बेसिक शिक्षा में नियम-कायदा बनाने वाले ही तोड़ रहे नियम, चुनाव से पहले शासन द्वारा नियम विरुद्ध जारी तबादला आदेशों से आम शिक्षकों में निराशा
इलाहाबाद : सरकारी महकमे में नियुक्ति, तबादला व सामान्य कामकाज का तरीका तय करने वालों ने नियमों को किनारे कर दिया है। ‘बड़ों’ के ऐसा करने से ‘छोटे’ चर्चा खूब कर रहे हैं, लेकिन उसके विरुद्ध आखिर फरियाद करें भी तो किससे? यह सवाल उन्हें मथ रहा है। वहीं, आचार संहिता लागू होने के बाद तमाम शिक्षक व युवाओं में तबादला व तैनाती न मिल पाने से निराशा है।
बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति, पदोन्नति व तबादले की शर्ते तय हैं। कुछ नियमावली पुरानी है तो कुछ में शासन बदलाव भी करता रहता है। चुनावी वर्ष में सरकार के निर्देश पर शिक्षकों को भरपूर लाभ देने की कोशिशें भी हुईं। हजारों को तैनाती व तबादले का मौका मिला तो तमाम इसे हासिल करने से चूक गए।
चुनाव की आचार संहिता लागू होने से कुछ दिन पहले शासन ने करीबी शिक्षकों को मनचाहा तबादले का लाभ दिया। इसके लिए शिक्षकों की बाकायदे सूची बनाकर जारी की गई। इसमें प्रशिक्षु शिक्षकों को भी दूसरे जिले में जाने का मौका दिया गया है, जबकि प्रोबेशन समय में तबादला आदि संभव नहीं होता। अंतर जिला तबादले में ‘ऊपर’ से जारी हुई सूची में तीन साल की सेवा पूरी होना भी जरूरी नहीं था, बल्कि इसमें पहुंच वालों को ही मौका मिला। दूसरी ओर परिषद की ओर से अंतर जिला तबादले की दो सूची जारी हुई इसमें तबादला नीति एवं मानकों का पूरा ध्यान रखा गया।
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