राज्य शिक्षा संस्थान ने सुधारी किताबों में छापे हुए राष्ट्रगान की गलती : ‘पंजाब-सिंधु, गुजरात-मराठा’ की जगह ‘पंजाब-सिंध, गुजरात-मराठा’ करने का निर्णय
- राज्य शिक्षा संस्थान ने सुधारी राष्ट्रगान की गलती
उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के लगभग दो
करोड़ बच्चे अब सही राष्ट्रगान पढ़ेंगे। सरकारी किताबों में प्रकाशित
राष्ट्रगान में सिंधु शब्द को संशोधित कर सिंध कर लिया गया है। एक अप्रैल
से शुरू हो रहे सत्र में किताबों के बैक कवर पर संशोधित राष्ट्रगान
प्रकाशित किया जाएगा।दरअसल कक्षा एक से आठ तक की किताबों में सालों से
राष्ट्रगान में सिंध की जगह सिंधु छपता आ रहा है। राज्य शिक्षा संस्थान
एलनगंज के विशेषज्ञों ने सितम्बर 2014 में सिंधु की जगह सिंध किए जाने का
प्रस्ताव प्रमाण के साथ पाठय़पुस्तक अधिकारी लखनऊ को भेजा था क्योंकि
किताबों के कवर का प्रकाशन वहीं से होता है। संस्थान के विशेषज्ञों ने भारत
सरकार के प्रकाशन विभाग की ओर से प्रकाशित भारत-2014 का हवाला दिया था।
वैसे भी रबिन्द्रनाथ टैगोर की मूल कृति में सिंध शब्द का ही इस्तेमाल हुआ
है।इससे पहले 2009 में भी किताबों की समीक्षा के दौरान यह चूक सामने आई थी।
उस वक्त राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) व
पाठय़पुस्तक विभाग ने राज्य शिक्षा संस्थान से सिंध शब्द के उपयोग के प्रमाण
मांगे थे।
खबर साभार : हिंदुस्तान |
प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के लिए पाठ्य पुस्तकों का लेखन
एवं संपादन करने वाले राज्य शिक्षा संस्थान उत्तर प्रदेश ने पुस्तकों में
राष्ट्रगान की गलती सुधार ली है। संस्थान की ओर से राष्ट्रगान में
‘पंजाब-सिंधु, गुजरात-मराठा’ की जगह संशोधित करके ‘पंजाब-सिंध,
गुजरात-मराठा’ करने का निर्णय ले लिया गया है। पुस्तकों में राष्ट्रगान की
अशुद्धि को दूर करते हुए राज्य शिक्षा संस्थान ने शासन को पत्र लिखा है।
संस्थान के प्राचार्य दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि आगामी सत्र में पुस्तकों
में राष्ट्रगान में संशोधन करके नई किताबें प्रकाशित की जाएंगी। उन्होंने
बताया कि राज्य शिक्षा संस्थान हर वर्ष पुस्तकों में संशोधन करने के साथ
गलती सुधारने का काम करता है। इसी क्रम में राष्ट्रगान की गलती दूर की
जाएगी।
खबर साभार : अमर उजाला
राज्य शिक्षा संस्थान ने सुधारी किताबों में छापे हुए राष्ट्रगान की गलती : ‘पंजाब-सिंधु, गुजरात-मराठा’ की जगह ‘पंजाब-सिंध, गुजरात-मराठा’ करने का निर्णय
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
8:21 AM
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