फेस 2 फेस में बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी : 'गुरु को डांटा-मारा नहीं जा सकता है', हमारे टीचर बहुत ही काबिल और दक्ष हैं। उनके भरोसे हम कोई भी लड़ाई जीत लेंगे
राम गोविंद चौधरी बेसिक शिक्षा विभाग के कैबिनेट मंत्री हैं। इस विभाग पर प्रदेश का सबसे ज्यादा बजट खर्च होता है। बावजूद इसके पढ़े-लिखे लोग अपने बच्चों पर इस विभाग के स्कूलों की परछाईं तक नहीं पड़ने देना चाहते। वैसे चौधरी और उनके बेटे सरकारी स्कूल में ही पढ़े हैं। हाल ही में हाई कोर्ट ने कहा है कि सरकारी अधिकारी अपने बच्चे सरकारी स्कलों में पढ़ाएं। ऐसे में कुछ जमीनी प्रयास के बावजूद राम गोविंद स्कूलों की दशा सुधारने के लिए ‘आत्मचिंतन’ के ही भरोसे हैं। वह कहते हैं कि जिन पर पढ़ाने का दारोमदार है, उनके आगे गुरु लगा है। गुरु को डांटा- मारा नहीं जा सकता है। रामगोविंद चौधरी से वरिष्ठ संवाददाता प्रेम शंकर मिश्र ने बातचीत की:
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शिक्षा में सुधार सतत प्रयास है, जो चल रहा है। शिक्षक और संसाधन के मोर्चे पर हम सफल हो चुके हैं। अब फोकस गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर है। जिससे यहां के बच्चे देश समाज के विकास में योगदान दे सकें। हम सभी संगठनों को इसके लिए लिख भी रहे हैं।
हमारे टीचर बहुत ही काबिल और दक्ष हैं। उनके भरोसे हम कोई भी लड़ाई जीत लेंगे। स्कूलों में अगर वह मन से लग गए तो नतीजे सुखद होंगे। उनकी योग्यता और प्रशिक्षण दोनों ही प्रतिस्पर्द्धियों से अव्वल हैं।
देखिए, गुरु को मारा या डांटा नहीं जा सकता है। संविधान में अधिकार का पाठ सबने पढ़ा लेकिन कर्तव्य भूल गए। शिक्षक अपनी जिम्मेदारी समझ लें तो सब समस्या हल हो जाएगी। आखिर किसी ने जबरदस्ती प्राइमरी स्कूल में आपको नियुक्त नहीं किया है। फॉर्म भरे, सिलेक्ट हुए तब जॉइन किया है। इसलिए पढ़ाना भी होगा।
जहां कमियां मिलती है, वहां कार्रवाई भी होती है। एक बीएसए की रिश्तेदार सस्पेंड हुई तो सिफारिश में कहा गया कि स्कूल जाने के बाद भी सस्पेंड कर दिया गया। पता चला कि स्कूल गई तो थीं लेकिन पढ़ा नहीं रही थीं। स्कूल पढ़ाने के लिए है। जो भी लापरवाही करेगा उसे हम नहीं बख्शेंगे। लेकिन केवल डंडा चला कर हल नहीं निकाल जा सकता। अपनी जिम्मेदारी शिक्षकों को भी समझनी होगी।
जनप्रतिनिधि होने के नाते हमारी सारी जिम्मेदारी है लेकिन जवाबदेही जनता को भी समझनी होगी। मंत्री, विधायक के बाद सबसे ज्यादा आम लोग ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए आते हैं। सबको घर के नजदीक और कमाऊ पोस्टिंग चाहिए। गलती किए तो सस्पेंड हो गए तो उसकी सिफारिश। देश की सियासत तो केवल खुश करने में ही चली जा रही है। बेहतर हो कि आप सिफारिश की जगह उनकी शिकायत लेकर आएं जो काम नहीं कर रहे।
बेबुनियाद आरोप हैं। पढ़ाई और मिड डे मील से कोई वास्ता नहीं है। स्कूल में 6-8 घंटे की पढ़ाई 20 मिनट के खाना खाने से नहीं रुक जाएगी। भोजन रसोइया बनाता है, शिक्षक को केवल मॉनिटरिंग करनी होती है।
देश में कभी भी सही शिक्षा नीति बनी ही नहीं। जो सरकार आती है अपने हिसाब से नीति तय करती है। पहले वाली सरकार ने परीक्षा खत्म कर दी। आखिर परीक्षा नहीं होगी तो बच्चे का मूल्यांकन कैसे होगा/ हमने मुद्दा उठाया था परीक्षा दोबारा शुरू हो रही है। शिक्षा नीति जब तक जनपक्ष धर नहीं होगी नतीजे नहीं आएंगे।
सुख यही है कि जनता की सेवा करने का मौका मिल रहा है, दुख कोई नहीं है। मलाल इतना है कि आजादी के 67 साल बाद भी देश को भ्रष्टाचार से निजात नहीं मिल सकी। |
खबर साभार : नवभारत टाइम्स
फेस 2 फेस में बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी : 'गुरु को डांटा-मारा नहीं जा सकता है', हमारे टीचर बहुत ही काबिल और दक्ष हैं। उनके भरोसे हम कोई भी लड़ाई जीत लेंगे
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:32 AM
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