टीईटी-2011 से संबंधित याचिकाएं खारिज, 6402 याचियों पर जुर्माना, इलाहाबाद हाईकोर्ट कहा-सुप्रीम कोर्ट दे चुका है निर्णय, अब नहीं हो सकता विचार

बीएड बेरोजगारों पर उच्च न्यायालय ने लगाया छह लाख का जुर्माना, 2011 से लंबित भर्ती मामले में कोर्ट ने निस्तारण के दिए निर्देश


टीईटी मैरिट और एकेडमिक मैरिट भर्ती के मामले में हो रही विसंगतियों को लेकर बीएड बेरोजगार उच्च न्यायालय पहुंचे। उच्च न्यायालय ने इस मामले में बीएड बेराजगारों पर लेट लतीफी का आरोप लगाते हुए छह लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। बीएड बेरोजगार मायूस हो गए है। वे सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचेंगे और न्याय की गुहार लगाएंगे।

मामला 2011 का है। 72,825 शिक्षक भर्ती का विज्ञापन बसपा सरकार के समय में प्रकाशित हुआ था। टीईटी मैरिक के आधार पर भर्ती होनी थी। 66 हजार भर्ती हो गईं। सपा सरकार आते ही शेष भर्तियों पर रोक लगा दी गई। एकेडमिक मैरिट के आधार पर भर्ती का मामला बना। इसे लेकर विसंगतियों उत्पन्न हो गई। 

बीएड बेरोजगार उच्च न्यायालय पहुंच गए। यहां उन्होंने विसंगतियां दूर कर भर्ती करने की रिट दायर की। सुनवाई न होने पर बेरोजगार सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को निस्तारित करने के निर्देश दिए। शेष रहीं 6 हजार 825 भर्तियों के मामले को निस्तारित करने को कहा। इस पर उच्च न्यायालय ने सुनवाई की। सुनवाई करने के बाद बीएड बेरोजगारों को आरोपित करते हुए उन पर ही छह लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया। न्यायालय के निर्देश पद प्रदेश बीएड बेरोजगार युवा मायूस हो गए हैं। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय जाने का निर्णय लिया है।



टीईटी-2011 से संबंधित याचिकाएं खारिज, 6402 याचियों पर जुर्माना, इलाहाबाद हाईकोर्ट कहा-सुप्रीम कोर्ट दे चुका है निर्णय, अब नहीं हो सकता विचार

हाईकोर्ट ने देर से दाखिल विशेष अपील की खारिज

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टीईटी (प्राथमिक स्तर) परीक्षा-2011 से संबंधित सभी लंबित याचिकाएं खारिज कर दी। साथ ही हाईकोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए 6402 याचियों पर 100-100 रुपये (कुल 6,40,200 रुपये) का जुर्माना भी लगाया। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने दिया।

कोर्ट ने कहा कि शिव कुमार पाठक बनाम उत्तर प्रदेश सरकार केस में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस विषय पर निर्णय दिया है। अब दोबारा इस विषय पर विचार नहीं किया जा सकता। मामले में याचियों की दलील थी कि टीईटी-2011 परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर मेरिट बनाया जाए। साथ ही टीईटी परीक्षा की ओएमआर शीट्स का पुनर्मूल्यांकन किया जाए। वहीं शासकीय अधिवक्ता ने दलील दी कि टीईटी परीक्षा पात्रता परीक्षा है। इसके आधार पर मेरिट नहीं बनाई जा सकती।

हाईकोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। साथ ही बेवजह की याचिका दाखिल करने पर याचियों पर जुर्माना लगाया। यह राशि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के समक्ष जमा की जानी है।



इलाहाबाद हाईकोर्ट का टीईटी-2011 विवाद पर अहम फैसला, सभी याचिकाएं खारिज

प्रयागराज, 4 अप्रैल 2025: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टीईटी (प्राथमिक स्तर) परीक्षा-2011 से जुड़ी सभी लंबित याचिकाओं को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि शिव कुमार पाठक बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही निर्णय दे चुका है, इसलिए इस विषय पर दोबारा विचार संभव नहीं है।

क्या है पूरा मामला?
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि टीईटी-2011 में प्राप्त अंकों को भर्ती की मेरिट सूची में शामिल किया जाए। इसके अलावा, उन्होंने ओएमआर शीट्स के पुनर्मूल्यांकन की भी मांग की। उनका तर्क था कि 2011 से 2015 के बीच परीक्षा परिणाम अलग-अलग तिथियों पर घोषित किए गए, जिससे उम्मीदवारों के बीच असमानता उत्पन्न हुई।

राज्य सरकार का पक्ष
राज्य सरकार के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि टीईटी केवल पात्रता परीक्षा है, न कि चयन प्रक्रिया का मेरिट निर्धारण करने वाला मापदंड। उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि 7 दिसंबर 2012 के भर्ती विज्ञापन के आधार पर आगे कोई नियुक्ति प्रक्रिया नहीं चल सकती।

हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए कहा कि 66,655 शिक्षक पहले ही अंतरिम आदेशों के तहत नियुक्त किए जा चुके हैं, इसलिए इस मामले में अब हस्तक्षेप संभव नहीं है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार शेष रिक्तियों को भरने के लिए नए विज्ञापन जारी करने के लिए स्वतंत्र है।

याचिकाकर्ताओं पर 100 रुपये का जुर्माना
अदालत ने टिप्पणी की कि यह मामला अनावश्यक मुकदमेबाजी (Luxury Litigation) की श्रेणी में आता है, क्योंकि याचिकाकर्ताओं को पहले से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने दोबारा याचिका दायर की। इस कारण प्रत्येक याचिकाकर्ता पर 100 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

कोर्ट ऑर्डर 👇 
टीईटी-2011 से संबंधित याचिकाएं खारिज, 6402 याचियों पर जुर्माना, इलाहाबाद हाईकोर्ट कहा-सुप्रीम कोर्ट दे चुका है निर्णय, अब नहीं हो सकता विचार Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 6:03 AM Rating: 5

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