शिक्षामित्रों की ट्रेनिंग का मामला 22 फरवरी तक स्थगित, यूपी सरकार के वकील ने कहा कि एनसीटीई ने दूरस्थ माध्यम से बीटीसी को मान्यता दी
नई दिल्ली। यूपी सरकार ने शिक्षामित्रों को सरकारी स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त करने के फैसले का बचाव किया है। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सरकार के वकील ने अपना पक्ष रखा। यूपी सरकार के वकील ने कहा कि एनसीटीई ने दूरस्थ माध्यम से बीटीसी को मान्यता दी है। शिक्षामित्रों ने भी दूरस्थ बीटीसी की है, जबकि वे टीईटी भी पास कर रहे हैं। लिहाजा उन्हें पद पर नियुक्त करने से नहीं रोका जा सकता। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 22 फरवरी का समय दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाए जाने का बचाव किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई तक इस मामले में हलफनामा देने को कहा है।यूपी सरकार की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि एनसीटीई ने बेसिक ट्रेनिंग कोर्स (बीटीसी) को मान्यता दी है और शिक्षामित्रों ने बीटीसी पास किया हुआ है और साथ ही टीईटी भी पास कर रहे हैं। यूपी सरकार की दलील थी की ऐसी स्थिति में शिक्षामित्रों को कैसे असिस्टेंट टीचर बनने से रोका जाए। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 22 जनवरी की तारीख तय कर दी है और सरकार से हलफनामा देने को कहा है।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक लाख 72 हजार शिक्षा मित्रों की नियुक्तियां रद्द कर दी थीं। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि बिना टीचर इलिजिब्लिटी टेस्ट (टीईटी) पास किए असिस्टेंट टीचर के तौर पर नियुक्ति नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि इस मामले में 1.72 लाख नियुक्तियां रद्द की गई हैं और बड़े पैमाने पर लोग प्रभावित हुए हैं। ऐसे में यह मामला जनिहत याचिका से जुड़ा है। जिसके बाद यूपी सरकार और अन्य पक्षकार सुप्रीम कोर्ट में आ गए थे और कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी थी।
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