंकपत्रों की बात सामने आने लगी थी तो बोर्ड ने
इसकी जांच क्यों नहीं कराई। हाईकोर्ट के दबाव के बाद ही क्यों संशोधित
अंकपत्र देने का फैसला किया गया।
टीईटी में करोड़ों के वारे-न्यारे, फेल छात्रों को पास किए जाने के पीछे संगठित गिरोह, फर्जीवाड़े से बोर्ड में मची खलबली, परीक्षा में पास कराने के लिए जाते रहे हैं ठेके
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:38 AM
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