बच्चों की सुरक्षा के लिए उपाय : स्कूलों में शारीरिक व मानसिक शोषण रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी, परिषदीय सहित निजी स्कूलों में भी लागू होगी व्यवस्था
- बच्चों की सुरक्षा के लिए उपाय
- स्कूलों में शारीरिक व मानसिक शोषण रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी
- निजी स्कूलों में भी लागू होगी व्यवस्था
- अब फेसबुक पर शिष्यों से दोस्ती नहीं कर पाएंगे गुरुजी
शिक्षकों को अपने छात्र-छात्रओं से फेसबुक या ट्विटर पर दोस्ती करने से मना कर दिया गया है। सरकारी, गैरसरकारी सभी माध्यम के शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत बच्चों के शारीरिक/मानसिक शोषण और यौन उत्पीड़न संबंधी घटनाओं की रोकथाम के लिए सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देश में सख्त हिदायत दी गई है कि स्कूल की अनुमति के बगैर कोई भी शिक्षक या कर्मचारी बच्चों से सोशल मीडिया पर संपर्क नहीं रखेगा।
बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश बाबू शर्मा ने 27 फरवरी की गाइडलाइन में अफसरों को निर्देश दिया गया है कि सोशल साइट या मीडिया की अच्छाई-बुराई के संबंध में और इसके संभावित परिणामों से महीने में कम से कम एक बार बच्चों को बताया जाए। यह गाइडलाइन सरकारी स्कूलों के साथ ही सीबीएसई और सीआईएससीई स्कूलों पर समान रूप से लागू होगी।गाइडलाइन के अनुसार जब तक स्कूल के काम के लिए जरूरी न हो कोई भी शिक्षक या कर्मचारी बच्चों को ई-मेल या फोन नहीं करेगा।
स्कूल समय में मोबाइल फोन का प्रयोग न्यूनतम या अपरिहार्य स्थिति में ही हो। स्कूल मैनेजमेंट, प्रिंसिपल, कोर्डिनेटर की जिम्मेदार होगी कि प्रत्येक स्तर पर निगरानी रखें और किसी प्रकार के दुराचरण, र्दुव्यवहार या शोषण के विरुद्ध अनुकूल उपाय करें और जरूरत पड़ने पर सख्ती से पेश आएं।
स्कूली बच्चों की सुरक्षा के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश मिले हैं। इन्हें सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूल के प्रबंधकों और प्रधानाचार्यो को भेजा जा रहा है। बच्चों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। ~ रमेश कुमार तिवारी मंडलीय सहायक बेसिक शिक्षा निदेशक
’प्री-प्राइमरी, प्राइमरी, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक आदि की कक्षाएं अलग-अलग चलाईं जाएं।’ प्रत्येक क्लास का कम से कम एक खिड़की/दरवाजा प्रांगण की ओर खुलता हो और क्लास के दौरान पूरी तरह से खुला हो।’ एक्स्ट्रा क्लास या खेलकूद के बाद संबंधित अध्यापक बच्चों को छोड़ने के बाद स्कूल गेट बंद कराए, प्रिंसिपल सुनिश्चित कराएं कि कोई बच्च स्कूल में न रह गया हो।’ ग्रामीण क्षेत्र में बच्चे अक्सर पैदल ही स्कूल जाते हैं इसलिए उन्हें समूह में आने के लिए प्रेरित किया जाए। ’ बस से आते हैं तो उसमें जीपीआरएस सिस्टम लगा हो और अंदर चाइल्डलाइन, वुमेन हेल्पलाइन व पुलिस स्टेशन का नंबर होना चाहिए। प्रत्येक बस में दो टीचर बच्चों के साथ आवागमन करें।’ यदि ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था आउटसोर्सिग से है तो ड्राइवर व क्लीनर का पुलिस वेरीफिकेशन बस मालिक कराकर स्कूल मैनेजर और प्रिंसिपल को देंगे।’ अभिभावक से इस आशय का प्रमाणपत्र लिया जाए कि बच्च किस साधन से स्कूल आएगा। यदि सार्वजनिक वाहन से बच्चा स्कूल जाता है तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी अभिभावक की होगी।’ स्कूल में यदि अंशकालिक या पार्टटाइम टीचर और कर्मचारी हैं तो उनका पुलिस सत्यापन कराएं।
खबर साभार : हिन्दुस्तान
बच्चों की सुरक्षा के लिए उपाय : स्कूलों में शारीरिक व मानसिक शोषण रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी, परिषदीय सहित निजी स्कूलों में भी लागू होगी व्यवस्था
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:02 AM
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