69000 शिक्षक भर्ती : सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मिली सरकार को राहत, सर्वमान्य फार्मूला निकालने के लिए मिला समय
69000 शिक्षक भर्ती : सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मिली सरकार को राहत, सर्वमान्य फार्मूला निकालने के लिए मिला समय
10 सितंबर 2024
लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में नई सूची जारी करने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद प्रदेश सरकार ने राहत की सांस ली है। माना जा रहा है कि कोर्ट के इस फैसले के बाद अब सरकार के स्तर पर इस मसले के हल का सर्वमान्य फार्मूला निकाल लिया जायेगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अब 23 सितंबर को दोनों पक्षो से लिखित जवाब मांगा है। इससे सरकार को और समय मिल गया है।
हाईकोर्ट के फैसले के तत्काल बाद ही सरकार ने कहा था कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नुकसान नहीं होने दिया जायेगा और नौकरी कर रहे अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ भी अन्याय नहीं होने दिया जायेगा। सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग को हाईकोर्ट के फैसले का परीक्षण करके फार्मूला तैयार करने के निर्देश भी दिए थे। इसी बीच अब सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद सरकार को फार्मूला तैयार करने का समय मिल गया है।
69000 शिक्षक भर्ती: दोनों पक्षों को सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद, आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का जारी रहेगा आंदोलन
10 सितम्बर 2024
लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई और 23 सितंबर को होने वाली सुनवाई से आरक्षित व अनारक्षित दोनों वर्ग के अभ्यर्थियों को न्याय की उम्मीद है। हालांकि, आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय आने तक आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया है। वे मंगलवार से फिर आंदोलन की शुरुआत करेंगे।
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा कि 13 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हित में फैसला सुनाया है, लेकिन सरकार की हीलाहवाली से यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। आरक्षण नियमों के पालन की लड़ाई हम जारी रखेंगे। कहा, हमें सुप्रीम कोर्ट से न्याय की पूरी उम्मीद है।
उधर, चयनित अभ्यर्थी प्रत्यूष चंद्र मिश्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे हक में आया है। हाईकोर्ट में हम पार्टी नहीं थे जिसका फायदा आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मिला। बार-बार कोर्ट को राज्यस्तरीय मेरिट बताकर गुमराह किया गया। हमने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि यह भर्ती जिला स्तरीय है। हमारा नियोक्ता बीएसए है और आरक्षण भी जिला स्तरीय है। 23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में हमारे पक्ष में निर्णय होगा।
बेसिक शिक्षा विभाग अब तक मंथन में और अभ्यर्थी पहुंच गए सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के आदेश के 23 दिन बाद भी 69000 शिक्षक भर्ती में कोई निर्णय नहीं
08 सितंबर 2024
लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट (HC) ने 69,000 शिक्षक भर्ती की दोनों मेरिट लिस्ट खारिज करके नए सिरे से मेरिट लिस्ट जारी करने के आदेश दिए थे। सरकार ने भी कोर्ट के आदेश के अनुसार कदम उठाने की बात कही थी और किसी के साथ अन्याय न होने का भरोसा दिलाया था। हाई कोर्ट के फैसले को 23 दिन हो गए। उसके बाद से अभ्यर्थियों के अलग-अलग गुटों ने सुप्रीम कोर्ट (SC) में दस्तक दे दी है, लेकिन शिक्षा विभाग अभी तक कोई निर्णय नहीं ले सका है।
बेसिक शिक्षा विभाग की 69,000 शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया साल 2018 में शुरू हुई थी और 2020 में इसका रिजल्ट आया। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने यह आरोप लगाया था कि प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया गया। इसके बाद सरकार ने 6,800 अभ्यर्थियों की एक और लिस्ट जारी की थी। 16 अगस्त को हाई कोर्ट की डबल बेंच ने दोनों लिस्ट खारिज कर दीं और नए सिरे से मेरिट जारी करने का आदेश दिया।
इस पर मुख्यमंत्री ने खुद उच्च स्तरीय बैठक बुलाई और अधिकारियों को निर्देश दिए कि कोर्ट के आदेश के अनुसार कदम उठाएं और किसी भी अभ्यर्थी का अहित न हो। तब से आरक्षित अभ्यर्थी और नौकरी पा चुके शिक्षक सभी इंतजार कर रहे हैं कि शिक्षा विभाग के अधिकारी क्या निर्णय लेते हैं।
कई गुट पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
विभाग के अधिकारी इस पर विधिक राय लेकर हल निकालने की बात कह रहे हैं, लेकिन आधिकारिक तौर पर कुछ बताने को तैयार नहीं हैं। उधर, अभ्यर्थियों के अलग-अलग गुटों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया है। सबसे पहले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी कोर्ट गए। उन्होंने इस मंशा के साथ कैविएट दाखिल की है कि नौकरी पा चुके शिक्षक कोर्ट जाते हैं तो पहले उनकी बात सुनी जाए।
वहीं, चयनित सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर कर दी है। सामान्य अभ्यर्थियों का एक और गुट भी सुप्रीम कोर्ट गया है, जिनकी मेरिट 69,000 से काफी नीचे थी। अब चयनित ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों ने भी अपनी याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी है। उनका तर्क है कि अगर मेरिट में कुछ भी छेड़छाड़ होती है तो सभी चयनितों पर असर पड़ेगा। मेरिट बदलने पर शिक्षकों का जिला बदल जाएगा।
आखिर हिचक क्यों?
हाई कोर्ट के फैसले और अंदर की बात सीएम के निर्देश के बाद भी अफसर अभी तक कोई निर्णय क्यों नहीं ले पा रहे? इसकी वजह यह है कि यह मामला अब इतना पेचीदा हो चुका है कि गुत्थी सुलझाना आसान नहीं रहा। अगर हाई कोर्ट के आदेश का पालन करके नई मेरिट बनती है तो भी कई पक्ष इसका विरोध करेंगे। कुछ की नौकरी जाएगी और जिनकी नहीं जाएगी, उनकी मेरिट बदल जाएगी।
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को अलग से समायोजित किया जाता है तो बीएड और बीटीसी जैसे पेच फंसेंगे। बीएड अब शिक्षक भर्ती की योग्यता नहीं रह गई है। इनमें ज्यादातर बीएड डिग्रीधारी ही है। बीएड वालों को समायोजित करने पर बीटीसी वाले विरोध करने को तैयार बैठे है। यह मामला राजनीतिक भी हो चुका है। किसी भी वर्ग का नुकसान होता है या कोई विवाद होता है, तो भी विभाग की किरकिरी तय है।
69000 शिक्षक भर्ती : सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मिली सरकार को राहत, सर्वमान्य फार्मूला निकालने के लिए मिला समय
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
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6:07 AM
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