बेसिक शिक्षा की खराब गुणवत्ता पर मुख्य सचिव ने जताई नाराजगी : गुणवत्ता खराब होने के पीछे फेल न करने के प्रावधान को भी ठहराया जिम्मेदार
- शिक्षकों के वेतन पर 36 हजार करोड़ खर्च, फिर भी पढ़ाई घटिया
- ‘100 सरकारी प्राथमिक स्कूलों का रूपांतरण’ पर कार्यशाला आयोजित
लखनऊ।
प्रदेश में शिक्षा के बजट एक लाख 25 हजार करोड़ रुपये में से 36 हजार
करोड़ रुपये सिर्फ परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के वेतन पर खर्च होते हैं।
इसके बावजूद सूबे में बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता अच्छी न होना दुखद है। ये
कहना है मुख्य सचिव आलोक रंजन का। वे शनिवार को विश्वेसरैया सभागार में
प्रदेश सरकार व आई केयर संस्था की ओर से आयोजित ‘100 सरकारी प्राथमिक
स्कूलों का रूपांतरण’ विषयक कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे
थे।
परिषदीय स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता
में सुधार न होने पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि अन्य नौकरियों के
मुकाबले शिक्षकों को बहुत अच्छा वेतन दिया जा रहा है। इसके बावजूद शिक्षा
की गुणवत्ता न सुधरना बड़ा सवाल खड़ा करता है। इस स्थिति को देखते हुए अब
शिक्षा अधिकारियों को एक प्रोफॉर्मा दिया जाएगा जिसे निरीक्षण के दौरान
उन्हें भरना होगा। निरीक्षण में अब शिक्षकों की भी जिम्मेदारी तय की जाएगी।
इसके अलावा उन्होंने परिषदीय स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता खराब होने के
पीछे आरटीई के तहत आठवीं तक बच्चों को फेल न करने के प्रावधान को भी
जिम्मेदार ठहराया। कहा कि बच्चे फेल भले ही नहीं किए जाएं, लेकिन उनके
ज्ञान के स्तर की जानकारी होनी चाहिए। इसलिए प्र्रदेश में पुरानी परीक्षा
प्रणाली लागू की जा रही है।
शिक्षा की
गुणवत्ता सुधारने के लिए उन्होंने शिक्षकों को भी सोचने और सहयोग करने को
कहा। कार्यशाला में मुख्य सचिव ने सीडीओ योगेश कुमार, नागरिक सुरक्षा संगठन
के चीफ वार्डन प्रमोद कुमार चौधरी, निजी स्कूल फेडरेशन के अध्यक्ष मधुसूदन
दीक्षित, लविवि के पूर्व कुलपति प्रो. एमएस सोढ़ा और महिला शिक्षा के
क्षेत्र में उल्लेखनीय काम के लिए ज्योत्सना को सम्मानित किया गया। बता दें
आई केयर संस्था ने राजधानी के 100 सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता
सुधारने का बीड़ा उठाया है। कार्यक्रम को बेसिक शिक्षा के सचिव एचएल
गुप्ता, सीबीएसई के पूर्व निदेशक डॉ. अशोक गांगुली व डॉ. शकुंतला मिश्रा
पुनर्वास विवि के एकेडमिक एडवाइजर प्रो. एपी तिवारी ने भी संबोधित किया।
- शिक्षकों के ट्रांसफर जुगाड़ की भी खोली पोल
मुख्य
सचिव ने बेसिक शिक्षकों के ट्रांसफर में जुगाड़ की पोल भी खोली। उन्होंने
कहा कि सबसे ज्यादा जुगाड़ परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती के लिए
लगाया जाता है। सबको शहर या सड़क के पास का स्कूल चाहिए। उन्होंने बेसिक
शिक्षा के प्रमुख सचिव के तौर पर अपने कार्यकाल के एक प्रकरण जिक्र भी
किया, जब सात बच्चों वाले एक स्कूल में 11 शिक्षक तैनात थे।
खबर साभार : अमर उजाला
बच्चों के सीखने का स्तर कम मिला तो शिक्षक होंगे जिम्मेदार
संगोष्ठी में बोले मुख्य सचिव
लखनऊ : मुख्य सचिव आलोक रंजन ने शनिवार को कहा कि अब तक परिषदीय
स्कूलों में सिर्फ अवस्थापना सुविधाओं पर ही ध्यान दिया जाता था लेकिन अब
सरकार इनमें शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर जोर देगी। बेसिक शिक्षा विभाग
के अधिकारी नियमित तौर पर स्कूलों का मुआयना कर बच्चों के सीखने-समझने के
स्तर को परखेंगे। इसमें कमी पाये जाने पर शिक्षक जिम्मेदार ठहराये जाएंगे।
वह शुक्रवार को लोक निर्माण विभाग के विश्वेश्वरैया सभागार में सामाजिक संस्था आइकेयर इंडिया द्वारा ‘सौ सरकारी प्राथमिक विद्यालयों का रूपांतरण’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली ने कहा कि सरकारी स्कूलों में कम से कम एक साल की प्री-प्राइमरी शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। भारतीय प्रबंध संस्थान लखनऊ के प्रो.डीएस सेंगर ने कहा कि बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि पैदा करने का काम शिक्षक का है। लिहाजा सरकार का यह कर्तव्य है कि वह अच्छे शिक्षक भर्ती करे और उन्हें ट्रेनिंग दिलाये। सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता ने बताया कि परिषदीय जूनियर हाईस्कूलों में जल्द ही गणित और विज्ञान विषयों के 29334 शिक्षकों की भर्ती होगी। संगोष्ठी को पूर्व मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एसबी निम्से और अन्य शिक्षाविदों को भी संबोधित किया।
खबर साभार : नवभारत
बेसिक शिक्षा की खराब गुणवत्ता पर मुख्य सचिव ने जताई नाराजगी : गुणवत्ता खराब होने के पीछे फेल न करने के प्रावधान को भी ठहराया जिम्मेदार
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
7:44 AM
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