यूपी बोर्ड टीईटी-2011 टीआर अभिलेख में छेड़छाड़ का मामला, जांच मेें फंस सकते हैं कई अधिकारी-कर्मचारी, पहले भी होती रही हैं अभिलेख फाड़ने की घटनाएँ
उत्तर प्रदेश में जुलाई 2011 में नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई-09) लागू होने के बाद नवंबर 2011 में पहली बार आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का विवादों से गहरा नाता है। इस परीक्षा के आधार पर हो रही 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती भी विवादित बनी हुई है।
25 नवम्बर 2011 को टीईटी का रिजल्ट जारी हुआ तो कई सवाल के उत्तरों पर आपत्ति उठी। आपत्तियों का निस्तारण हो रहा था कि तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक और यूपी बोर्ड के सभापति संजय मोहन को पैसे लेकर कुछ अभ्यर्थियों के अंक बढ़ाने के आरोप में कानपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।इसके बाद सत्ता में आने पर सपा ने टीईटी-11 में धांधली की जांच तत्कालीन मुख्य सचिव जावेद उस्मानी से कराई। उस्मानी कमेटी की रिपोर्ट पर सरकार ने टीईटी-11 की मेरिट की बजाय एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर शिक्षक भर्ती का निर्णय लिया और दिसम्बर 2012 में दोबारा 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों का विज्ञापन जारी किया।
हालांकि हाईकोर्ट ने 20 नवम्बर 2013 को सरकार के फैसले को खारिज करते हुए टीईटी-मेरिट पर भर्ती का निर्णय दिया। इसके खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए 25 मार्च 2014 को टीईटी मेरिट पर नियुक्ति के आदेश दिए।सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 55 हजार से अधिक प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती पूरी हुई ही थी कि इस बीच टीआर (टैबुलेशन रजिस्टर) से छेड़छाड़ का भंडाफोड़ हो गया। आरोपितों को एक-दो दिन में देंगे चाजर्शीटइलाहाबाद। टीआर से छेड़छाड़ के आरोप में निलम्बित किए गए यूपी बोर्ड के दो कर्मचारियों को एक-दो दिन में चाजर्शीट दी जाएगी। जांच अधिकारी बनाए गए बोर्ड के अपर सचिव प्रशासन राजेन्द्र प्रताप ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।
साभार : हिंदुस्तान |
- यूपी बोर्ड टीईटी-2011 टीआर अभिलेख में छेड़छाड़ का मामला
- जांच मेें फंस सकते हैं कई अधिकारी-कर्मचारी
- क्षेत्रीय कार्यालयों में भी टीआर अभिलेख फाड़ने की हो चुकी है घटना
टीईटी-2011 के टीआर अभिलेख में गड़बड़ी की शुरुआती जांच के बाद अभिलेख विभाग के दो जिम्मेदार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। बोर्ड में इस बात को लेकर दिनभर चर्चा रही कि कर्मचारी हमेशा से अधिकारियों का मोहरा बनते रहे हैं, बोर्ड के दो कर्मचारियों का निलंबन इसी कड़ी का हिस्सा हो सकता है।
टीईटी के टीआर अभिलेख में हेराफेरी से पूर्व में यूपी बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों से भी टीआर अभिलेख को फाड़ने सहित उसमें गड़बड़ी करने का आरोप लगता रहा है। यूपी बोर्ड के इलाहाबाद स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में कुछ वर्षों पूर्व एक सिपाही को बचाने के लिए टीआर अभिलेख को फाड़ने की घटना हुई थी। मामले में तत्कालीन क्षेत्रीय सचिव ने कर्मचारियों को शामिल पाए जाने पर दंडित किया था। इस सिपाही ने गलत तरीके से जन्मतिथि में हेराफेरी करदो बार हाईस्कूल परीक्षा पास करके नौकरी हासिल की थी।
