शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली,समायोजन पर रोक रहेगी जारी, हाइकोर्ट को दो माह में सुनवाई पूरी करने का आदेश, अगली सुनवाई 2 नवम्बर को
- शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं,
- शिक्षामित्रों के अध्यापक बनने पर रोक रहेगी जारी
- यूपी के बेसिक शिक्षा सचिव सुप्रीम कोर्ट में हुए पेश,
- आगे इस केस की 2 नवंबर को होगी सुनवाई
- बिना टीईटी पास शिक्षामित्रों को बनाया गया था शिक्षक,
- शिक्षामित्रों की शिक्षक बनने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
- सुप्रीम कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा,
- इलाहाबाद हाईकोर्ट से दो माह में निपटारा करने के दिए आदेश
- सुप्रीम कोर्ट ने अलग पीठ गठित करने का दिया आदेश
नई दिल्ली (ब्यूरो)। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को दो महीने के भीतर शिक्षा मित्रों से जुड़े तमाम मामलों का निपटारा करने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षक बनाए जाने पर लगी रोक को बरकरार रखा।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि शिक्षा मित्रों से संबंधित इलाहाबाद और लखनऊ पीठ में लंबित याचिकाओं के निपटारे के लिए एक अलग पीठ बनाए। इस पीठ को दो महीने के भीतर इन सभी मामलों का निपटारा करने के लिए कहा गया है। वहीं सोमवार को सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश के बेसिक एजूकेशन के सचिव और विशेष सचिव अदालत में मौजूद थे। इन दोनों को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत में हाजिर होने के लिए कहा था। पीठ ने कहा कि शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षक बनाने पर रोक संबंधी छह जुलाई को लिया गया अंतरिम फैसला अगले 10 हफ्ते तक प्रभावी रहेगा। अगली सुनवाई नवंबर में होगी।
वकील प्रशांत भूषण ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए पीठ के समक्ष सहायक मित्रों की नियुक्ति में अनियमितता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कई छात्रों की पिछले दरवाजे से नियुक्ति हुई। हालांकि पीठ ने उन्हें इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है। मालूम हो कि गत 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सामान्य वर्ग में टीईटी में 70 फीसदी अंक और आरक्षित वर्ग में टीईटी में 65 फीसदी अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को शिक्षक नियुक्त किया जाए।
साभार : अमर उजाला |
शिक्षामित्रों को भेजा हाई कोर्ट
- टीईटी के बगैर शिक्षा मित्रों की भर्ती पर रोक जारी
- हाई कोर्ट की पूर्णपीठ को दो माह में याचिकाएं निपटाने का आदेश
न्यायाधीश दीपक
मिश्र और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने टीईटी परीक्षा पास किये बगैर
शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर नियमित किये जाने पर सवाल उठाने
वाली याचिकाओं का निपटारा करते हुए ये आदेश पारित किये। पीठ ने इलाहाबाद
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि वे शिक्षामित्रों की
भर्ती के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ पीठ के समक्ष लंबित सभी
याचिकाओं की सुनवाई के लिए एक पूर्ण पीठ का गठन करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा
है कि पूर्ण पीठ गठन के बाद दो महीने के भीतर सभी याचिकाओं का निपटारा कर
देगी और जब तक याचिकाओं का निपटारा होता है तब तक दस सप्ताह के लिए सुप्रीम
कोर्ट का भर्ती पर लगा रोक आदेश जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक
नियुक्ति पा चुके शिक्षामित्रों की नौकरियों पर कोई सवाल नहीं किया है और न
ही उनके बारे में कोई आदेश दिया है। प्रदेश सरकार के मुताबिक उत्तर प्रदेश
में कुल 1,70,000 शिक्षा मित्र हैं जो चार साल से लेकर 15 साल से पढ़ा रहे
हैं। उत्तर प्रदेश सरकार अभी तक 1,38,000 शिक्षा मित्रों को नियमित कर
चुकी है। बाकी की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के रोक आदेश से लटक गई है।
कोर्ट के आदेश के पहले शिक्षामित्रों की ओर से पेश वकीलों ने कोर्ट को बताया कि नियमों के मुताबिक 2011 के पहले नियुक्त हुए शिक्षा मित्रों को टीईटी परीक्षा पास करनी जरूरी नहीं थी। उन्हें इस परीक्षा से छूट दी गई है। कमोवेश यही दलीलें प्रदेश सरकार की भी थीं। प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किये गए हलफनामे में कहा गया था कि शिक्षा मित्रों की नियुक्ति नहीं की जा रही उन्हें सिर्फ नियमित किया जा रहा है।
कोर्ट के आदेश के पहले शिक्षामित्रों की ओर से पेश वकीलों ने कोर्ट को बताया कि नियमों के मुताबिक 2011 के पहले नियुक्त हुए शिक्षा मित्रों को टीईटी परीक्षा पास करनी जरूरी नहीं थी। उन्हें इस परीक्षा से छूट दी गई है। कमोवेश यही दलीलें प्रदेश सरकार की भी थीं। प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किये गए हलफनामे में कहा गया था कि शिक्षा मित्रों की नियुक्ति नहीं की जा रही उन्हें सिर्फ नियमित किया जा रहा है।
