बीच सत्र रिटायर हो रहे शिक्षकों को झटका : दोबारा सत्र लाभ का आदेश देने से हाईकोर्ट का इंकार
इलाहाबाद
(ब्यूरो)। प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों का सत्र बदलने के बाद पहले से
सत्र लाभ पर चल रहे शिक्षकों को हाईकोर्ट से झटका लगा है। मुख्य
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शिक्षकों की विशेष
अपील खारिज करते हुए कहा है कि एक बार सत्र लाभ प्राप्त कर चुके शिक्षक
दोबारा सत्र लाभ लेने के हकदार नहीं हैं। याचिका उन शिक्षकों के द्वारा
दाखिल की गई थी जो 30 जून 2015 तक सत्र लाभ पर चल रहे थे। इस वर्ष
विद्यालयों का सत्र बदल कर एक अप्रैल से आगामी वर्ष के 31 मार्च तक कर दिया
गया है। इसकी वजह से 30 जून को रिटायर हो रहे शिक्षकों का कहना था कि सत्र
बदलने की वजह से उनका रिटायरमेेंट एक बार फिर से बीच सत्र में पड़ रहा है
इसलिए उनको 31 मार्च 2016 तक काम करने दिया जाए।
इससे
पूर्व एकल न्यायपीठ ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा था कि शिक्षकों को
दो बार सत्र नहीं दिया जा सकता है। इसके विरुद्ध विशेष अपील दाखिल की गई
थी। सरकारी वकील का कहना था कि शिक्षा सत्र 2014-15 में रिटायर हो रहे
शिक्षकों को सत्र लाभ देकर 30 जून 2015 तक पढ़ाने का मौका दिया गया। इसके
बाद यह पुन: सत्र लाभ इस आधार पर चाहते कि उनका रिटायरमेंट बीच सत्र में हो
रहा है। खंडपीठ ने अपील खारिज करते हुए दोबारा सत्र लाभ का आदेश देने से
इंकार कर दिया।
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रिटायर हो रहे अध्यापकों को दोबारा सत्र लाभ नहीं
खबर साभार :दैनिक जागरण
रिटायर हो रहे अध्यापकों को दोबारा सत्र लाभ नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि शिक्षा सत्र 2014-15 में रिटायर होने वाले ऐसे शिक्षकों को जो सत्र लाभ पर चल रहे हैं, दोबारा सत्र लाभ नहीं मिलेगा। शिक्षकों का कहना था कि चूंकि शिक्षा सत्र इस वर्ष से एक अप्रैल से 31 मार्च हो गया है, इस कारण इस बीच सेवानिवृत हो रहे शिक्षकों को अगले वर्ष मार्च 2016 तक काम करने दिया जाए।
यह फैसला मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चन्द्रचूड़ व न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने गाजीपुर जिले के अध्यापक दुलारे लाल और अन्य अध्यापकों की विशेष अपील को खारिज करते हुए दिया। एकल जज ने इन शिक्षकों की अगले वर्ष मार्च 2016 में रिटायर करने की मांग को अस्वीकार कर दिया था तथा याचिका खारिज कर दी थी। इन अध्यापकों ने विशेष अपील दायर कर एकल जज के फैसले को चुनौती दी थी। सरकार की तरफ से स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने शिक्षकों की विशेष अपील का विरोध किया। कहा कि शिक्षा सत्र 2014-15 में सेवानिवृत हो रहे शिक्षको को सत्र लाभ देकर 30 जून 15 तक पढ़ाने का अवसर दिया गया है। सत्र का समय बदल जाने से दोबारा लाभ नहीं दिया जा सकता।
अदालत ने इन शिक्षकों की अपील खारिज करते हुए कहा कि एजूकेशन एक्ट 1921 के चैप्टर तीन, रेगुलेशन 21 में संशोधन कर शिक्षा सत्र एक जुलाई से 30 जून की बजाए एक अप्रैल से 31 मार्च कर दिया गया है। सत्र लाभ से सेवानिवृत्त की उम्र नहीं बढ़ाई जा सकती। कहा गया कि सत्र-लाभ की व्यवस्था शिक्षकों के हित में नहीं बल्कि छात्रों के हित के लिए है, ताकि शिक्षा सत्र के मध्य में छात्रों की पढ़ाई पर प्रतिकूल असर न पड़े।
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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सत्र लाभ की व्यवस्था छात्रों के भविष्य को बचाने के लिए है न कि शिक्षकों को लाभ पहुंचाने के लिए। शिक्षक इसे अपने हक की तरह देख रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि सत्र के बीच में रिटायर होने वाले शिक्षक अगर सत्र खत्म होने तक पढ़ा रहे हैं, तो उन्हें सत्र लाभ नहीं दिया जा सकता है। यह आदेश चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने गाजीपुर के शिक्षक दुलारे लाल व अन्य की स्पेशल अपील पर सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट के इस आदेश से सत्र लाभ पर 30 जून 2015 तक पढ़ा रहे शिक्षक इसी वर्ष रिटायर्ड मान लिए जाएंगे और उन्हें नए शिक्षा सत्र का लाभ नहीं मिलेगा।
साभार डीएनए |
बीच सत्र रिटायर हो रहे शिक्षकों को झटका : दोबारा सत्र लाभ का आदेश देने से हाईकोर्ट का इंकार
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
6:50 AM
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