मामला सामने आने पर सिपाही ने बोर्ड के कर्मचारियों-अधिकारियों की मिली भगत से टीआर रजिस्टर के साथ छेड़छाड़ की थी। इसी प्रकार की गड़बड़ी वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय में हो चुकी है। 2011 में प्रदेश में पहली बार हुई शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से विवादों का नाता पुराना है। आवेदन से लेकर परिणाम की घोषणा और उसमें संशोधन को लेकर विवाद पुराना है। परिणाम की घोषणा के बाद प्रमाण पत्रों में संशोधन के बाद विवाद गहराया तो आरोप के घेरे में तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक एवं बोर्ड सचिव भी आईं।
खबर साभार : अमर उजाला
इलाहाबाद (एसएनबी)। यूपी टीईटी-2011 के विवाद से यूपी बोर्ड का दामन बच नहीं पा रहा है। यूपी टीईटी-2011 के टीआर में यूपी बोर्डमुख्यालय के दो बाबुओं ने गड़बड़ी करके 400 से अधिक टीईटी अभ्यर्थियों को पास कर सर्टिफिकेट जारी कर दिया था। जांच में टीईटी के दो-तीन अभ्यर्थियों के फेल होने के बावजूद पास होने के बाद मामले का खुलासा होने पर यूपी बोर्ड मुख्यालय में हड़कंप मच गया।
यूपी बोर्ड के प्रभारी सचिव अमरनाथ वर्मा ने सोमवार की देर शाम को आनन-फानन में आरोपी अभिलेख विभाग के प्रधान सहायक बृजनंदन और वरिष्ठ सहायक संतोष कुमार श्रीवास्तव को निलंबित करते हुए जांच यूपी बोर्ड मुख्यालय के अपर सचिव राजेन्द्र प्रताप को सौंप दिया है।मामले के खुलासे के दूसरे दिन मंगलवार को जांच एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी है। कर्मचारी संघ ने मामले की न्यायिक जांच की मांग की हैजिससे कि मामले का खुलासा हो सके । उधर, इस मामले में जिस तरफसे यूपी बोर्डमुख्यालय के अफसर लीपापोती करने में लगे हुए हैउसे देखने से लग रहा है कि इतनी बड़ी गड़बड़ी के पीछे अधिकारियों का हाथ जरूर रहा होगा लेकिन मामले की उच्च स्तरीय जांच के बिना उसका खुलासा नहीं हो सकेगा।
यूपी बोर्ड मुख्यालय में तीन-चार दिन पहले 72825 शिक्षकों की हुई भर्ती के टीईटी-2011 का वाराणसी से दो-तीन सत्यापन आया था।उसमें जब उसका मिलान यूपी बोर्ड मुख्यालय में रखे गये टीआर से किया गया तो गड़बड़ी सामने आयी। टीआर की जांच के दौरान यह बात सामने आयी कि टीईटी-2011 का रिजल्ट जितने टीआर में आया था उसमें सत्यापन के लिए आया नहीं था बल्कि टीआर में जो पन्ने अलग से जुड़े थे उसमें 400 से अधिक टीईटी अभ्यर्थीपास हो गये थे। इस मामले की जानकारी होते ही यूपी बोर्ड मुख्यालय में हड़कंप मच गया।
यूपी बोर्ड के प्रभारी सचिव अमरनाथ वर्माने आनन-फानन में मामले के दोनों आरोपी बाबुओं अभिलेख प्रभारी बृजनंदन और सहायक प्रभारी संतोष कुमार श्रीवास्तव को निलंबित करते हुए मामले की जांच यूपी बोर्ड मुख्यालय के अपर सचिव राजेन्द्र प्रताप को सौंप दिया है।मामले के खुालासे के दूसरे दिन मंगलवार को जांच अधिकारी अपर सचिव राजेन्द्र प्रताप ने मुख्य आरोपी अभिलेखागार के प्रभारी बृजनंदन को निलंबन पत्र सौंपा लेकिन जांच एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी है। सबसे बड़ी यह बात है कि यूपी टीईटी-2011 जो शुरूसे विवादित रहा है।इस मामले में निवर्तमान माध्यमिक शिक्षा निदेशक/सभापति संजय मोहन सहित कई लोगों को जेल हो गयी थी जबकि यूपी बोर्ड की तत्कालीन सचिव स्व. श्रीमती प्रभा त्रिपाठी महीनों अण्डरग्राउण्ड हो गयी थीं।उस मामले में फिर से व्यापक स्तर पर गड़बड़ी सामने आने पर यूपी बोर्ड और शासन गंभीर नहीं है जिससे कि मामला लगता है कि पूरी तरह से दब जायेगा।वहीं यूपी बोर्ड मुख्यालय कार्णिक संघ ने प्रदेश के राज्यपाल और प्रदेश के मुख्यमंत्री से मामले की न्यायिक जांच की मांग किया है जिससे कि मामले में लिप्त वरिष्ठ अधिकारियों का भी खुलासा हो सके।यूपी बोर्ड मुख्यालय के प्रभारी सचिव अमरनाथ वर्मा का कहना है कि मामले की जांच रिपोर्ट आने के बाद आरोपियों के खिलाफएफआईआर दर्ज कर विभागीय कार्रवाई शुरूकी जाएगी। जांच के पूरी होने तक दोनों बाबू निलंबित रहेंगे।