साभार : दैनिक जागरण
शिक्षामित्रों के समायोजन पर लगी रहेगी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने दिए यूपी सरकार को 72825 शिक्षकों की भर्ती पूरी करने के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने दिए यूपी सरकार को 72825 शिक्षकों की भर्ती पूरी करने के निर्देश
हाईकोर्ट ने कस्टडी में रखे नियुक्ति से संबंधित कागजातपूछा, नियुक्ति से पूर्व आपराधिक केसों पर विचार हुआ
नई दिल्ली (एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों के समायोजन पर लगा
रखी रोक को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने जारी रखा। उच्चतम न्यायालय ने
इलाहाबाद हाईकोर्ट को निर्देशित किया है कि वह शिक्षामित्रों के मसले पर
चली रही सुनवाइयों को दो महीने के अंदर निपटा कर कोर्ट को सूचित करें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश खुद इस मामले की
सुनवाई करें या फिर किसी सक्षम बेंच को यह मामला दें। जस्टिस दीपक मिश्रा
और जस्टिस यूयू ललित की खंडपीड ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट शिक्षामित्रों
के मसले की सुनवाई दो महीने के अंदर पूरी करे। इस दौरान कोर्ट में यूपी की
शिक्षा सचिव डिपंल वर्मा और सचिव संजय मोहन मौजूद थे। उच्चतम न्यायालय ने
यूपी की शिक्षा सचिव डिपंल वर्मा से कहा कि वह यह बताएं कि प्रदेश में
सहायक अध्यापकों की नियुक्ति किस प्रकार की जाती है और क्या वहां टेट वेटेज
दिया जाता है। अब कोर्ट की अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी। कोर्ट ने सरकार
को 72825 पदों की पूरी भर्ती करके कोर्ट में हलफनामा जमा करने का आदेश दिया
है।
साभार : डीएनए |
- समायोजन का मामला : शिक्षामित्र भर्ती पर रोक बरकरार
- टीईटी विवाद पर कोर्ट ने सुनवाई 2 नवंबर के लिए स्थगित की
- सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों के मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजे
नई दिल्ली विशेष संवाददातासुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में शिक्षक की
भर्ती विवाद से शिक्षामित्रों का मामला अलग कर दिया और उसे इलाहाबाद
हाईकोर्ट भेज दिया। इस दौरान शिक्षामित्रों को शिक्षक के रूप में भर्ती
करने पर रोक लगी रहेगी।
दो माह में फैसला लें :- जस्टिस दीपक मिश्र की पीठ ने सोमवार को यह आदेश देते इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि वह एक पीठ का गठन करें और उसका नेतृत्व स्वयं करके दो माह में फैसला लें।
टीईटी मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में ही :- कोर्ट ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश लखनऊ में लंबित शिक्षामित्रों के केस भी इलाहाबाद स्थानांतरित करवा लें। वहीं कोर्ट ने टीईटी से जुड़ा मुद्दा अपने पास ही रख लिया और शिक्षा सचिव से विस्तृत जवाब देने का आदेश देते हुए 2 नवंबर के लिए मामला स्थगित कर दिया। नियम रद्द किया था: सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि ज्यादातर राज्यों में टीईटी के साथ शैक्षणिक योग्यता को भी देखा जाता है और उसके आधार पर ही मेरिट बनाई जाती है। यूपी में भी शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी के साथ साथ शैक्षणिक योग्यता को पैमाना बनाया गया था लेकिन हाईकोर्ट ने गत वर्ष इस नियम को रद्द कर दिया और कहा था कि सिर्फ टीईटी के आधार पर मेरिट बनाई जाए।
दो माह में फैसला लें :- जस्टिस दीपक मिश्र की पीठ ने सोमवार को यह आदेश देते इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि वह एक पीठ का गठन करें और उसका नेतृत्व स्वयं करके दो माह में फैसला लें।
टीईटी मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में ही :- कोर्ट ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश लखनऊ में लंबित शिक्षामित्रों के केस भी इलाहाबाद स्थानांतरित करवा लें। वहीं कोर्ट ने टीईटी से जुड़ा मुद्दा अपने पास ही रख लिया और शिक्षा सचिव से विस्तृत जवाब देने का आदेश देते हुए 2 नवंबर के लिए मामला स्थगित कर दिया। नियम रद्द किया था: सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि ज्यादातर राज्यों में टीईटी के साथ शैक्षणिक योग्यता को भी देखा जाता है और उसके आधार पर ही मेरिट बनाई जाती है। यूपी में भी शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी के साथ साथ शैक्षणिक योग्यता को पैमाना बनाया गया था लेकिन हाईकोर्ट ने गत वर्ष इस नियम को रद्द कर दिया और कहा था कि सिर्फ टीईटी के आधार पर मेरिट बनाई जाए।
साभार : हिन्दुस्तान
शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली,समायोजन पर रोक रहेगी जारी, हाइकोर्ट को दो माह में सुनवाई पूरी करने का आदेश, अगली सुनवाई 2 नवम्बर को
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
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4:35 PM
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