शिक्षक भर्ती : प्रक्रिया पूरी करने के लिए कम पड़ रहे 19,169 पद : वोट की राजनीति और भर्ती की होड़ में बेसिक शिक्षा विभाग खुद फंसा
- शिक्षक भर्ती : प्रक्रिया पूरी करने के लिए कम पड़ रहे 19,169 पद
- पहले खोला पिटारा, अब तलाश रहे पद
लखनऊ।
वोट की राजनीति और भर्ती की होड़ में बेसिक शिक्षा विभाग खुद फंस गया है।
दरअसल उसने प्राइमरी स्कूलों में एक साथ कई स्तर पर शिक्षक भर्ती प्रक्रिया
शुरू कर दी। ऐसे में निकाले गए विज्ञापन और शिक्षा मित्रों को शिक्षक
बनाने के लिए विभाग को 2 लाख 42 हजार 423 पद चाहिए, मगर सभी पदों को जोड़
लिया जाए तो भी 2 लाख 23 हजार 254 पद ही बनते हैं। इस हिसाब से 19,169 पद
कम पड़ रहे हैं।
प्रदेश में सत्ता बदलने के
बाद सपा सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक भर्ती का पिटारा खोल दिया।
सबसे पहले परिषदीय स्कूलों में लगाए गए 1.70 लाख शिक्षा मित्रों को दूरस्थ
शिक्षा के माध्यम से दो साल के बीटीसी का प्रशिक्षण देकर सहायक अध्यापक
बनाने का निर्णय किया गया। इसके कुछ महीने बाद बीटीसी पास अभ्यर्थियों से
शिक्षकों के 10,000 पद भरने का विज्ञापन निकाला गया। यह प्रक्रिया पूरी भी
नहीं हो पाई थी कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2011 में टीईटी मेरिट के आधार पर
72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों के लिए आवेदन करने वालों को भर्ती करने का आदेश
दे दिया। इन पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू ही हुई थी कि बीटीसी पास
अभ्यर्थियों के दबाव में 15,000 और शिक्षक पदों पर भर्ती का शासनादेश जारी
कर दिया गया।
यूं चल रही भर्ती प्रक्रिया
बेसिक
शिक्षा विभाग ने रिक्त पदों में पहले चरण में 58,464 शिक्षा मित्रों को
समायोजित करते हुए सहायक अध्यापक बनाया। इसके बाद बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त
करने वालों के लिए 10,000 शिक्षक भर्ती का विज्ञापन निकालते हुए 5030 पद
भरे गए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती की
जा रही है। इसके अलावा 91,104 शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाने के
बाद बीटीसी वालों से लिए गए आवेदन के आधार पर 15,000 और शिक्षकों की भर्ती
की जानी है। इस हिसाब से विभाग को शिक्षकों के कुल 2,42,423 पद चाहिए।
खबर साभार : अमर उजाला
पद थे नहीं फिर भी ले लिए गए आवेदन
विभाग ने 15 हजार सहायक अध्यापकों के पद के लिए दिसम्बर 2014 से मार्च 2015 तक आवेदन लिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, शिक्षा मित्रों के लिए ही पद कम पड़ रहे हैं तो ये कैसे नियुक्त किए जाएंगे।
यदि इन बची हुई रिक्तियों से 72,825 के सारे पद निकाल दिए जाएं तो लगभग 70 हजार पद ही बचेंगे। ऐसे में 91 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद ही समायोजित कराने में दिक्कतें हैं। वायदा पूरा करना है प्राथमिकता पर- सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 91 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किए जाने का सपा सरकार का पुराना वादा है। चूंकि सहायक अध्यापक का पद जिला काडर का होता है लिहाजा इन्हें जिले से बाहर नहीं भेजा सकता है। इसलिए विभाग ह्यवेट एंड वॉच की रणनीति पर काम कर रहा है और साफ कर दिया है कि सृजित पदों पर नियुक्ति के बाद बचे हुए शिक्षामित्रों पर निर्णय लिया जाएगा।
खबर साभार : हिन्दुस्तान
पद थे नहीं फिर भी ले लिए गए आवेदन
लखनऊ। पद हैं नहीं और 15 हजार सहायक अध्यापकों के पद के
लिए आवेदन और ले लिए। लिहाजा काउंसलिंग की तारीखें एक महीना बीतने के बाद
भी घोषित नहीं की गई है। पहले ही 91 हजार शिक्षा मित्रों के सहायक अध्यापक
पद के समायोजन के लिए भी 25 हजार से ज्यादा पद कम पड़ रहे हैं।
विभाग ने 15 हजार सहायक अध्यापकों के पद के लिए दिसम्बर 2014 से मार्च 2015 तक आवेदन लिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, शिक्षा मित्रों के लिए ही पद कम पड़ रहे हैं तो ये कैसे नियुक्त किए जाएंगे।
लिहाजा अभी तक इनकी काउंसिलिंग की तारीखें
घोषित नहीं की गई हैं। इन पदों के लिए भी आवेदन बीटीसी अभ्यर्थियों के
धरने-प्रदर्शन के बाद ही लिए गए थे। हालांकि अधिकारी इससे इनकार कर रहे हैं
कि 15 हजार सहायक अध्यापकों के लिए रिक्तियां नहीं हैं।
पद हैं कम, दावेदार ज्यादा-फरवरी, 2015 में बेसिक शिक्षा परिषद ने रिक्तियों और काम कर रहे शिक्षकों का जो ब्योरा इकट्ठा किया था उसके मुताबिक लगभग 1 लाख 12 हजार रिक्तियां थीं लेकिन तब केवल 32 हजार प्रशिक्षु शिक्षकों ने ही कार्यभार ग्रहण किया था।
पद हैं कम, दावेदार ज्यादा-फरवरी, 2015 में बेसिक शिक्षा परिषद ने रिक्तियों और काम कर रहे शिक्षकों का जो ब्योरा इकट्ठा किया था उसके मुताबिक लगभग 1 लाख 12 हजार रिक्तियां थीं लेकिन तब केवल 32 हजार प्रशिक्षु शिक्षकों ने ही कार्यभार ग्रहण किया था।
यदि इन बची हुई रिक्तियों से 72,825 के सारे पद निकाल दिए जाएं तो लगभग 70 हजार पद ही बचेंगे। ऐसे में 91 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद ही समायोजित कराने में दिक्कतें हैं। वायदा पूरा करना है प्राथमिकता पर- सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 91 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किए जाने का सपा सरकार का पुराना वादा है। चूंकि सहायक अध्यापक का पद जिला काडर का होता है लिहाजा इन्हें जिले से बाहर नहीं भेजा सकता है। इसलिए विभाग ह्यवेट एंड वॉच की रणनीति पर काम कर रहा है और साफ कर दिया है कि सृजित पदों पर नियुक्ति के बाद बचे हुए शिक्षामित्रों पर निर्णय लिया जाएगा।
शिक्षक भर्ती : प्रक्रिया पूरी करने के लिए कम पड़ रहे 19,169 पद : वोट की राजनीति और भर्ती की होड़ में बेसिक शिक्षा विभाग खुद फंसा
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
6:25 AM
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