- टीईटी परीक्षा 2011
- निलंबित किए गए दो कर्मियों को चार्जशीट देने की तैयारी
- जांच में सामने आ सकते हैं कई और लोगों के नाम
शुरू से ही विवादों की केंद्र रही टीईटी-2011 परीक्षा के अंकपत्रों में हेराफेरी की आंच बड़े अधिकारियों तक पहुंच सकती है। बोर्ड ने इसकी जांच शुरू कर दी है और जल्द ही निलंबित किए गए दो कर्मचारियों को चार्जशीट देने की तैयारी है। बोर्ड के लोग भी मानते हैं कि यह सिर्फ कर्मचारियों का काम नहीं हो सकता। इसके पीछे जरूर उन्हें कहीं से निर्देश मिले होंगे।
यूपी बोर्ड में एक दिन पहले ही यह मामला प्रकाश में आया है कि दो कर्मचारियों ने टीईटी के टेबुलेशन रिकार्ड में हेराफेरी कर चार सौ फेल अभ्यर्थियों को पास कर दिया। यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जबकि 72825 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। इससे इस भर्ती में नियुक्ति पाए कई अभ्यर्थियों के अंकपत्रों पर भी सवाल खड़ा हो सकता है।
ध्यान रहे, टीईटी में फर्जी अंकपत्रों के सहारे नियुक्तियां पाने की खबरें पहले भी प्रकाश में आती रही हैं और कई जिलों में इस पर कार्रवाई भी हुई है। दरअसल टीईटी के पुराने फर्जीवाड़े की वजह से कई अभ्यर्थियों को अंकपत्र नहीं मिल पा रहे थे। उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट के निर्देश पर बोर्ड ने टेबुलेशन रिकार्ड छपवाया, ताकि उसके आधार पर संशोधित अंकपत्र दिए जा सकें। उसमें ही चार सौ फेल छात्रों को पास कर दिया।
सूत्रों के अनुसार कर्मचारियों ने इस रिकार्ड में अलग से कई पेज छपवाकर डाले गए। हालांकि जब कंप्यूटर डाटा से इसका मिलान किया गया तो गड़बड़ी सामने आ गई। अभिलेखों में इस हेराफेरी के लिए दो कर्मचारी प्रधान सहायक बृजनंदन और वरिष्ठ सहायक संतोष श्रीवास्तव को दोषी पाया गया। बोर्ड के सचिव अमरनाथ वर्मा ने उन्हें निलंबित कर जांच अपर सचिव राजेंद्र प्रताप को सौंप दी है।
पुराने विवाद से नहीं कोई नाता
वैसे तो टीईटी में परीक्षा के बाद ही तमाम अनियमितताओं के आरोप लगे थे और पैसे लेकर पास करने के आरोपों में तत्कालीन शिक्षा निदेशक संजय मोहन को जेल भी जाना पड़ा था लेकिन बोर्ड के सूत्र बताते हैं कि इस प्रकरण का पुराने विवाद से कोई लेना-देना नहीं है। अपर सचिव राजेंद्र प्रताप के अनुसार जांच पूरी होने के बाद ही पूरे निष्कर्ष सामने आ पाएंगे। उन्होंने कहा कि एक-दो दिन में ही आरोपियों को चार्जशीट दे दी जाएगी।
साभार : जागरण |
- कई बार टीआर बदला तो कई बार फट चुका
इलाहाबाद।यूपी बोर्ड मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालयों के अफसरों और बाबुओं के लिए टीआर से खेल बहुत पुराना है। अभी हाल ही में यूपी बोर्ड के वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय के एक बाबू ने टीआर से पास हुए अभ्यर्थीका नाम काटकर दूसरे का चढ़ा दिया। मामले की जांच में वह बाबू निलंबित किया गया।यूपी बोर्ड के इलाहाबाद क्षेत्रीय कार्यालय में इटावा के सिपाही की उम्र छिपाने के लिए टीआर के तीन पन्ने फाड़कर कर्मचारियों ने हटा दिये थे। बाद में मामले की जांच होने पर दर्जनभर कर्मचारियों को निलंबित कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई।
