लेटलतीफी का शिकार है बीटीसी सत्र : शासन में धूल फांक रहा शिक्षा प्रशिक्षण नियमावली का प्रारूप
- उदासीनता : सत्र नियमित करने की कवायद ठंडे बस्ते मे
लखनऊ : वर्ष 2014 बीतने के कगार पर है, लेकिन जिस बीटीसी 2013 के
सत्र को पिछले साल पहली जुलाई से शुरू हो जाना चाहिए था, अब तक उसकी प्रवेश
प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो पायी है। बीटीसी 2013 सत्र की 10679 सीटें अभी
खाली हैं। सत्र की लेटलतीफी का आलम यह है कि शासन की ओर से गठित राज्य
स्तरीय समिति बीटीसी 2013 के लिए अब तक निजी कॉलेजों को संबद्धता दिए जाने
की सिफारिश कर रही है। समिति ने हाल ही में छह कॉलेजों को सत्र 2013 से
संबद्धता देने की सिफारिश की है।
उधर, बीटीसी 2014 के जिस सत्र को पहली जुलाई से शुरू हो जाना चाहिए था, उसके लिए पांच महीने बीतने के बाद भी चयन प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। बीटीसी का सत्र पिछले कई वर्षों से समय से पीछे चल रहा है। यह आलम तब है जब परिषदीय स्कूलों में शिक्षक बनने की शैक्षिक योग्यता स्नातक और बीटीसी है और ये स्कूल शिक्षकों की जबर्दस्त कमी से जूझ रहे हैं। बीटीसी सत्र के पटरी से उतरने की बड़ी वजह यह है कि इस पाठ्यक्रम और सत्र को संचालित करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग अब तक न तो कोई नियमावली और न ही कैलेंडर बना पाया है। बीटीसी कोर्स संचालित करने की मान्यता हासिल करने वाले निजी कालेजों को संबद्धता देने के लिए भी कोई समयसीमा तय नहीं है।
बीटीसी सत्र को नियमित करने और उसका कैलेंडर निर्धारित करने के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने दो साल पहले उप्र प्रारंभिक (बेसिक) शिक्षा प्रशिक्षण नियमावली 2012 का प्रारूप तैयार कर शासन को भेजा था। इस नियमावली के माध्यम से निजी कॉलेजों को तय समयसीमा में संबद्धता देने का इरादा जताया गया था। नियमावली के प्रारूप में बीटीसी की प्रवेश प्रक्रिया जनवरी से शुरू करने की मंशा जतायी गई थी। बीटीसी चयन के लिए जनवरी-फरवरी में अभ्यर्थियों से आवेदन आमंत्रित करने का इरादा था। मार्च-अप्रैल में चयन की प्रक्रिया पूरी कर अभ्यर्थियों को संस्थान/ कालेजों में सीटें आवंटित की जानी थीं।
उधर, बीटीसी 2014 के जिस सत्र को पहली जुलाई से शुरू हो जाना चाहिए था, उसके लिए पांच महीने बीतने के बाद भी चयन प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। बीटीसी का सत्र पिछले कई वर्षों से समय से पीछे चल रहा है। यह आलम तब है जब परिषदीय स्कूलों में शिक्षक बनने की शैक्षिक योग्यता स्नातक और बीटीसी है और ये स्कूल शिक्षकों की जबर्दस्त कमी से जूझ रहे हैं। बीटीसी सत्र के पटरी से उतरने की बड़ी वजह यह है कि इस पाठ्यक्रम और सत्र को संचालित करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग अब तक न तो कोई नियमावली और न ही कैलेंडर बना पाया है। बीटीसी कोर्स संचालित करने की मान्यता हासिल करने वाले निजी कालेजों को संबद्धता देने के लिए भी कोई समयसीमा तय नहीं है।
बीटीसी सत्र को नियमित करने और उसका कैलेंडर निर्धारित करने के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने दो साल पहले उप्र प्रारंभिक (बेसिक) शिक्षा प्रशिक्षण नियमावली 2012 का प्रारूप तैयार कर शासन को भेजा था। इस नियमावली के माध्यम से निजी कॉलेजों को तय समयसीमा में संबद्धता देने का इरादा जताया गया था। नियमावली के प्रारूप में बीटीसी की प्रवेश प्रक्रिया जनवरी से शुरू करने की मंशा जतायी गई थी। बीटीसी चयन के लिए जनवरी-फरवरी में अभ्यर्थियों से आवेदन आमंत्रित करने का इरादा था। मार्च-अप्रैल में चयन की प्रक्रिया पूरी कर अभ्यर्थियों को संस्थान/ कालेजों में सीटें आवंटित की जानी थीं।
