समय से किताबें मिलना मुश्किल : टेंडर स्थगित होने से स्कूली किताबों की छपाई खटाई में
लापरवाही : अप्रैल से शुरू होना है परिषदीय स्कूलों का नया सत्र
लखनऊ : गुजरे वर्षो की तरह एक बार फिर परिषदीय स्कूलों के बच्चों को नए
सत्र की शुरुआत में किताबें मिल पाना मुश्किल है। परिषदीय स्कूलों के अगले
शैक्षिक सत्र के लिए भले ही रविवार से स्कूल चलो अभियान शुरू हो गया हो,
लेकिन नए सत्र में स्कूली बच्चों को समय से किताबें मिलने पर सवालिया निशान
लग गया है। वजह यह है कि परिषदीय स्कूलों में बच्चों को निश्शुल्क बांटी
जाने वाली पाठ्य पुस्तकों के प्रकाशकों के चयन के लिए 28 फरवरी को होने
वाली टेंडर प्रक्रिया स्थगित कर दी गई। इस बार परिषदीय स्कूलों का शैक्षिक
सत्र पहली अप्रैल से शुरू होगा।
परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के सभी बच्चों को सरकार निश्शुल्क किताबें बांटती हैं। अगले शैक्षिक सत्र के लिए परिषदीय स्कूलों के 1.8 करोड़ बच्चों के लिए लगभग 14 करोड़ किताबें छपनी हैं। इन किताबों की छपाई के लिए प्रकाशकों का चयन करने की खातिर बीती 28 फरवरी को टेंडर होना था। पिछले वर्ष तक पाठ्य पुस्तकों की छपाई के लिए आपूर्तिकर्ताओं के सामने पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकूल (ईको फ्रेंडली) कागज की आपूर्ति की शर्त रखी जाती थी। इस साल ईको फ्रेंडली के साथ रीसाइकल्ड कागज की आपूर्ति की शर्त रख दी गई। पाठ्य पुस्तकों की छपाई के लिए बीते वर्षो में कागज की आपूर्ति करती आई हिन्दुस्तान पेपर कार्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसी) ने इसे लेकर आपत्ति जताई थी। एचपीसी का कहना है कि रीसाइकल्ड कागज की आपूर्ति की शर्त के कारण व कागज की आपूर्ति की टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो रही है। एचपीसी की आपत्ति पर शासन ने टेंडर प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है। टेंडर स्थगित होने से किताबों की छपाई फिलहाल खटाई में पड़ गई है।
बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इतनी पड़ी संख्या में किताबें छापने के लिए प्रकाशकों को डेढ़ से दो महीने का समय लगता है। बेसिक शिक्षा परिषद का अगला शैक्षिक सत्र पहली अप्रैल से शुरू होना है। अगले सत्र के लिए विभाग ने स्कूली बच्चों को 10 अप्रैल तक किताबें वितरित करने की योजना बनायी थी। सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने कहा कि किताबों की छपाई के लिए दोबारा टेंडर प्रक्रिया पूरी कराने में समय लगेगा। उन्होंने माना कि इन परिस्थितियों में बच्चों को सत्र की शुरुआत में तय समय में किताबें उपलब्ध करा पाना मुश्किल होगा।
परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के सभी बच्चों को सरकार निश्शुल्क किताबें बांटती हैं। अगले शैक्षिक सत्र के लिए परिषदीय स्कूलों के 1.8 करोड़ बच्चों के लिए लगभग 14 करोड़ किताबें छपनी हैं। इन किताबों की छपाई के लिए प्रकाशकों का चयन करने की खातिर बीती 28 फरवरी को टेंडर होना था। पिछले वर्ष तक पाठ्य पुस्तकों की छपाई के लिए आपूर्तिकर्ताओं के सामने पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकूल (ईको फ्रेंडली) कागज की आपूर्ति की शर्त रखी जाती थी। इस साल ईको फ्रेंडली के साथ रीसाइकल्ड कागज की आपूर्ति की शर्त रख दी गई। पाठ्य पुस्तकों की छपाई के लिए बीते वर्षो में कागज की आपूर्ति करती आई हिन्दुस्तान पेपर कार्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसी) ने इसे लेकर आपत्ति जताई थी। एचपीसी का कहना है कि रीसाइकल्ड कागज की आपूर्ति की शर्त के कारण व कागज की आपूर्ति की टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो रही है। एचपीसी की आपत्ति पर शासन ने टेंडर प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है। टेंडर स्थगित होने से किताबों की छपाई फिलहाल खटाई में पड़ गई है।
बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इतनी पड़ी संख्या में किताबें छापने के लिए प्रकाशकों को डेढ़ से दो महीने का समय लगता है। बेसिक शिक्षा परिषद का अगला शैक्षिक सत्र पहली अप्रैल से शुरू होना है। अगले सत्र के लिए विभाग ने स्कूली बच्चों को 10 अप्रैल तक किताबें वितरित करने की योजना बनायी थी। सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने कहा कि किताबों की छपाई के लिए दोबारा टेंडर प्रक्रिया पूरी कराने में समय लगेगा। उन्होंने माना कि इन परिस्थितियों में बच्चों को सत्र की शुरुआत में तय समय में किताबें उपलब्ध करा पाना मुश्किल होगा।
खबर साभार : दैनिक जागरण
- शिक्षा माफियाओं पर शासन ने कसी नकेल
निविदा को आगे बढ़ाये जाने पर राजनाथ शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार में कुछ भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारियों की निरंकुश कार्यशैली से सरकार की छवि खराब हो रही है। ऐसे में मेरे पत्रों को संज्ञान में लेते हुए जिस प्रकार से मुख्यमंत्री सचिव आमोद कुमार एवं पार्थ सारथी सेन शर्मा ने इस महत्वपूर्ण प्रकरण पर गम्भीरता दिखायी वह कार्य अति प्रशंसनीय है। ऐसे में लगता है कि अब सूबे के लाखों बच्चों का भविष्य उज्जवल होगा तथा आने वाले समय में बच्चों को पढ़ने के लिये अच्छे कागजों पर तैयार पुस्तकें ही प्राप्त होंगी।
श्री शर्मा ने शासन के भ्रष्ट अधिकारियों पर आरोप लगाते हुये कहा कि पूर्व वर्षों में इसी प्रकार की अनियमितता के चलते कागजों की गुणवत्ता बेहद खराब रही। इस बार सूबे के मुख्यमंत्री द्वारा शिक्षा की बेहतर सुविधा मुहैया कराने को लेकर पुस्तकों की अच्छी गुणवत्ता पर 15 प्रतिशत का अतिरिक्त बजट पेश किया। जिसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी इस करोड़ों के घोटाले में शामिल हुए। जैसे ही शासन के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में यह प्रकरण आया उसके बाद उनके द्वारा तत्काल साहसिक कदम उठाया और निविदा को अनिश्चित काल के लिये आगे बढ़ा दिया।
खबर साभार : डेली न्यूज एक्टिविस्ट
समय से किताबें मिलना मुश्किल : टेंडर स्थगित होने से स्कूली किताबों की छपाई खटाई में
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
8:20 AM
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