सरकारी परिषदीय स्कूलों की बदहाली पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई यूपी सरकार को फटकार, शासन और प्रशासन के काम करने के तरीके पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए चार हफ्ते में हालात ठीक करने के दिए निर्देश
■ सूरतेहाल
★ कई स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं।
★ कई में टॉयलेट की कंडिशन ठीक नहीं
★ कई जगह पीने का पानी नहीं
★ बिल्डिंग के बुरे हाल हैं
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की खस्ता हालत पर चिंता जताते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई है। जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने सोमवार को राज्य के प्रशासन पर टिप्पणी करते हुए इसे दयनीय बताया। साथ ही यूपी के चीफ सेक्रेटरी को चार हफ्ते में स्कूलों की खामियों को ठीक करवाने के निर्देश दिए।


सुप्रीम कोर्ट ने एक एनजीओ की याचिका पर प्रदेश में पहली क्लास से लेकर आठवीं तक के सरकारी स्कूलों की स्थिति का आंकलन करने के लिए एक कमिटी गठित की थी। इसमें तीन वकीलों को रखा गया था। कमिटी ने इलाहाबाद के सरकारी स्कूलों की जो रिपोर्ट सौंपी, उसमें कहा गया कि स्कूलों की स्थिति खस्ताहाल है। कोर्ट ने रिपोर्ट देखने के बाद माना कि स्कूलों की स्थिति दयनीय है। बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का अभाव है। कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को इसकी इजाजत दी है कि वह स्कूल ठीक करवाने को कमिटी बना सकते हैं।
कोर्ट का आदेश मिलते ही कार्रवाई की जाएगी। जो खामियां हैं, उन्हें दूर करने को शिक्षा विभाग को निर्देश देंगे। हालांकि सरकार लगातार सुधार के लिए काम कर रही है। -राहुल भटनागर, चीफ सेक्रेटरी
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