बीएसए को अपना ही आदेश निरस्त करने का अधिकार नहीं, कोर्ट ने लगाई रोक

बीएसए को अपना ही आदेश निरस्त करने का अधिकार नहीं, कोर्ट ने लगाई रोक

सेवा नियमावली में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को अपने किसी आदेश पर पुनर्विलोकन या निरस्त करने का क्षेत्राधिकार नहीं 

यह आदेश हाईकोर्ट ने मथुरा की एक शिक्षिका की याचिका पर दिया है, राज्य सरकार से जवाब-तलब

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बीएसए अपना आदेश निरस्त नहीं कर सकते : हाईकोर्ट;  सेवा नियमावली में क्षेत्राधिकार नहीं, राज्य सरकार से जवाब तलब


प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि सेवा नियमावली में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को अपने किसी आदेश पर पुनर्विलोकन अथवा निरस्त करने का क्षेत्राधिकार नहीं है। अपने ही आदेश को निरस्त करना उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मथुरा द्वारा प्राइमरी विद्यालय की प्रधानाध्यापिका (याची) का एक इंक्रीमेंट स्थायी रूप से रोक कर सेवा बहाली किए जाने संबंधी आदेश निरस्त करने पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार व अन्य विपक्षियों से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

कोर्ट ने याची को कार्य करने देने तथा वेतन भुगतान करते रहने का भी निर्देश दिया है। अगली सुनवाई सात दिसंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने प्राइमरी स्कूल पूर्व माध्यमिक विद्यालय बांदी, ब्लाक बलदेव मथुरा की प्रधानाध्यापिका सीमा की याचिका पर दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे व काँतेय सिंह ने याची की तरफ से बहस की। कहा कि अभिभावकों की शिकायत पर याची को निलंबित कर दिया गया। 


बीएसए मथुरा ने याची को आठ मई, 2023 के आदेश से इंक्रीमेंट रोकने का दंड देकर बहाल कर दिया। उसे पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिरजापुर मथुरा में प्रधानाध्यापिका के रूप में नियुक्त किया गया। इसके बाद नौ मई 2023 को आदेश संशोधित कर याची का प्राइमरी स्कूल पूर्व माध्यमिक विद्यालय बांदी स्थानांतरित कर दिया गया और इसी तारीख में याची को दंडित कर बहाली आदेश वापस ले लिया गया। इसकी वैधता को चुनौती दी गई है। याची अधिवक्ता का कहना है कि बीएसए को अपना आदेश वापस लेने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना ।



प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सेवा नियमावली में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को अपने किसी आदेश पर पुनर्विलोकन या निरस्त करने का क्षेत्राधिकार नहीं है। अपने ही आदेश को निरस्त करना उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।


इसी के साथ कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मथुरा द्वारा प्राइमरी विद्यालय की प्रधानाध्यापिका याची का एक इंक्रीमेंट स्थाई रूप से रोककर सेवा बहाली करने के आदेश को निरस्त करने पर रोक लगा दी है। साथ ही राज्य सरकार व अन्य विपक्षियों से याचिका पर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। 


कोर्ट ने याची को कार्य करने देने  व वेतन भुगतान करते रहने का भी निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई सात दिसंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने प्राइमरी स्कूल पूर्व माध्यमिक विद्यालय बांदी, ब्लॉक बलदेव, जिला मथुरा की प्रधानाध्यापिका सीमा की याचिका पर दिया है।


याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे व कांतेय सिंह ने बहस की। इनका कहना था कि याची को अभिभावकों की शिकायत पर निलंबित कर दिया गया। आठ मई 23 के आदेश से बीएसए मथुरा ने याची को इंक्रीमेंट रोकने का दंड देकर बहाल कर दिया। उसे पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिरजापुर मथुरा में प्रधानाध्यापिका के तौर पर तैनात किया गया। नौ मई 23 को आदेश संशोधित कर याची का प्राइमरी स्कूल पूर्व माध्यमिक विद्यालय बांदी स्थानांतरित कर दिया गया।


नौ अक्तूबर को याची को दंडित कर बहाली आदेश वापस ले लिया। गया। इसकी वैधता को चुनौती दी गई है। याची अधिवक्ता का कहना है। कि बीएसए को अपना आदेश वापस लेने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और जवाब- तलब किया है।
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