शिक्षामित्रों के मानदेय को जीवनयापन के लिए नाकाफी बताते हुए हाईकोर्ट ने मानदेय बढ़ाने हेतु चार हफ्ते में उच्च स्तरीय कमेटी बनाने का दिया आदेश

कर्ज से दबे शिक्षामित्रों में कोर्ट से जगी उम्मीदहाईकोर्ट ने मानदेय बढ़ाने के लिए कमेटी बनाने के दिए हैं निर्देश

10 हजार रुपये मानदेय पर कर रहे जीवनयापन


लखनऊ। शिक्षामित्र महज 10 हजार के मानदेय पर जीवनयापन कर रहे हैं। वह मानदेय बढ़ाने को लेकर काफी समय से संघर्ष कर रहे हैं। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश मानदेय बढ़ाने के लिए कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। इस पर शिक्षामित्रों की उम्मीद जगी है कि मानदेय में बढ़ोतरी होगी तो काफी राहत मिलेगी।

दो दशक से अधिक समय से शिक्षामित्र प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे हैं। सपा सरकार ने इन शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित कर दिया था। इस दौरान शिक्षामित्रों ने घर बनाने तो किसी ने गाड़ी लेने के लिए लोन ले लिया था। न्यायालय ने इस समायोजन को रद्द कर दिया था। उसके बाद करीब आठ वर्ष पहले प्रदेश सरकार ने 3500 रुपये से एकमुश्त मानदेय बढ़ाकर 10 हजार कर दिया था। लगातार महंगाई बढ़ती जा रही है। इस 10 हजार के मानदेय से इनका न तो कर्ज अदा हो पा रहा है न ही इतने कम पैसे में घर चल पा रहा है। अब उम्मीद है, कि मानदेय में बढ़ोतरी होगी।



शिक्षामित्रों को सम्मानजनक मानदेय दे सरकार: हाईकोर्ट

अदालत ने कहा, सरकार समिति बनाकर मानदेय वृद्धि पर फैसला ले

सहायक अध्यापक के बराबर वेतन की मांग अस्वीकार की गई


प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि शिक्षामित्रों को सम्मानजनक और आजीविका के लिए आवश्यक मानदेय का भुगतान करे। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा समय में शिक्षामित्रों का मानदेय बहुत कम है इसलिए सरकार एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित कर मानदेय वृद्धि पर निर्णय ले। हालांकि कोर्ट ने शिक्षामित्रों द्वारा समान कार्य-समान वेतन के सिद्धांत पर सहायक अध्यापकों के बराबर वेतन की मांग को अस्वीकार कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर निर्णय विशेषज्ञ समिति द्वारा लिया जाना चाहिए इसलिए याची राज्य सरकार के सक्षम प्राधिकारी से संपर्क करें। सक्षम प्राधिकारी उनकी मांग पर विचार कर निर्णय ले। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने जितेंद्र कुमार व दर्जनों शिक्षामित्रों की याचिका पर दिया है।


शिक्षामित्रों के मानदेय को जीवनयापन के लिए नाकाफी बताते हुए हाईकोर्ट ने मानदेय बढ़ाने हेतु चार हफ्ते में उच्च स्तरीय कमेटी बनाने का दिया आदेश 
 
1.42 लाख शिक्षामित्र हैं कार्यरत

साल में 11 महीने मिलता है 10,000 रुपये मानदेय

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के लिए चार हफ्ते में उच्चस्तरीय कमेटी बनाने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है। अदालत ने उनका मानदेय जीवनयापन के लिए नाकाफी माना है। कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि कमेटी अगले तीन माह में सहानुभूतिपूर्वक विचार कर नियमानुसार शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने पर उचित निर्णय लेगी।


यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने जितेंद्र कुमार भारती सहित 10 याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने समान कार्य समान वेतन की मांग मानने से इन्कार कर दिया है, किन्तु कहा है कि इतना मानदेय दिया जाना चाहिए जिससे महंगाई को देखते हुए गरिमामय जीवन यापन हो सके। याची का कहना था कि शिक्षामित्र विभिन्न स्कूलों में पिछले 18 सालों से सहायक अध्यापक की तरह पढ़ा रहे हैं और उन्हें काफी कम मानदेय दस हजार रुपये दिया जा रहा है। इसलिए समान कार्य समान वेतन के स्थापित विधि सिद्धांत के तहत नियमित सहायक अध्यापक को मिल रहा न्यूनतम वेतनमान दिया जाए। अथवा मानदेय का पुनरीक्षण कर बढ़ाया जाए।

सरकार का तर्क
सरकार की तरफ से कहा गया कि याचीगण संविदा पर कार्यरत हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे लोगों को समान कार्य समान वेतन देने से अपने फैसलों में इन्कार किया है।

कोर्ट ने कहा
शिक्षामित्र संविदा पर कार्यरत हैं। कोर्ट यह तय नहीं कर सकती कि उन्हें समान कार्य समान वेतन का लाभ दिया जाए। यह तय करना विशेषज्ञ प्राधिकारी का काम है। इसलिए याचीगण सरकार से संपर्क करें।

साढ़े छह साल से नहीं हुई बढ़ोतरी:
 लखनऊ। 2015-16 में सपा सरकार ने 1.70 लाख से अधिक शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक नियुक्त किया था। इससे वंचित रहे कुछ शिक्षामित्रों ने सरकार के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की। सर्वोच्च न्यायालय ने 25 जुलाई, 2017 को शिक्षामित्रों की सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति हैं को रद्द कर दिया। 26 जुलाई से शिक्षामित्रों ने आंदोलन शुरू किया। लखनऊ में गोमती किनारे शिक्षामित्रों ने डेरा डाला। इस आंदोलन के दौरान एक शिक्षामित्र की मृत्यु हो गई थी। 

इस आंदोलन के बाद सरकार ने शिक्षामित्रों का मानदेय 3500 से बढ़ाकर 10,000 रुपये करने की घोषणा कर दी। शिक्षामित्रों को 68500 और 69000 शिक्षक भर्ती में महीने अतिरिक्त भारांक देकर वरीयता भी दी गई। शिक्षामित्रों ने विधानसभा चुनाव 2022 से पहले भी मानदेय बढ़ाने के लिए आंदोलन किया था।

शिक्षामित्रों के मानदेय को जीवनयापन के लिए नाकाफी बताते हुए हाईकोर्ट ने मानदेय बढ़ाने हेतु चार हफ्ते में उच्च स्तरीय कमेटी बनाने का दिया आदेश Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 10:37 AM Rating: 5

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