केंद्र सरकार का अर्हता में छूट देने से इन्कार, खड़े किए हाथ, एनसीटीई के पाले में अब गेंद, एनसीटीई पहले ही कर चुकी है इंकार
कानपुर। इलाहाबाद हाईकोर्ट से सहायक अध्यापक पद का समायोजन रद्द होने के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय से राहत की उम्मीद पाले यूपी के 1.68 लाख शिक्षामित्रों को वहां से भी तगड़ा झटका लगा है। सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई-2005) के तहत जवाब देते हुए मंत्रालय ने शिक्षकों की नियुक्ति की नियमावली या फिर अर्हता में किसी तरह के फेरबदल से इनकार कर दिया। मंत्रालय का कहना है कि नियुक्ति की अर्हता नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजूकेशन (एनसीटीई) तय करती है।
शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) सहित अर्हता के अन्य मामलों में केंद्र सरकार सीधे छूट नहीं दे सकती। यह अधिकार सिर्फ एनसीटीई की पास है। इसका मतलब यह है कि शिक्षामित्रों की नियुक्ति की अर्हता में छूट संभव नहीं है। यूपी के प्राथमिक विद्यालयों में तैनात 1.34 लाख शिक्षामित्रों का समायोजन सहायक अध्यापक पद पर हुआ था। 34 हजार शिक्षामित्रों की ज्वाइनिंग जल्द होनी थी लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सबका समायोजन रद्द कर दिया। अब मामले की सुनवाई 2 नवंबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट में होनी है। इससे पहले ही उत्तर प्रदेश टीईटी संघर्ष मोर्चा के महामंत्री दुर्गेश प्रताप सिंह ने आरटीआई के तहत मानव संसाधन विकास मंत्रालय से सूचना मांग ली। मंत्रालय से पूछा कि कक्षा एक से आठ तक के छात्रों को पढ़ाने वाले सहायक अध्यापकों की नियुक्ति की अर्हता में किसी तरह की छूट दी जा सकती है क्या? यदि हां तो कैसे? यूपी में शिक्षामित्रों की नियुक्ति बगैर टीईटी की गई, ऐसे मामलों में मंत्रालय क्या दखल देगा? इसका जवाब मंत्रालय के संयुक्त सचिव आलोक जवाहर ने दिया और किसी तरह की छूट देने से इनकार किया।
साथ ही कहा कि आठ नवंबर 2010 से शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) लागू है। इसी अवधि से शिक्षकों की नियुक्ति की न्यूनतम अर्हता भी तय है। केंद्र सरकार चाहे भी तो टीईटी के बगैर सहायक अध्यापकों की नियुक्ति की छूट नहीं दे सकती। मामले में राज्य सरकार की मनमानी नहीं चलेगी। एनसीटीई की नियमावली के हिसाब से ही सहायक अध्यापकों की नियुक्ति करनी होगी।
मालूम हो कि एनसीटीई ने पहले ही शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक मानने से इनकार कर दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट में शपथपत्र दाखिल करके कहा था कि ग्रेजुएशन, बीएड या फिर बीटीसी, टीईटी के बगैर शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक नहीं माना जाएगा।
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