वर्ष 2027 तक राज्य को बाल श्रम मुक्त बनाने के लिए सभी जिलों में लागू होगी बाल श्रमिक विद्या योजना

वर्ष 2027 तक राज्य को बाल श्रम मुक्त बनाने के लिए सभी जिलों में लागू होगी बाल श्रमिक विद्या योजना


लखनऊ: प्रदेश सरकार ने वर्ष 2027 तक राज्य को बाल श्रम मुक्त बनाने के लिए तैयार की गई राज्य कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया है। पहले चरण में आठ आकांक्षी जिलों बहराइच, बलरामपुर, चंदौली, चित्रकूट, फतेहपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सोनभद्र के साथ कानपुर और देवीपाटन मंडल को दिसंबर 2026 तक बाल श्रम मुक्त किया जाएगा। 


इसके साथ ही 'बाल श्रमिक विद्या योजना' को सभी 75 जिलों में लागू करने का निर्णय लिया गया है। बाल श्रमिकों की निगरानी के लिए एक नया एप व साफ्टवेयर विकसित किया जाएगा। यूनिसेफ के सहयोग से मंडलीय कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।


गुरुवार को गोमतीनगर स्थित उत्तर प्रदेश भवन व अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड सभागार में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ इसकी कार्ययोजना को लेकर प्रमुख सचिव श्रम एमके शन्मुगा सुन्दरम की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक हुई। इसमें तय किया गया कि बाल श्रमिक विद्या योजना के तहत स्कूल में प्रवेश कराए गए पूर्व बाल श्रमिकों को नियमित शिक्षा से जोड़ा जाएगा। 


उनकी निगरानी के लिए एक शिक्षक को 'बाल श्रम हितैषी शिक्षक' नामित किया जाएगा। प्रमुख सचिव ने सभी विभागों को निर्देश दिए कि ड्रापआउट बच्चों की पहचान कर उन्हें दोबारा स्कूल से जोड़ा जाए, उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाए और जरूरत पड़ने पर पुनर्वास की समुचित व्यवस्था की जाए। 


समाज कल्याण विभाग को कहा गया कि बाल श्रमिकों के परिवारों को योजनाओं से जोड़कर आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाए। श्रम आयुक्त मार्कंडेय शाही ने बताया कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में 21.76 लाख बच्चे कामकाजी थे। 


यूनीसेफ के प्रतिनिधियों ने बताया कि प्रदेश में बालश्रम से प्रभावित आठ मंडल गोरखपुर, लखनऊ, मीरजापुर, वाराणसी, देवीपाटन, झांसी, चित्रकूट, आगरा और अलीगढ़ में बाल श्रम उन्मूलन व पुनर्वासन को अगस्त और सितंबर में मंडलीय कार्यशाला होगी।
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