प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों की मान्यता की शर्तों में हुआ बदलाव, अब निश्चित साइज का खेल का मैदान हुआ जरूरी

प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों की मान्यता की शर्तों में हुआ बदलाव

500 वर्ग मीटर खेल का मैदान तभी खुलेंगे स्कूल, पहले मैदान के आकार को लेकर नहीं था सख्त नियम, उच्च प्राथमिक स्कूल के लिए प्रयोगशाला भी अनिवार्य

26 सितंबर को बेसिक शिक्षा निदेशक को आदेश भेजा गया


प्रयागराज । सरकार ने निजी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल खोलने के लिए अब खेल के मैदान का आकार तय कर दिया है। शासन के विशेष सचिव यतीन्द्र कुमार की ओर से 26 सितंबर को बेसिक शिक्षा निदेशक को मान्यता में बदलाव संबंधी आदेश भेजा गया है। 


अब शहरी सीमा में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल खोलने के लिए क्रमशः 500 और 1000 वर्गमीटर खेल का मैदान होना अनिवार्य है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में क्रमशः 1000 व 2000 वर्गमीटर खेल का मैदान होने पर ही बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल खोलने की मान्यता दी जाएगी। पहले खेलकूद के लिए मैदान के आकार का कोई सख्त नियम नहीं था ।


11 जनवरी 2019 के शासनादेश में सिर्फ इतना लिखा था कि विद्यालय परिसर में या आसपास पर्याप्त क्रीड़ास्थल होना चाहिए, जिसका उपयोग विद्यालय के छात्र-छात्राएं कर सकते हों। प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूल में 270 वर्ग फीट के तीन क्लास रूम, 150-150 वर्ग फीट का एक स्टाफ रूम व एक प्रधानाध्यापक कक्ष का नियम पहले से है। 


अब दोनों प्रकार के विद्यालय के लिए 400 वर्ग फीट का एक अतिरिक्त कक्ष भी अनिवार्य किया गया है जिसमें बच्चों के लिए शैक्षणिक गतिविधियां सुविधापूर्ण तरीके से संचालित हो सके। 


इसके अलावा उच्च प्राथमिक स्कूल खोलने के लिए 600 वर्ग फीट की एक विज्ञान प्रयोगशाला भी अनिवार्य है। पहले विज्ञान प्रयोगशाला का कोई प्रावधान नहीं था । विद्यालय में पर्याप्त संख्या में पेड़-पौधे होने चाहिए जिससे बच्चे प्राकृतिक वातावरण में पठन-पाठन की गतिविधियां पूर्ण कर सकें। 


हालांकि नियमों में बदलाव के बाद बहुत कम स्कूलों को ही मान्यता मिल सकेगी। मान्यता के आवेदन एक अप्रैल से 31 दिसंबर तक लिए जाएंगे।


आवेदन शुल्क कम किया

कक्षा एक से पांच और छह से आठ तक के निजी स्कूलों की मान्यता के लिए आवेदन शुल्क कम कर दिया गया है। पहले प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर के लिए क्रमश: 10 हजार व 15 हजार फीस देनी पड़ती थी। अब क्रमश: पांच हजार व दस हजार शुल्क ही देना होगा।

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