शिक्षामित्रों के समायोजन प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, 27 जुलाई को बेसिक शिक्षा सचिव को दिया हाजिर रहने का निर्देश
- शिक्षा मित्रों को अध्यापक बनाने पर रोक
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बगैर टीईटी पास किए सहायक शिक्षक बनाना गलत
- 1,35,82 शिक्षा मित्र अब तक बन चुके हैं सहायक अध्यापक
- 1,76,00 कुल शिक्षा मित्र बनाए जाने हैं सहायक अध्यापक
नई
दिल्ली। उत्तर प्रदेश में शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाए जाने पर
सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति
यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने दो टूक कहा कि बगैर टीईटी पास किए
शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षक बनाना गलत है। ऐसा करना नेशनल कौंसिल फॉर
टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) के नियमों के विरुद्ध है। साथ ही पीठ ने यूपी
सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए भी कहा है।
कोर्ट
ने राज्य सरकार से पूछा कि कितने शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षक बनाया जा
चुका है? बताया गया कि करीब 1.76 लाख शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के
तौर पर नियुक्त किया जाना है। मालूम हो कि सहायक शिक्षक के लिए टीईटी पास
करना जरूरी है।
पीठ ने सरकार द्वारा
शैक्षिक पृष्ठभूमि के आधार पर निर्धारित की जाने वाले क्वालिटेटिव पॉइंट या
कॅरिअर पॉइंट को प्रमुखता देने पर भी आपत्ति जताई। पीठ ने कॅरिअर पॉइंट को
खतरनाक बताया है। पीठ ने सरकार से कहा कि आप पूरे कॅरिअर ग्राफ को ले
रहे है जबकि मानक उच्चशिक्षा होना चाहिए। कॅरिअर ग्राफ हमें तर्कसंगत नहीं
लगता। हालांकि पीठ ने कहा, राज्य को इसमें जोड़ने व घटाने का अधिकार है।
साथ्ा ही पीठ ने यूपी सरकार को निर्देश दिए कि वह एक विस्तृत रिपोर्ट
दाखिल कर बताए कि दूसरे राज्यों में इसको लेकर क्या नियम कायदे बनाए गए
हैं।
- मामले को पेचीदा बना रही यूपी सरकार
यूपी सरकार दिशानिर्देशों से इतर नहीं जा सकती है। वह मामले को पेचीदा बना रही है। - कोर्ट
- हाजिर हों, नहीं तो होगी कार्रवाई
पीठ
ने बेसिक शिक्षा सचिव और विशेष सचिव को सुनवाई की अगली तारीख 27 जुलाई को
निजी तौर पर अदालत में हाजिर होने के लिए कहा है। गैर हाजिर रहने पर उनके
खिलाफ अवमानना की कार्रवाई भी हो सकती है।
- राज्य सरकार ने प्रक्रिया रोकी
लखनऊ
(ब्यूरो)। सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद राज्य सरकार ने इनके समायोजन
की प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से रोक दी है। सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता
ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी मिलने के बाद प्रक्रिया पर
रोक लगाने का निर्देश दिया गया है। गुप्ता ने बताया कि 27 जुलाई को सुप्रीम
कोर्ट में राज्य सरकार शिक्षा मित्रों के समायोजन के संबंध में अपना पक्ष
रखेगी। उन्होंने बताया, पहले चरण में 58,826 और दूसरे चरण में अब तक 77
हजार शिक्षा मित्रों को शिक्षक बनाया जा चुका है।
खबर साभार : अमर उजाला
उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षक बनने का ख्वाब देख रहे शिक्षामित्रों को सुप्रीमकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीमकोर्ट ने अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के बगैर शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक नियुक्त करने पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं कोर्ट ने अब तक हुई ऐसी भर्तियों के लिए बेसिक शिक्षा सचिव को सुप्रीमकोर्ट में तलब भी किया है। बेसिक शिक्षा सचिव को अगली सुनवाई 27 जुलाई पर निजी तौर पर कोर्ट में पेश होना है।
ये निर्देश न्यायमूर्ति दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने हिमांशु राणा की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई के बाद दिए हैं। इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील आनंद नंदन ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार टीईटी के बगैर ही शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक नियुक्त कर रही है जो कि ठीक नहीं है। उनका कहना था कि सहायक शिक्षक के लिए टीईटी पास करना जरूरी है, लेकिन राज्य सरकार सैकड़ों ऐसे शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक नियुक्त कर चुकी है जिन्होंने टीईटी नहीं पास किया है। कोर्ट ने उनकी दलीलों पर कहा कि यह गंभीर मामला है और वे इस पर सुनवाई करेंगे।
कोर्ट ने राज्य के बेसिक शिक्षा सचिव को अगली सुनवाई 27 जुलाई को पेश होकर अब तक हुई ऐसी भर्तिर्यो पर स्पष्टीकरण देने को कहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने बगैर टीईटी के शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक नियुक्त करने पर रोक लगा दी। 1याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि उत्तर प्रदेश में 172000 शिक्षामित्र हैं जिन्हें उत्तर प्रदेश सरकार सहायक शिक्षक के तौर पर नियमित नियुक्ति दे रही है। इनमें से करीब डेढ़ लाख शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया जा चुका है और अब मात्र 20000 के करीब शिक्षामित्र ही नियुक्ति के लिए बचते हैं।
साभार : जागरण |
शिक्षामित्रों के समायोजन प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, 27 जुलाई को बेसिक शिक्षा सचिव को दिया हाजिर रहने का निर्देश
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:30 AM
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