इलाहाबाद (एसएनबी)। यूपी टीईटी-2011 के विवाद से यूपी बोर्ड का दामन बच नहीं पा रहा है। यूपी टीईटी-2011 के टीआर में यूपी बोर्डमुख्यालय के दो बाबुओं ने गड़बड़ी करके 400 से अधिक टीईटी अभ्यर्थियों को पास कर सर्टिफिकेट जारी कर दिया था। जांच में टीईटी के दो-तीन अभ्यर्थियों के फेल होने के बावजूद पास होने के बाद मामले का खुलासा होने पर यूपी बोर्ड मुख्यालय में हड़कंप मच गया।
यूपी बोर्ड के प्रभारी सचिव अमरनाथ वर्मा ने सोमवार की देर शाम को आनन-फानन में आरोपी अभिलेख विभाग के प्रधान सहायक बृजनंदन और वरिष्ठ सहायक संतोष कुमार श्रीवास्तव को निलंबित करते हुए जांच यूपी बोर्ड मुख्यालय के अपर सचिव राजेन्द्र प्रताप को सौंप दिया है।मामले के खुलासे के दूसरे दिन मंगलवार को जांच एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी है। कर्मचारी संघ ने मामले की न्यायिक जांच की मांग की हैजिससे कि मामले का खुलासा हो सके । उधर, इस मामले में जिस तरफसे यूपी बोर्डमुख्यालय के अफसर लीपापोती करने में लगे हुए हैउसे देखने से लग रहा है कि इतनी बड़ी गड़बड़ी के पीछे अधिकारियों का हाथ जरूर रहा होगा लेकिन मामले की उच्च स्तरीय जांच के बिना उसका खुलासा नहीं हो सकेगा।
यूपी बोर्ड मुख्यालय में तीन-चार दिन पहले 72825 शिक्षकों की हुई भर्ती के टीईटी-2011 का वाराणसी से दो-तीन सत्यापन आया था।उसमें जब उसका मिलान यूपी बोर्ड मुख्यालय में रखे गये टीआर से किया गया तो गड़बड़ी सामने आयी। टीआर की जांच के दौरान यह बात सामने आयी कि टीईटी-2011 का रिजल्ट जितने टीआर में आया था उसमें सत्यापन के लिए आया नहीं था बल्कि टीआर में जो पन्ने अलग से जुड़े थे उसमें 400 से अधिक टीईटी अभ्यर्थीपास हो गये थे। इस मामले की जानकारी होते ही यूपी बोर्ड मुख्यालय में हड़कंप मच गया।
यूपी बोर्ड के प्रभारी सचिव अमरनाथ वर्माने आनन-फानन में मामले के दोनों आरोपी बाबुओं अभिलेख प्रभारी बृजनंदन और सहायक प्रभारी संतोष कुमार श्रीवास्तव को निलंबित करते हुए मामले की जांच यूपी बोर्ड मुख्यालय के अपर सचिव राजेन्द्र प्रताप को सौंप दिया है।मामले के खुालासे के दूसरे दिन मंगलवार को जांच अधिकारी अपर सचिव राजेन्द्र प्रताप ने मुख्य आरोपी अभिलेखागार के प्रभारी बृजनंदन को निलंबन पत्र सौंपा लेकिन जांच एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी है। सबसे बड़ी यह बात है कि यूपी टीईटी-2011 जो शुरूसे विवादित रहा है।इस मामले में निवर्तमान माध्यमिक शिक्षा निदेशक/सभापति संजय मोहन सहित कई लोगों को जेल हो गयी थी जबकि यूपी बोर्ड की तत्कालीन सचिव स्व. श्रीमती प्रभा त्रिपाठी महीनों अण्डरग्राउण्ड हो गयी थीं।उस मामले में फिर से व्यापक स्तर पर गड़बड़ी सामने आने पर यूपी बोर्ड और शासन गंभीर नहीं है जिससे कि मामला लगता है कि पूरी तरह से दब जायेगा।वहीं यूपी बोर्ड मुख्यालय कार्णिक संघ ने प्रदेश के राज्यपाल और प्रदेश के मुख्यमंत्री से मामले की न्यायिक जांच की मांग किया है जिससे कि मामले में लिप्त वरिष्ठ अधिकारियों का भी खुलासा हो सके।यूपी बोर्ड मुख्यालय के प्रभारी सचिव अमरनाथ वर्मा का कहना है कि मामले की जांच रिपोर्ट आने के बाद आरोपियों के खिलाफएफआईआर दर्ज कर विभागीय कार्रवाई शुरूकी जाएगी। जांच के पूरी होने तक दोनों बाबू निलंबित रहेंगे।
साभार : सहारा |
- मामले की लीपापोती में लगे यूपी बोर्ड मुख्यालय के वरिष्ठ अफसर
- कई अफसरों के मामले में लिप्त होने की आशंका
- कर्मचारी संघ मामले की न्यायिक जांच की मांग पर अड़ा
यूपी बोर्ड टीईटी-2011 टीआर अभिलेख में छेड़छाड़ का मामला, जांच मेें फंस सकते हैं कई अधिकारी-कर्मचारी, पहले भी होती रही हैं अभिलेख फाड़ने की घटनाएँ
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
6:25 AM
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