प्रथम नियुक्ति,मौलिक नियुक्ति व परिणामी ज्येष्ठता
- प्रथम नियुक्ति तिथि :-
वह दिनांक या तिथि जब नियुक्ति पत्र पर नियुक्ति
प्राधिकारी का हस्ताक्षर होता है। यह मृतक आश्रित शिक्षकों पर भी लागू
होगा।
- मौलिक नियुक्ति तिथि :-
नियुक्ति का अथवा वह दिनांक या तिथि जिस को एक शिक्षक
नियुक्त पद के सापेक्ष विहित योग्यता धारित करता है। प्रशिक्षित (विहित
योग्यताधारी) शिक्षक के प्रकरण में प्रथम नियुक्ति तिथि ही मौलिक नियुक्ति
तिथि होगी।
मृतक आश्रित के प्रकरण में प्रशिक्षण मुक्ति की तिथि (पूर्व में ये अवधी 10 वर्ष थी जो बाद में बदल कर 5 वर्ष हो गयी और अब यह व्यवस्था समाप्त हो गयी) या सेवारत प्रशिक्षण (मृतक आश्रित के रूप में नियुक्त अप्रशिक्षित शिक्षक जिनका प्रशिक्षण बाद में विभाग द्वारा कराया गया) पूर्ण करने की तिथि जो शासन द्वारा अनुमान्य हो, मौलिक नियुक्ति तिथि कही जाएगी।
मृतक आश्रित के प्रकरण में प्रशिक्षण मुक्ति की तिथि (पूर्व में ये अवधी 10 वर्ष थी जो बाद में बदल कर 5 वर्ष हो गयी और अब यह व्यवस्था समाप्त हो गयी) या सेवारत प्रशिक्षण (मृतक आश्रित के रूप में नियुक्त अप्रशिक्षित शिक्षक जिनका प्रशिक्षण बाद में विभाग द्वारा कराया गया) पूर्ण करने की तिथि जो शासन द्वारा अनुमान्य हो, मौलिक नियुक्ति तिथि कही जाएगी।
- अंतर्जनपदीय स्थानान्तरण द्वारा जनपद में आये शिक्षकों के स्थानान्तरण पत्र के हस्ताक्षरित होने का दिनांक, स्थानांतरित जनपद में मौलिक नियुक्ति तिथि मानी जाएगी।
- इस प्रकार ज्येष्ठता का निर्धारण एक ही संवर्ग में किया जायेगा।
- पदोन्नति में आरक्षण का लाभ प्राप्त करके अपने वरिष्ठ शिक्षक से पहले उच्च संवर्ग में पहुँचाने पर उच्च संवर्ग के शिक्षक को निम्न संवर्ग के शिक्षक से ज्येष्ठ माना जायेगा, भले ही उच्च संवर्ग में स्थित शिक्षक की मौलिक नियुक्ति तिथि निम्न संवर्ग के शिक्षक की मौलिक नियुक्ति तिथि के बाद की हो।
- ऐसी अवस्था में निम्न संवर्ग का शिक्षक (वरिष्ठ शिक्षक) जब पदोन्नति पाकर उच्च संवर्ग में पहुंचता है तो अपनी वरिष्ठता पुनः प्राप्त कर लेता है।
- परिणामी ज्येष्ठता-:
माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय से यह नियम अब समाप्त
हो गया है. इसके अनुसार किसी कर्मचारी की संवर्ग में ज्येष्ठता संवर्ग में
आने की तिथि से अवधारित करने का प्रावधान था।
उदहारण :- यदि आरक्षण का लाभ
पाकर कोई कनिष्ठ शिक्षक अपने वरिष्ठ शिक्षक से पूर्व उच्च संवर्ग में
पहुचता है और उसके बाद में वरिष्ठ शिक्षक पहुंचता है तो उच्च संवर्ग में
पहले आया शिक्षक बाद में आये शिक्षक से वरिष्ठ होगा. यही नियम परिणामी
ज्येष्ठता का नियम कहलाता था।
(लेखक : Sunil Kumar Dubey )
(लेखक : Sunil Kumar Dubey )
(Disclaimer : अगर वरिष्ठता के सम्बन्ध में उपरोक्त में से किसी बिंदु पर आप असहमत हों और उसके खण्डन में कोई प्रमाण दे सकें तो कृपया कमेंट में सूचित करें। उस बिंदु की जांच-परख करके लेख में आवश्यक संशोधन कर दिया जायेगा।)
प्रथम नियुक्ति,मौलिक नियुक्ति व परिणामी ज्येष्ठता
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
4:47 PM
Rating:
No comments:
Post a Comment