सरप्लस अध्यापकों वाले जिलों में स्थानांतरण न करने को हाईकोर्ट ने ठहराया सही, बेसिक शिक्षा परिषद की स्थानांतरण नीति में हस्तक्षेप से किया इंकार
'मनचाहे जिलों में कार्य करना अधिकार नहीं', अंतरजनपदीय स्थानांतरण की मांग वाली याचिकाएं खारिज, देखें कोर्ट ऑर्डर
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों की ओर से अंतरजनपदीय स्थानांतरण करने की मांग वाली दायर की गई याचिकाएं खारिज दी हैं। कोर्ट ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद की स्थानांतरण नीति के तहत स्वीकृत पद के सापेक्ष अधिक संख्या वाले अध्यापकों के जिलों में अंतरजनपदीय स्थानांतरण नहीं करने का निर्णय सही है। शिक्षक अपने इच्छित जिलों में कार्य करने का अधिकार नहीं रखते हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने एक साथ सुन कर खारिज करते रचना सहित 57 याचिकाओं पर हुए दिया। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से अधिवक्ता अर्चना सिंह ने पक्ष रखा। याचिकाओं में दो जून 2023 को घोषित अंतरजनपदीय स्थानांतरण नीति के क्लाज चार को चुनौती दी गई थी।
इस क्लाज के अनुसार जनपद में कार्यरत अध्यापकों की संख्या के 10 प्रतिशत की अधिकतम सीमा तक अंतरजनपदीय स्थानांतरण किया जाएगा। साथ ही ऐसे जिलों, जहां स्वीकृत संख्या से अधिक अध्यापक कार्यरत थे, उन जिलों में दूसरे जिलों से कोई अध्यापक स्थानांतरित करके नहीं भेजा जाएगा।
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि बेसिक शिक्षा परिषद की स्थानांतरण नीति के तहत स्वीकृत पद के सापेक्ष अधिक संख्या वाले अध्यापकों के जिलों में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नहीं करने का निर्णय सही है। कोर्ट ने कहा कि यह निर्णय न तो मनमाना है और न ही विधि विरुद्ध है। इसलिए सरकार की नीति में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं है। इसी के साथ कोर्ट ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नीति के क्लाज चार में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने रचना व दर्जनों अन्य अध्यापकों की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद दिया है। याचिकाओं में दो जून 2023 को घोषित अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नीति के क्लाज चार को चुनौती दी गई थी। इस क्लाज के अनुसार जनपद में स्वीकृत पद के सापेक्ष 30 अप्रैल 2023 तक कार्यरत अध्यापकों की संख्या के 10 प्रतिशत की अधिकतम सीमा तक अंतर्जनपदीय स्थानांतरण किया जाएगा।
किसी जनपद से स्थानांतरित होकर आने वाले व स्थानांतरित होकर जाने वाले शिक्षकों की अधिकतम सीमा 10 प्रतिशत होगी। इसके तहत सरकार ने कुछ ऐसे जिलों, जहां स्वीकृत संख्या से अधिक संख्या में अध्यापक कार्यरत थे, वहां के संबंध में निर्णय लिया कि उन जिलों में कार्यरत अध्यापक दूसरे जिलों को स्थानांतरित तो किए जा सकेंगे लेकिन दूसरे जिलों से उन जिलों में कोई अध्यापक स्थानांतरित करके नहीं भेजा जाएगा। ऐसे जिलों को शून्य घोषित किया गया।
याचियों का कहना था कि 10 प्रतिशत पदों की गणना व निर्धारण और उसकी व्याख्या तथा जिलों को शून्य घोषित करना न सिर्फ नीति के विपरीत है बल्कि क्लाज चार की गलत व्याख्या भी है। कहा गया कि सरकार ने स्वीकृत पद के सापेक्ष अधिक संख्या वाले जिलों को भी 10 प्रतिशत की सीमा में शामिल कर लिया है।
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सरप्लस अध्यापकों वाले जिलों में स्थानांतरण न करने को हाईकोर्ट ने ठहराया सही, बेसिक शिक्षा परिषद की स्थानांतरण नीति में हस्तक्षेप से किया इंकार
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
on
7:56 AM
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