भारत सरकार ने अगले छह साल में भारत को पूर्ण साक्षर बनाने का लक्ष्य तय किया, केवल हस्ताक्षर से नहीं, हजार की गिनती, जोड़-घटा, गुणा, भाग के साथ एफएल नेट पास करने पर ही साक्षर
भारत सरकार ने अगले छह साल में भारत को पूर्ण साक्षर बनाने का लक्ष्य तय किया
केवल हस्ताक्षर से नहीं, हजार की गिनती, जोड़-घटा, गुणा, भाग के साथ एफएल नेट पास करने पर ही साक्षर
नई दिल्ली। सरकार ने वर्ष 2030 तक भारत को पूर्ण साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए अब स्कूल, कॉलेज और बीएड की पढ़ाई करने वाले छात्रों को साक्षरता अभियान से जुड़ने पर क्रेडिट और देशसेवा में सहयोग का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। साक्षरता अभियान "उल्लास" में साक्षर होने की परिभाषा भी बदल दी गई है।
अब सिर्फ हस्ताक्षर करना आ जाने से काम नहीं चलेगा। बल्कि, हजार तक गिनती, जोड़-घटा, गुणा, भाग के साथ ओपन बोर्ड की 150 अंकों की फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमरेसी असेसमेंट (एफएलनेट) की परीक्षा पास करने पर ही साक्षर बन सकते हैं। इसके अलावा नोट की पहचान और टेलीफोन का उपयोग आदि भी सिखाया जा रहा है। साक्षर होने के बाद उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए वोकेशनल और स्किल की बाकायदा ट्रेनिंग दी जाएगी।
शिक्षा मंत्रालय की संयुक्त सचिव अर्चना शर्मा अवस्थी ने बताया कि वर्ष 2022 की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की साक्षरता दर 80.3 फीसदी है। इसमें महिलाओं की साक्षरता दर 74.2 फीसदी और पुरुषों की 86.2 फीसदी है। इस अंतर को मिटाने के लिए उल्लास में निरंतर बदलाव हो रहे हैं।
पहले साक्षर होने का मतलब हस्ताक्षर करना और नाम लिखना या पढ़ना होता था। लेकिन अब केंद्र सरकार ने पूर्ण साक्षरता लिए एक बेंचमार्क निर्धारित किया है। के अब 15 साल से 60 साल तक के ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने दूसरी कक्षा तक पढ़ाई की है, लेकिन अब लिखना-पढ़ना भूल चुके हैं, वे निरक्षर माने जाएंगे। एनसीईआरटी ने 22 भारतीय भाषाओं में प्राइमर बनाए हैं, ताकि वे अपनी मातृभाषा में साक्षर बन सकें।
भारत सरकार ने अगले छह साल में भारत को पूर्ण साक्षर बनाने का लक्ष्य तय किया, केवल हस्ताक्षर से नहीं, हजार की गिनती, जोड़-घटा, गुणा, भाग के साथ एफएल नेट पास करने पर ही साक्षर
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
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6:02 AM
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