मई-जून में अभ्यर्थियों के अंकपत्रों के सत्यापन की कवायद होनी थी ताकि पहली जुलाई से बीटीसी सत्र शुरू हो सके। पहले सेमेस्टर की परीक्षा दिसंबर में और इसके बाद दूसरे, तीसरे और चौथे सेमेस्टर की परीक्षाएं छह-छह महीने के अंतराल पर होनी थीं। नियमावली के प्रारूप में कुछ संशोधनों के बाद इसे कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की योजना थी। बाद में एससीईआरटी ने नियमावली का संशोधित प्रारूप भी शासन को भेजा लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग इस पर कुंडली मारकर बैठा है। इस बारे में पूछने पर सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने कहा कि यह प्रकरण उनके संज्ञान में नहीं है। वह इसके बारे में जानकारी हासिल कर जरूरी कार्रवाई कराएंगे।
खबर साभार : दैनिक जागरण
शून्य हो सकता है बीटीसी 2014 का सत्र
फरवरी में शुरू हो सकती है बीटीसी 2014 की प्रवेश प्रक्रिया
निजी बीटीसी कालेजों में खाली हैं 8000 सीटें
खबर साभार : राष्ट्रीय सहारा
शून्य हो सकता है बीटीसी 2014 का सत्र
फरवरी में शुरू हो सकती है बीटीसी 2014 की प्रवेश प्रक्रिया
निजी बीटीसी कालेजों में खाली हैं 8000 सीटें
लखनऊ। बीटीसी 2014 का सत्र शून्य हो सकता है। हालात यह है कि अभी तक
2013-14 सत्र में ही अभ्यर्थियों को दाखिला नहीं मिल पाया है और निजी
बीटीसी कालेजों में करीब 8000 सीटें खाली हैं। रिक्त सीटों पर प्रवेश व नये
सत्र की प्रक्रिया में ढिलाई को लेकर उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित
महाविद्यालय एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं
प्रशिक्षण परिषद के निदेशक से मिले और कई अहम मांगों को उठाया। एसोसिएशन ने
इसके पहले सचिव बेसिक शिक्षा हीरालाल गुप्ता से भी इन्हीं मुद्दों पर
मुलाकात की थी और उन्होंने एससीईआरटी के निदेशक के समक्ष अपनी मांगों को
उठाने का निर्देश दिया था।
एसोसिएशन ने कहा कि बीटीसी का नियमित सत्र जुलाई
में शुरू होना चाहिए, लेकिन दिसम्बर तक अभी बीटीसी की प्रवेश प्रक्रिया ही
शुरू नहीं हो पायी है। उन्होंने स्नातक के दूसरे कोर्स की तरह बीटीसी में
दाखिला के लिए एक अलग गाइड लाइन बनाकर प्रवेश प्रक्रिया को सरकारी
नियंतण्रमुक्त करने की मांग की। इस पर दोनों पक्षों के बीच सैद्धान्तिक
सहमति बनी है, लेकिन निदेशक ने अकेले स्तर पर ऐसा कोई भी फैसला लेने में
असमर्थता जतायी है। उन्होंने कहा कि वह बीटीसी 2014 -15 की प्रवेश
प्रक्रिया फरवरी में शुरू कराने की स्थिति में होंगे। इस पर एसोसिएशन के
सदस्यों ने 2013-14 सत्र में खाली 8000 सीटों कर प्रवेश का मुद्दा उठाया।
उनका कहना है कि पिछले सत्र के ही अभी पूरे दाखिले नहीं हो सके हैं।निदेशक
एससीईआरटी ने एसोसिएशन को भरोसा दिलाया कि वह रिक्त सीटों पर प्रवेश
दिसम्बर तक अवश्य करा देंगे। उल्लेखनीय है कि 2013-14 के पहले बीटीसी की
प्रवेश प्रक्रिया जिले स्तर से तय होती थी। इसका दारोमदार जिला शिक्षा एवं
प्रशिक्षण संस्थानों पर रहता था, लेकिन पिछले वर्ष से राज्य स्तरीय मेरिट
बनाने की शुरुआत की गयी और उसी मेरिट से अभ्यर्थियों की च्वाइस के आधार पर
जिलों का आवंटन किया गया है, इसके बाद भी अभी बड़ी संख्या में सीटें खाली
हैं। एसोसिएशन के सदस्यों ने बीटीसी कालेजों में दाखिले का अधिकार देने व
डायट की तरह बीटीसी प्रवेश प्रक्रिया को दोबारा लागू करने की मांग की है।
उनका कहना है कि फरवरी में प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी किसी भी
सूरत में प्रवेश अक्टूबर-नवम्बर तक पूरे नहीं हो पाएंगे, ऐसे में बीटीसी का
एक सत्र पिछड़ना तय हो गया है।
खबर साभार : राष्ट्रीय सहारा
लेटलतीफी का शिकार है बीटीसी सत्र : शासन में धूल फांक रहा शिक्षा प्रशिक्षण नियमावली का प्रारूप
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
8:49 AM
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