अध्यापकों को सत्रांत लाभ नहीं देने पर जवाब तलब : प्रदेश सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा
इलाहाबाद।
प्राथमिक विद्यालयों के सत्र में परिवर्तन होने के कारण अध्यापकों को इस
वर्ष सत्रांत का लाभ नहीं दिया जा रहा है। इस संबंध में नौ दिसंबर 2014 को
एक शासनादेश जारी किया गया है जिसके मुताबिक अब प्राथमिक विद्यालयों का
सत्र अप्रैल माह से प्रारंभ होगा। इस आधार पर बीच सत्र में रिटायर होने
वाले अध्यापकों को सत्रांत लाभ नहीं मिलेगा। इस शासनादेश को याचिका दाखिल
कर चुनौती दी गई है। गोरखपुर जिले में तैनात प्रधानाध्यापक रामवृक्ष मौर्य
की याचिका पर सुनवाई रहे न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने प्रदेश सरकार से तीन
सप्ताह में जवाब मांगा है।
खबर साभार : अमर उजाला
याचिका में कहा गया है कि सरकार ने एक अपै्रैल 2015 से नया शैक्षिक सत्र लागू कर दिया लेकिन नये सत्र के अनुसार शिक्षकों को सत्र लाभ नहीं दिया जा रहा है। जबकि उ.प्र. बेसिक शिक्षा अध्यापक नियमावली 1981 में प्रावधान है कि शिक्षण सत्र के दौरान रिटायर्ड होने वाले शिक्षकों को स्वत: सत्र लाभ मिल जायेगा। इसके पीछे कानून की मंशा है कि सत्र के दौरान बच्चों की पढ़ाई बाधित न होने पाए। इस बिन्दु पर बगैर विचार किए शासन ने 9 दिसम्बर 2014 को शासनादेश जारी कर नया सत्र लागू कर दिया। जबकि नियमावली में अभी कोई संशोधन नहीं किया गया है। न्यायालय ने इस बिन्दु पर गंभीरतापूर्वक विचार कर सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा गया है। याचिका की अगली सुनवाई मई माह के दूसरे सप्ताह में होगी।
खबर साभार : डीएनए
शिक्षकों को सत्र लाभ न देने पर जवाब तलब
सत्रांत लाभ न देने को चुनौती
बेसिक स्कूलों के शिक्षकों का मामला
हाईकोर्ट ने किया सरकार से जवाब तलब बेसिक स्कूलों के शिक्षकों का मामला
इलाहाबाद। प्रदेश के बेसिक स्कूलों में सत्र परिवर्तन के
मुताबिक सत्रांत लाभ न दिए जाने के संबंध में जारी शासनादेश को चुनौती दी
गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस संबंध में गोरखपुर जनपद में हेड मास्टर के
पद पर तैनात रामवृक्ष मौर्या व अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए
न्यायमूर्ति महेश चन्द्र त्रिपाठी ने सरकार को तीन हफ्तेे में जवाब दायर
करने को कहा है।
याचिका में कहा गया है कि सरकार ने एक अपै्रैल 2015 से नया शैक्षिक सत्र लागू कर दिया लेकिन नये सत्र के अनुसार शिक्षकों को सत्र लाभ नहीं दिया जा रहा है। जबकि उ.प्र. बेसिक शिक्षा अध्यापक नियमावली 1981 में प्रावधान है कि शिक्षण सत्र के दौरान रिटायर्ड होने वाले शिक्षकों को स्वत: सत्र लाभ मिल जायेगा। इसके पीछे कानून की मंशा है कि सत्र के दौरान बच्चों की पढ़ाई बाधित न होने पाए। इस बिन्दु पर बगैर विचार किए शासन ने 9 दिसम्बर 2014 को शासनादेश जारी कर नया सत्र लागू कर दिया। जबकि नियमावली में अभी कोई संशोधन नहीं किया गया है। न्यायालय ने इस बिन्दु पर गंभीरतापूर्वक विचार कर सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा गया है। याचिका की अगली सुनवाई मई माह के दूसरे सप्ताह में होगी।
शिक्षकों को सत्र लाभ न देने पर जवाब तलब
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के बेसिक विद्यालयों में सत्र
परिवर्तन के अनुसार सत्र लाभ न दिये जाने वाले शासनादेश को चुनौती वाली
याचिका पर राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। यह आदेश
न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने गोरखपुर में तैनात अध्यापक रामवृक्ष मौर्य व
अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने 9 दिसंबर
2014 को शासनादेश जारी कर नया सत्र चालू कर दिया गया है।
नया सत्र एक अप्रैल 2015 से लागू है जबकि शिक्षकों को सत्र लाभ नहीं दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के प्रावधान के तहत शिक्षण सत्र के दौरान अवकाश प्राप्त होने वाले शिक्षकों को सत्र लाभ दिया जाता है जिससे बच्चों की पढाई बाधित न हो। राज्य सरकार ने नियमावली के प्रावधानों को नजरदांज करते हुए शासनादेश जारी कर दिया।
नया सत्र एक अप्रैल 2015 से लागू है जबकि शिक्षकों को सत्र लाभ नहीं दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के प्रावधान के तहत शिक्षण सत्र के दौरान अवकाश प्राप्त होने वाले शिक्षकों को सत्र लाभ दिया जाता है जिससे बच्चों की पढाई बाधित न हो। राज्य सरकार ने नियमावली के प्रावधानों को नजरदांज करते हुए शासनादेश जारी कर दिया।
खबर साभार : दैनिक जागरण
अध्यापकों को सत्रांत लाभ नहीं देने पर जवाब तलब : प्रदेश सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
7:14 AM
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