शिक्षा नीति में सुधार के लिए सुझाए रास्ते : स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए 13 बिंदु
- शिक्षा नीति में सुधार के लिए सुझाए रास्ते
एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय
को एक सुझाव पत्र भेजा है। इसमें शिक्षा नीति में सुधार के लिए 33 बिंदुओं
को उठाया गया है। ये बिंदु एसोसिएशन की पूर्व में हुई चर्चाओं पर आधारित
हैं। एसोसिएशन की ओर से लखनऊ में आयोजित राज्य विश्वविद्यालयों के
कुलपतियों के दो दिवसीय सम्मेलन के अंतिम दिन रविवार को इसे प्रस्तुत किया
गया।
उच्च शिक्षा के लिए 20 बिंदु और स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए 13 बिंदु सुझाए
• वोकेशनल एजुकेशन को मजबूत करना होगा।
• स्कूली परीक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए सीबीएसई जैसे सीसीई पैटर्न लाने होंगे।
• टीचर्स एजुकेशन में सुधार के साथ ही शिक्षकों की क्वालिटी सुधारनी होगी।
• ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और वंचित समुदायों की शिक्षा व्यवस्था बेहतर करनी होगी।
• स्कूली शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ाना होगा।
• लड़कियों, खास तौर से अल्पसंख्यक और वंचित समुदायों में बेटियों की शिक्षा पर जोर देने की जरूरत है।
• भाषाओं को प्रमोट करना होगा।
• शिक्षा में नैतिक मूल्यों, शारीरिक शिक्षा और कला को जोड़ा जाए।
• बच्चों के स्वास्थ्य को शिक्षण व्यवस्था से जोड़ा जाए।
• कॉलेज व विश्वविद्यालयों में प्रशासकीय सुधार किए जाएं।
• संस्थान की रैंकिंग और संबद्धता पर हो जोर।
• नियमन व्यवस्था की गुणवत्ता भी बेहतर हो।
• केंद्रीय संस्थान एक्सीलेंस पर काम करें।
• राज्य के विश्वविद्यालय सुधारे जाएं।
• उच्च शिक्षा के साथ स्किल डवपलमेंट पर भी काम किया जाए।
• ऑनलाइन, खुली और दूरस्थ शिक्षा के विकल्प बढ़ाए जाएं।
• तकनीक आधारित अध्ययन बढ़ाया जाए।
• शिक्षा में क्षेत्रीय विषमताएं दूर की जाएं।
• लड़कियों की भागीदारी बढ़ानी होगी।
• उच्च शिक्षा समाज से जुड़ी हुई हो।
• अच्छे शिक्षक तैयार किए जाएं।
• सरकारी योजनाओं के लिए स्टूडेंट सपोर्ट सिस्टम बनाया जाए।
• भाषाओं के जरिये सांस्कृतिक विविधता को प्रमोट करें।
• निजी क्षेत्र से उपयोगी भागीदारी हो, जो लाभ पर आधारित न हो।
• उद्योगों के साथ मिलकर शिक्षा दी जाए ताकि रोजगार की समस्या न हो।
• शोध और इनोवेशन को प्रमोट किया जाए।
खबर साभार : अमर उजाला
शिक्षा नीति में सुधार के लिए सुझाए रास्ते : स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए 13 बिंदु
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:44 AM
Rating:
No comments:
Post a Comment